छतरपुर। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में एक जननी का अनोखा मामला सामने आया है, जहां बच्ची को जन्म देने के बाद अस्पताल में प्रसूता को मृत घोषित कर दिया गया तो वहीं घर ले जाने पर अंतिम संस्कार की तैयारियों के दौरान वह फिर जिंदा (महिला के शरीर में हरकत) हो उठी तो हड़कंप मच गया और फिर उसी हालत में महिला को एम्बुलेंस से लेकर छतरपुर जिला अस्पताल छतरपुर को भागे।
लेकिन रास्ते में ही एम्बुलेंस में लगे सिलेंडर की ऑक्सीजन खत्म हो जाने के कारण महिला की हालत खराब होने लगी और जिला अस्पताल पहुंचते ही उसने दम तोड़ दिया। डर के मारे एम्बुलेंस चालक महिला को स्ट्रेचर पर उतारकर एम्बुलेंस लेकर भाग खड़ा हुआ, वहीं जिला अस्पताल में एक बार फिर महिला को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
परिजनों की मानें तो 5 जनवरी को 24 वर्षीय (जननी) भागवती अहिरवार को दोपहर 11 बजे गंभीर हालत में महाराजपुर स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहां 1.25 बजे उसने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया, लेकिन प्रसूता की हालत बिगड़ गई। जहां डॉक्टर न होने के कारण स्टाफ उसे ऑपरेट न कर सका तो एम्बुलेंस के डॉक्टर को बुलाया गया, जहां उसने महिला को 2 बजे मृत घोषित कर दिया और घर ले जाने के लिए कहा।
बेचारे परिजन मृत समझकर उसे घर ले गए और अंतिम संस्कार की तैयारियों में जुट गए। तभी 3 बजे अचानक महिला की आंखों, दिल और शरीर में हरकत हुई तो सब चौंक गए और तत्काल एम्बुलेंस बुलवाकर अस्पताल लाए, जहां से फिर उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। यहां रास्ते में एम्बुलेंस के सिलेंडर से ऑक्सीजन खत्म हो गई और महिला ने अस्पताल पहुंचते ही दम तोड़ दिया।
जहां जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे एक बार फिर मृत घोषित कर दिया तो परिजनों में फिर हाहाकार मच गया और अस्पताल में हंगामा कर लाश न ले जाने की बात और मौत के लिए अस्पताल स्टाफ और डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराने लगे। तभी पुलिस ने आकर मामले को संभाला और समझाइश देकर देर रात शव वाहन से मृतका और परिजनों को वापस घर भिजवाया।
वहीं इस पूरे मामले पर जिला अस्पताल में उपस्थित डॉक्टर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अस्पताल आने से पूर्व ही महिला की मौत हो चुकी थी। परिजनों ने महाराजपुर स्वास्थ्य केंद्र के स्टाफ और डॉक्टर पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। लेकिन मामले में महिला का पोस्टमॉर्टम होने के बाद ही मामले की हकीकत पता चल सकेगी।