मप्र में जेल में बंद अपराधी को बनाया सांप्रदायिक हिंसा का आरोपी
बड़वानी (मप्र)। मध्य प्रदेश के सेंधवा कस्बे की एक महिला ने शुक्रवार को दावा किया कि रामनवमी के दिन हुई हिंसा से संबंधित एक मामले में उसके बेटे को आरोपी बनाए जाने के बाद अधिकारियों ने उसका मकान गिरा दिया जबकि उस समय वह जेल में बंद था।
पुलिस अधिकारियों ने माना की आरोपी शाहबाज 10 अप्रैल को जेल में था, लेकिन उसके अवैध मकान तोड़ने को सही ठहराते हुए दावा किया कि वह इलाके का एक घोषित अपराधी है। महिला सकीना ने कहा कि रामनवमी पर जब बड़वानी जिले के सेंधवा में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी तब उसका बेटा जेल में था।
महिला ने पत्रकारों से कहा कि दंगे के संबंध में प्राथमिकी में उसके नाम का उल्लेख गलती से किया गया था, लेकिन फिर भी स्थानीय अधिकारियों ने हिंसा में शामिल लोगों के अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करते हुए जोगवाड़ा रोड पर उनके मकान को भी ध्वस्त कर दिया।
स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने स्वीकार किया कि शाहबाज जेल में था और 10 अप्रैल के दंगे के बारे में प्राथमिकी एक शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी। बड़वानी के पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार शुक्ला ने कहा कि यह जांच का विषय है कि प्राथमिकी में शाहबाज का नाम कैसे आया।
उन्होंने कहा कि आम तौर पर पुलिस शिकायत के आधार पर मामला दर्ज करती है, लेकिन अगर हम पाते हैं कि गलत नाम दर्ज किया गया है तो इसे उसी के अनुसार निपटाया जाता है।
हालांकि, शुक्ला ने शाहबाज का मकान तोड़े जाने को यह कहते हुए जायज ठहराया कि यह अवैध रूप से बनाया गया था। इसके अलावा, शाहबाज के खिलाफ हाल ही में रासुका के तहत कार्रवाई का प्रस्ताव किया गया था और इस संबंध में आदेश भी जारी किया गया है।
एसपी ने कहा कि वह क्षेत्र का एक घोषित अपराधी है और उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या का प्रयास) के तहत मामले दर्ज हैं।
मध्य प्रदेश के मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इस सप्ताह की शुरुआत में आरोप लगाया था कि रामनवमी हिंसा के बाद समुदाय के सदस्यों को प्राधिकारियों ने गलत तरीके से निशाना बनाया है और कुछ मामलों में बिना उचित प्रक्रिया के मकानों को ध्वस्त कर दिया गया है।