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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 26 फ़रवरी 2022 (13:18 IST)

हिंदी में MBBS की पढ़ाई कराने की मध्यप्रदेश में कैसे हो रही तैयारी, स्टूडेंट्स को क्या होगा फायदा? पढ़िए इनसाइड स्टोरी

हिंदी में MBBS की पढ़ाई कराने की मध्यप्रदेश में कैसे हो रही तैयारी, स्टूडेंट्स को क्या होगा फायदा? पढ़िए इनसाइड स्टोरी - Inside Story: MBBS will be taught in Hindi in Madhya Pradesh
भोपाल। मध्यप्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जहां मेडिकल की पढ़ाई मातृभाषा हिंदी में होगी। राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर अगले सत्र से इसकी शुरुआत होगी। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सांरग कहते हैं कि भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के प्रथम वर्ष से हिंदी में भी एमबीबीएस के पाठ्यक्रम की शुरूआत करने जा रहे हैं। हिंदी में एमबीबीएस के पाठ्यक्रम को लागू करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा। 
 
MBBS के फर्स्ट ईयर से शुरुआत- मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करने की शुरुआत MBBS के फर्स्ट ईयर के तीन विषयों एनोटॉमी, फिज़ियोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री से होगी। इन विषयों में हिंदी में समानांतर किताबों का रूपांतरण किया जा रहा है। इसके लिए तीनों विषयों के लिए तीन वार-रूम बनाए जा रहे है। भोपाल में एनाटॉमी और बायो-केमेस्ट्री तथा इंदौर में फिजियोलॉजी का वार-रूम तैयार किया जा रहा है। इसके साथ उपसमितियों का गठन किया गया है जो पाठ्यकम की मॉनिटरिंग का काम करेगी। एमबीबीएस के हिंदी पाठ्यक्रम को ऑडियो-विजुअल फॉर्मेट में भी तैयार किया जा रहा है। हिंदी का यहा पूरा पाठ्यक्रम में यूट्यूब पर उपलब्ध कराया जाएगा।

मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करने के लिए व्यवहारिक पक्ष को ध्यान रखा जाएगा। इसके लिए हिन्दी प्रकोष्ठ का गठन कर पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। पाठ्यक्रम तैयार करने में अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। इसके साथ मेडिकल कॉलेज की फेकल्टी को भी हिन्दी में स्टूडेंट्स को समझाते हुए क्लासेस लेने के निर्देश दिये गये हैं। 

सिलेबस का अनुवाद नहीं रूपांतरण-मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करने के लिए चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सांरग की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी के सदस्य और वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में कराने के निर्णय से हिंदी भाषा वाले छात्रों के साथ अग्रेजी माध्यम के छात्रों के लिए काफी मददगार होगा। वह कहते हैं कि सरकार का उद्देश्य सिलेबस का अनुवाद (translation) नहीं रूपांतरण करेंगे। इसमें मेडिकल के शब्द जस का तस रखने की योजना है। इसमें अग्रेजी के सामानंतर एक व्यवस्था बनाई जा रही है जिससे बच्चों की समझ डेवलप हो सके।    
 
हिंदी में पढ़ाई से स्टूडेंट्स का बढ़ेगा मनोबल-वहीं मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करने से स्टूडेंट्स को कितना लाभ होगा इस सवाल पर डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि स्वयं का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि वह खुद हिंदी मीडियम के छात्र थे और मेडिकल की पढ़ाई के दौरान लिखने और अभिव्यक्ति को लेकर बड़ी परेशानी होती थी। पढाई के दौरान कई बार ऐसा लगता था कि इंग्लिश में नहीं बोलने के कारण मेरा सही तरह से मूल्यांकन नहीं हो पा रहा था और बहुत सी चीजों की अभिव्यक्ति ही नहीं हो पाई। ऐसा मेरे साथ ही नहीं सामान्य तौर पर हिंदी मीडियम से आने बहुत से छात्रों के साथ होता है। 
डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि सरकार ने एमबीबीएस के पहले साल का सिलेबस हिंदी में करने की शुरुआत इसलिए की है क्योंकि 12वीं के बाद स्टूडेंट जब सीधे एमबीबीएस की पढ़ाई करता है तो एक बड़ा अंतर आ जाता है और मेडिकल की पढ़ाई के टर्म में स्टूडेंट्स को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है ऐस में फर्स्ट ईयर का जो कॉन्फिडेंस होता है वह बहुत जरूरी होता है। डॉक्टर सत्यकांत कहते हैं कि एक मनोचिकित्सक के रूप में उनके सामने भी ऐसे कई केस आ चुके है जिसमे स्टूडेंट्स हिंदी को लेकर खुद को काफी दबाव महसूस करते है।
 
मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करने को लेकर उठ रहे सवालों पर डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि निश्चित तौर पर भाषा को लेकर रिर्जेवेशन है। मेडिकल की पढाई हिंदी में करने को लेकर समिति की पहली बैठक में निर्णय किया गया है कि एक्सपर्ट और स्टूडेंट्स के साथ संवाद करने के साथ हिंदी में जर्नल और स्टडी मटेरियल तैयार किया जाएगा। वह कहते हैं कि इस सवालों के बीच प्रदेश सरकार और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सांरग मेडिकल की पढ़ाई को हिंदी में करा कर मध्यप्रदेश को देश में एक मॉडल स्टेट के रूप में बनाने के लिए संकल्पित है। 
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