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Last Modified: भोपाल , शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2018 (14:37 IST)

कांग्रेस को मिल सकता है जयस का साथ, इस सीट पर अटकी बात

कांग्रेस को मिल सकता है जयस का साथ, इस सीट पर अटकी बात - Congress Jayas
भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) के बीच चुनाव पूर्व सीटों के गठबंधन की चर्चा पश्चिम मध्यप्रदेश की एक सीट पर आकर अटक गई लगती है।
 
कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली इस आदिवासी बहुल विधानसभा सीट को गठबंधन के तहत जयस अपने लिए मांग रहा है क्योंकि जयस का दावा है कि इस सीट पर उसका मजबूत आधार बन चुका है।
 
आदिवासियों का नया राजनीतिक संगठन जयस कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व सीटों के गठबंधन की चर्चा में पश्चिमी मध्यप्रदेश के धार जिले की कुक्षी विधानसभा सीट लेने पर अड़ा हुआ है जबकि यह सीट 133 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी का गढ़ मानी जाती है और 1972 से अब तक 1990 के विधानसभा चुनाव और 2012 के विधानसभा उपचुनाव को छोड़कर यह सीट हमेशा कांग्रेस के पास रही है।
 
जयस के संयोजक डॉ. हीरालाल अलावा ने बताया, 'कांग्रेस के साथ सीटों के गठबंधन पर हमारी बातचीत हो रही है। इसके तहत हम प्रदेश की 40 आदिवासी बहुल सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। कुक्षी से भी चुनाव लड़ना हमारी वरीयता में है क्योंकि यहां हमारी मजबूत मौजूदगी है।'
 
जयस के एक अन्य नेता ने बताया कि पार्टी ने कांग्रेस को स्पष्ट बता दिया है कि हम कुक्षी से लड़ना चाहते हैं। कुक्षी सीट पर ही आगे गठबंधन होना निर्भर करता है। यदि कांग्रेस इस पर अड़ियल रहती है तो गठबंधन की बातचीत विफल हो सकती है। कुक्षी में दो अक्टूबर को कृषि पंचायत करके हम अपनी ताकत दिखा चुके हैं। इसमें एक लाख से अधिक आदिवासी युवकों ने भाग लिया था।
 
कुक्षी विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक कांग्रेस के सुरेन्द्र सिंह बघेल दिग्विजय सिंह के नजदीकी माने जाते हैं। बघेल ने कहा कि इस सीट पर वह चुनाव लड़ने की पहले से ही तैयारी कर चुके हैं और उन्हें पूरा विश्वास है कि इस दफा भी वह बड़े अंतर से विजय हासिल करेंगे।
 
एक अन्य कांग्रेस नेता ने कहा कि कुक्षी सीट हमारी परम्परागत सीट है और गठबंधन के तहत हम इसे आसानी ने नहीं छोड़ेंगे।
 
प्रदेश में नए उभर रहे राजनीतिक संगठन जयस का प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों रतलाम, अलीराजपुर, झाबुआ, धार, खरगोन, बुरहानपुर, खंडवा, देवास और बड़वानी जिलों की 22 सुरक्षित सीटों पर अच्छी मौजूदगी का दावा किया है।
 
उल्लेखनीय है कि पश्चिम मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ क्षेत्र में आदिवासी आबादी की बहुलता है। प्रदेश की इन 22 सुरक्षित सीटों में से कांग्रेस के पास वर्तमान में केवल पांच सीटें ही हैं।
 
मालवा-निमाड़ क्षेत्र में विधानसभा की कुल 66 सीटें है और कांग्रेस यहां जयस के साथ गठबंधन के लिये इच्छुक है। कांग्रेस पश्चिमी मध्यप्रदेश के इन इलाकों में काफी कमजोर है और उसके पास इस इलाके से केवल 9 विधायक हैं जबकि भाजपा के मालवा-निमाड़ क्षेत्र में कुल 56 विधायक हैं।
 
इसके अलावा कांग्रेस को वर्ष 2003 में हुए विधानसभा चुनावों में पूर्वी मध्यप्रदेश में एक आदिवासी राजनीतिक दल गोंडवाना गणतंत्र पार्टी :जीजीपी: से अच्छा खासा सबक मिल चुका है, जब जीजीपी ने कांग्रेस के आदिवासी वोट बैंक में खासी सेंध लगाकर इसे गहरी चोट दी थी।
 
वर्ष 2003 के चुनाव में जीजीपी ने पूर्वी मध्यप्रदेश में तीन विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी लेकिन कांग्रेस के परपम्परागत आदिवासी वोट बैंक पर गहरी सेंध मारकर कांग्रेस की पराजय का मुख्य कारण बना था। इस आदिवासी पार्टी ने विशेषकर आदिवासी बहुल इलाकों में तब अपनी मौजूदगी दर्शातें हुए 5,17,270 वोट हासिल किए थे। इसके चलते कांग्रेस प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से केवल 38 सीटों पर ही विजय दर्ज कर सकी थी। भाजपा ने 2003 में बहुमत हासिल करते हुए 173 सीटों पर जीत हासिल की थी। उसके बाद से कांग्रेस राज्य में सत्ता से दूर है।
 
दलित वोट के आधार वाली बसपा से मध्यप्रदेश में गठबंधन असफल होने के बाद कांग्रेस को अब जयस के साथ गठबंधन कर आदिवासी वोटों को हासिल करने की उम्मीद है। मध्यप्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीटों में 47 सीटें एसटी और 35 सीटें एससी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। (भाषा) 
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