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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शुक्रवार, 11 सितम्बर 2020 (14:12 IST)

उपचुनाव में शिवराज-सिंधिया की जोड़ी पर भारी न पड़ जाए अपनों की नाराजगी ?

उपचुनाव में शिवराज-सिंधिया की जोड़ी पर भारी न पड़ जाए अपनों की नाराजगी ? - Madhya Pradesh :Unsatisfied leaders and workers of the party challenge Scindia-Shivraj in the by-election
मध्यप्रदेश में उपचुनाव की तारीखों के एलान से पहले सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने चुनावी बिगुल फूंक दिया है। शिवराज सरकार के भविष्य और सिंधिया की भाजपा में आगे की राजनीति की दिशा और दशा तय करने वाले उपचुनाव कई मायनों में आम चुनाव से भी खास है।
 
मध्यप्रदेश में भविष्य की राजनीति को तय करने वाले इन उपचुनाव को लेकर शिवराज-सिंधिया की जोड़ी इन दिनों ग्वालियर-चंबल के चुनावी मैदान में डट गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया उपचुनाव वाली सीटों पर ताबड़तोड़ सभाएं कर पिछले कमलनाथ सरकार पर बरस रहे है। सिंधिया का गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर,प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और भाजपा संगठन ने तारीखों के एलान से पहले ही एक तरह से अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। 
 
प्रदेश में 27 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में 16 सीटें ग्वालियर-चंबल इलाके की है। यह वहीं ग्वालियर-चंबल इलाका है जिसने 2018 के विधानसभा चुनाव में अपने नतीजों से भाजपा के लगातार चौथी बार सत्ता में काबिज होने के सपने पर पानी फेर कर,कांग्रेस पार्टी के वनवास को खत्म कर कमलनाथ को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा दिया था। 

चुनाव से पहले रूठों को मनाने की चुनौती - मध्यप्रदेश के इन उपचुनाव में भाजपा जहां पूरी ताकत से चुनावी मैदान में डटी हुई दिखाई दे रही है,वहीं उसको अंदर ही अंदर भीतरघात का भी डर सता रहा है। सिंधिया के साथ पार्टी में शामिल हुए नेताओं को लेकर स्थानीय स्तर पर पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं में नाराजगी और अंतर्कलह की खबरों ने पार्टी की चिताएं बढ़ा दी है। 2018 में ग्वालियर पूर्व सीट से भाजपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले सतीश सिकरवार का कांग्रेस में शामिल होना भाजपा के लिए एक खतरे की घंटी है।
ग्वालियर विधासनभा सीट से पिछले चुनाव में प्रदुम्मन सिंह तोमर से हारने वाले भाजपा के फायर ब्रांड नेता जयभान सिंह पवैया की भी नाराजगी रह-रहकर सामने आती रही है। सिंधिया और महल की राजनीति के टक्कर विरोधी रहे पवैया की नाराजगी खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कोशिश कर चुके है लेकिन जयभान सिंह पवैया ने ठीक उसके बाद ट्वीट कर अपने इरादे एक तरह से साफ कर दिए थे।   
 
ग्वालियर-चंबल में ही आने वाली भिंड जिले की गोहद विधानसभा सीटे से पिछला चुनाव मंत्री रहते हराने वाले लाल सिंह आर्य और मुरैना से रूस्तम सिंह सिंह भी उपचुनाव से पहले अलग-थलग नजर आ रहे है। 
उपचुनाव पर भाजपा हाईकमान की नजर-उपचुनाव की तैयारियों को लेकर भोपाल आए भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के दो दिनों के दौरे के दौरान पार्टी मुख्यालय में हुई बैठकों से ग्वालियर-चंबल से आने वाले और प्रदेश भाजपा के संकटमोचक नरोत्तम मिश्रा का गायब रहना भी सुर्खियों में है। इसके साथ बैठक के दौरान विधानसभा प्रभारियों ने स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं की नाराजगी और पिछले चुनाव में हारे पार्टी के नेताओं के प्रचार अभियान से दूर रहने की बात को रखी। 

उपचुनाव को लेकर संघ ने अपने स्तर पर जो रिपोर्ट तैयारी की है उसके मुताबिक ग्वालियर-चंबल की सोलह में से करीब 6 सीटों पर पार्टी की हालत कमजोर है,वहीं आठ सीटों पर मुकाबला कड़ा है।

इन सीटों को लेकर पार्टी अब नए सिरे से रणनीति तैयार कर अपनी पूरी ताकत झोंकने जा रही है। इन सीटों की जिम्मेदारी मंत्रियों को सौंपे जाने के साथ पार्टी इन सीटों पर स्टार-प्रचारकों के ताबड़तोड़ दौरे कराने जा रही है। 
 
अपने दौरे के दौरान संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने मंत्रियों को सीट की जिम्मेदारी देते हुए दो टूक कह दिया कि मंत्री हार के लिए जिम्मेदार माने जाएंगे। पार्टी के प्रत्याशी की हार पर मंत्रियों की पद से छुट्टी करने के भी संकेत बीएल संतोष ने मंत्रियों के साथ बैठक में दे दिए है।