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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : बुधवार, 16 सितम्बर 2020 (15:09 IST)

Inside story :फिर अंडे पर भारी पड़ी सियासत,कुपोषित बच्चों को अंडा नहीं,दिया जाएगा दूध

आंगनवाड़ियों में अंडे देने के बयान मंत्री इमरती देवी का यूटर्न

Inside story :फिर अंडे पर भारी पड़ी सियासत,कुपोषित बच्चों को अंडा नहीं,दिया जाएगा दूध - Milk will be given in Anganwadis to eliminate malnutrition in Madhya Pradesh: Shivraj Singh Chauhan
भोपाल। मध्यप्रदेश में एक बार फिर कुपोषण दूर करने के लिए आंगनवाडियों में दूध के साथ अंडे देने की कवायद राजनीतिक स्वार्थ की भेंट चढ़ती दिख रही है। महिला बाल विकास मंत्री के कुपोषित बच्चों को दूध के साथ अंडा देने के प्रस्ताव को खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिरे से खारिज कर दिया है। 

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर 17 सितंबर को प्रदेश के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को पोषण आहार के साथ दूध का वितरण करने का फैसला सरकार ने लिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार कुपोषण दूर करने के लिए अंडा नहीं, दूध का वितरण करेगी। प्रधानमंत्री के जन्मदिन से सरकार कुपोषित बच्चों के लिए दूध देने के अभियान प्रारंभ करेगी। 
 
मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद अब प्रदेश की महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने अपने पुराने बयान से यू-टर्न ले लिया है। सीएम शिवराज के बयान के बाद इमरती देवी ने कहा अगर सीएम ने पोषण आहार में दूध देने के बात कही है तो अब दूध ही बांटेंगे। इसके साथ मंत्री जी ने आगे कहा कि डॉक्टरों ने बताया है कि दूध से कुपोषण दूर होता है। 
 
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में कुपोषण दूर करने के लिए लंबे समय से आंगनवाड़ियों में दूध और अंडे बांटे जाने को लेकर सियासी तकरार चल रही है। पिछले दिनों प्रदेश की महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने साफ कहा था कि आंगनवाड़ियों में अंडा ही बांटेंगे अगर भाजपा कार्यकर्ता विरोध भी करेंगे तब भी अंडा ही बांटेंगे। 
 
इमरती देवी के इस बयान को उनकी पुरानी पार्टी के नेताओं ने हाथों हाथ लपक कर इसको  सियासी मुद्दा बनाने में जुट गई थी। पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि कांग्रेस सरकार में तो मंत्री अंडा नहीं बांट पाई और अब जनता और ऐसे समाज जो अंडा नहीं खाते है उनको चुनाव में जवाब देंगे।
 
सामाजिक कार्यकर्ता राकेश मालवीय इस पूरे मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहते हैं कि आंगनवाड़ियों में अंडा बांटने के मामले में हमेशा से वोट बैंक की राजनीति आड़े आ जाती है। राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और अपने सियासी हितों को साधने के चलते आंगनवाड़ियों में दूध की जगह बेहतर,टिकाऊ और कई अधिक फायदेमंद अंडा बांटे जाने का निर्णय नहीं हो सका है। 
 
शिवराज सरकार में वर्तमान में महिला बाल विकास विभाग की मंत्री इमरती देवी जो पिछली कमलनाथ सरकार में भी इस विभाग की मंत्री थी, तब अंडा देने की बात कही थी और अभी एक हफ्ते पहले तक इस निर्णय पर अडिग थी। उनका अब अपने बयान से यू-टर्न लेना उनकी राजनीतिक मजबूरी दिखाता है। 
 
मध्यप्रदेश में कुपोषण एक चुनौती- बच्चों के कुपोषण मामले में मध्यप्रदेश में देश के सबसे खराब पांच राज्यों में शामिल है। एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में लगभग 10 लाख बच्चे अति गंभीर कुपोषण के शिकार है। प्रदेश में पिछले पांच सालों में लगभग 95 हजार (94,699) सिर्फ नवजात बच्चों ने गरीबी, कुपोषण और अन्य कारणों के चलते दम तोड़ दिया है। यह उन बच्चों की संख्या है जो अपना पहला जन्मदिन भी नहीं मना पाए।
मध्य प्रदेश में नवजात बच्चों की मौत का आंकड़ा आने वाले समय और भी बढ़ सकता है इसका सबसे बड़ा कारण पिछले पांच सालों तकरीबन साढ़ नौ लाख बच्चों का जन्म से ही कुपोषण का शिकार रहे है। मध्य प्रदेश में गरीबी और सरकार की योजनाओं का जमीनी स्तर सही तरीके क्रियान्वयन नहीं होने से 100 में से 42 बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे है।

सामाजिक संस्था विकास संवाद से जुड़े राकेश मालवीय कहते हैं कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए आज बच्चों के हितों को तवज्जों नहीं दी जा रही है। मध्यप्रदेश जहां कुपोषण के मामले को लेकर पहले से ही हालात चिंताजनक है वहां हर आंगनवाड़ियों में दूध के साथ अंडे देने का विकल्प होना चाहिए। आंगनवाड़ियों में पहले भी दूध बांटे जाने को लेकर कई शिकायतें आ चुकी है।
 
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