आदिवासियों की जमीन को लेकर सियासी जंग, मोदी सरकार के खिलाफ जयस ने किया आंदोलन का ऐलान
भोपाल। देश के करीब 20 लाख आदिवासियों के सामने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ अब बड़ा संकट खड़ा हो गया है। आदिवासियों की जमीन बचाने के लिए अब देश के आदिवासी संगठन एकजुट होने लगे हैं।
आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ने वाला और मध्यप्रदेश में खासा सक्रिय संगठन जयस (जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन) अब आदिवासियों की जमीन बचाने के लिए मोदी सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में है।
'वेबदुनिया' से बातचीत में जयस के राष्ट्रीय संरक्षक हीरालाल अलावा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा जताते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर भी कई सवाल उठाए हैं। हीरालाल अलावा ने केंद्र सरकार से मांग की है आदिवासियों की जमीन बचाने के लिए सरकार तुंरत एक अध्यादेश लेकर आए।
सुप्रीम कोर्ट में केस पर सुनवाई के दौरान आदिवासी की हक की लड़ाई के लिए वकील न भेजे जाने को लेकर भी हीरालाल अलावा ने मोदी सरकार को जमकर घेरा है। अलावा कहते हैं कि देश के सभी आदिवासी संगठन एक साथ सड़क पर उतरकर आदिवासियों की हक की लड़ाई लड़ेंगे और सुप्रीम कोर्ट में आदिवासियों की आवाज सही से न उठाने वाली सरकार को बदल देंगे।
क्या है पूरा मामला : सुप्रीम कोर्ट ने एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए 16 राज्यों के करीब 11 लाख से अधिक आदिवासियों को जंगल से जमीन से बेदखल करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने यूपीए सरकार के समय पास किए वन संरक्षण अधिनियम (2006) को चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस इंदिरा की 3 सदस्यीय बेंच के समय सुनवाई पर अपने वकीलों को नहीं भेजा था। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए 27 जुलाई तक उन सभी आदिवासियों जिनके दावे खारिज हो गए और उन सभी को बेदखल करने के आदेश दिए थे और इसकी रिपोर्ट भी पेश करने के निर्देश दिए हैं।