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Last Modified: सोमवार, 3 फ़रवरी 2025 (14:53 IST)

सीएम डॉ. मोहन यादव ने दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के नये भवन का किया भूमिपूजन, बोले कागजी ज्ञान की बजाय शोध का ज्यादा महत्व

वैश्विक परिदृष्य में भारतीय ज्ञान, संस्कृति-परंपरा पर निरंतर शोध की आवश्यकता

सीएम डॉ. मोहन यादव ने दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के नये भवन का किया भूमिपूजन, बोले कागजी ज्ञान की बजाय शोध का ज्यादा महत्व - CM Dr. Mohan Yadav performed Bhoomi Pujan of the new building of Dattopant Thengadi Research Institute.
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भोपाल में दत्तोपन्त ठेंगड़ी शोध संस्थान के नवीन भवन के भूमिपूजन कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज के दौर में वैश्विक परिदृष्य की शोध का कार्य समसामयिक है जिसे बढ़ावा दिये जाने की आवश्यकता है। विश्व में आशा का कोई केन्द्र बचा है तो वो भारत है जब सभी प्रश्नों के उत्तर हमें देना है ऐसे में हमें भारतीय प्राचीन ज्ञान परंपरा की तरफ जाना होगा। हमारे यहां गुरुकुल परंपरा, विश्वविद्यालय परंपरा रहीं, हमारे यहां तक्षशिला, नालंदा जैसे ज्ञान के केन्द्र रहे। जहां पूरे विश्व से विद्यार्थी ज्ञानार्जन के लिए आते थे।

शोध संस्थान का बढ़ा महत्व- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि जीवन के विविध पक्षों को लेकर अलग-अलग प्रकार की रिसर्च को प्रोत्साहन देने के लिए जिस प्रकार शोध संस्थान का काम बढ़ा तब वैश्विक परिदृश्य में इस संस्थान की ओर ज्यादा आवश्यकता है। भारतीय विचार और चिंतन मनन को जोड़ते हुए ये संस्थान रिसर्च करेगा। जीवन के सभी पक्षों को लेकर रिसर्च करेगा। उन्होंने शोध संस्थान के माध्यम से वनवासी आदिवासी संस्कृति में रिसर्च की आवश्यकता है। रिसर्च तो जीवन भर चलना चाहिए। कागजी ज्ञान के बजाय रिसर्च का समीचीन रुप से महत्व है। जिससे मानव जाति और संस्कृति का भला हो सके।

ऋषि समान चिंतक थे ठेंगड़ी जी- इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दत्तोपंत ठेंगड़ी के जीवन परिचय को सामने रखते हुए कहा कि ठेंगड़ी जी ऋषि समान चिंतक थे। जिस प्रकार दीपक स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देता है उसी प्रकार प्रचारक परंपरा में वे उज्जवल नक्षत्र की तरह है जिनके माध्यम से उनके दर्शन से स्वदेशी का आंदोलन हो, कृषि आंदोलन, मजदूर आंदोलन में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई। विद्यार्थी परिषद के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे। उन्होंने हिंदुत्व को राष्ट्र से आगे बढ़कर विश्व बंधुत्व से जोड़ा।