मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुरू किया 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान, बोले- 100 पुत्रों के बराबर होता है एक वृक्ष
भोपाल। 'गंगा दशमी और पर्यावरण दिवस का महत्व तब और बढ़ जाता है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे लेकर एक अलग ही संदेश दिया है। उन्होंने हमारे गौरवशाली अतीत को पर्यावरण दिवस से जोड़कर नई व्याख्या की। हमारे यहां लंबे समय से कहा जाता है कि एक बावड़ी दस कूओं के बराबर है, दस बावड़ी एक तालाब के बराबर है, दस तालाब एक पुत्र के बराबर है और सौ पुत्र एक पेड़ के बराबर है। प्रकृति जिंदा रहेगी, तो हमारा अस्तित्व जिंदा रहेगा।
आज हमारे प्राचीन ज्ञान को पुनर्स्थापित करने का समय आ गया है। दुनिया नहीं मानती थी कि पौधों में भी प्राण होते हैं। लेकिन, हम इस बात को प्राचीन समय से ही जानते थे।' यह बात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कही। वे 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान का शुभारंभ कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने मध्यप्रदेश वार्षिक पर्यावरण पुरस्कार का वितरण भी किया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि जब हमारे महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु ने इस बात को लंदन में रॉयल सोसायटी के सामने रखा, जब उन्होंने यंत्रों को उपयोग कर इस बात को दुनिया के सामने साबित किया, तो विद्वानों ने उनको सिर पर बैठा लिया। इसे लेकर जब पत्रकारों ने उनसे कहा कि आपने बहुत बड़ा काम किया है। आपका यहां सम्मान हुआ है, भारत में भी होगा। तो उन्होंने कहा कि भारत में कोई सम्मान नहीं होगा, क्योंकि वहां हर शख्स को पता है कि पौधों में प्राण होते हैं। आपको नहीं पता था, इसलिए बताने आया हूं। सीएम डॉ. यादव ने कहा कि वैज्ञानिक बसु ने रेडियो तरंगों के बारे में भी दुनिया को जागरूक किया। उन्हें नोबल पुरस्कार मिलना चाहिए था। हमारी प्राचीन परंपरा में सबकुछ था। लेकिन, सारे शोध का श्रेय दुनिया के लोग ले गए। हम इसमें भी खुश हैं, क्योंकि हमारे प्राचीन ज्ञान की सिद्धी हो गई।
सीएम डॉ. यादव ने कहा कि हमारे वेद कहते हैं कि अगर हमें ब्रह्मांड को समझना है तो अपना पिंड देख लें। हमारे शरीर में 5 प्राण हैं। एक प्राण हृदय में है, एक प्राण हृदय से लेकर नाभि तक है, तीसरा प्राण कंठ से लेकर सिर तक है। अब तो वेंटिलेटर पर सब सिद्ध हो रहा है। मस्तिष्क गया, शरीर जिंदा है, हार्ट गया ब्रेन चल रहा, ये सब प्राण ही तो है। लंग्स गए तो मौत हो गई, ये भी तो प्राण है। चौथा प्राण नाभि से लेकर पैर तक है। पांचवा प्राण पूरे शरीर में चल रहा है। हम तो लंबे समय से कह रहे थे कि प्लास्टिक का उपयोग न हो, अब दुनिया कह रही है। साल 2030 तक हमारा लक्ष्य ऊर्जा को 500 गीगावाट तक बढ़ाना है।
हमने आज से 18 साल पहले एक अभियान की संकल्पना की थी। हमने देखा कि किन्हीं कारणों से मां शिप्रा में जल की धारा सूखने लगी थी। इस वजह से सिंहस्थ में समस्या आने लगी थी। श्रद्धालुओं को गंभीर नदी में स्नान कराया जाता था। बाद में, गंभीर नदी में जल की समस्या आ गई। हमने आज मां शिप्रा में निर्मल जल की व्यवस्था की है। श्रद्धालुओं उन्हीं की पावन धारा में स्नान करेंगे। सीएम डॉ. यादव ने कहा कि नदी जोड़ो अभियान से नदियों में जल की धारा सुगम होगी। केन-बेतवा और पार्वती-काली सिंध नदी जोड़ो परियोजना से जीवन बदल जाएगा। तीसरी परियोजना महाराष्ट्र के साथ ताप्ती नदी पर चल रही है। इससे पृथ्वी का जल स्तर बढ़ेगा।