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  4. Chief Minister Dr. Mohan Yadav is realizing the vision of women empowerment of Prime Minister Narendra Modi
Last Modified: मंगलवार, 27 मई 2025 (16:28 IST)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महिला सशक्तिकण के विजन को साकार कर रहे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

Prime Minister Narendra Modi
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महिला सशक्तिकरण के विजन को मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मिशन बनाकर साकार कर रहे हैं। राज्य सरकार का फोकस वित्तीय सहायता, कौशल और प्रशिक्षण के माध्यम से महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने पर रहा है। ग्रामीण महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण और सामाजिक परिस्थितियों में बदलाव प्रमुख ध्येय है। मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधीन संचालित एक महत्त्वाकांक्षी पहल है, जिसने विगत वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों विशेष रूप से महिलाओं के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन किया है। कृषि, महिला उद्यमिता, वित्तीय समावेशन, स्व-रोजगार, प्रशिक्षण और सामाजिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में यह मिशन न केवल मध्यप्रदेश बल्कि समूचे देश के लिए प्रेरणास्रोत बन चुका है।

नमो ड्रोन दीदी
मिशन की अभिनव पहल 'नमो ड्रोन दीदी योजना' के तहत अब तक 89 महिलाओं को अत्याधुनिक ड्रोन तकनीक से प्रशिक्षित कर उन्हें कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया गया है। ये 'ड्रोन दीदी' अब तक 17,393 एकड़ भूमि पर कीटनाशक छिड़काव का कार्य कर चुकी हैं, जिससे 47.94 लाख रुपये की आय अर्जित की गई है। यह पहल महिला सशक्तिकरण और स्मार्ट कृषि तकनीक के समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण है।

उत्पादक कंपनियों से बढ़ा किसानों का मोल
प्रदेश में 135 उत्पादक कंपनियों का गठन कर समूह सदस्यों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने का सफल प्रयास किया गया है। इनमें 119 कृषि आधारित, 4 दुग्ध, 8 मुर्गीपालन, 2 लघुवनोपज और 2 बकरी पालन कंपनियाँ शामिल हैं। इनका कुल वार्षिक कारोबार वर्ष 2023-24 में 688 करोड़ रुपये को पार कर गया है।

महिला कृषि उद्यमियों की बढ़ती ताकत
प्रदेश की 1,576 महिला कृषि उद्यमी अब खाद, बीज, जैविक कीटनाशक एवं कृषि यंत्र जैसे क्षेत्रों में अपना व्यवसाय सफलता से चला रही हैं। वर्ष 2024-25 में इनका संयुक्त टर्नओवर 140.59 करोड़ रुपये दर्ज किया गया है, जो महिला नेतृत्व वाली कृषि इकाइयों की सशक्त भूमिका को दर्शाता है।

आजीविका फ्रेश" से जैविक खेती को मिला बाजार
जैविक खेती को बढ़ावा देते हुए 2,107 "आजीविका फ्रेश" आउटलेट्स की स्थापना की गई है, जहाँ स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित रसायन-मुक्त सब्जियों की बिक्री हो रही है। इन आउटलेट्स से 55.2 करोड़ रुपये का व्यापार किया जा चुका है।

"लखपति दीदी": गरीबी से समृद्धि की ओर यात्रा
"लखपति दीदी इनिशिएटिव" के माध्यम से 8.87 लाख SHG परिवारों को दो या अधिक आजीविका गतिविधियों से जोड़कर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया गया है। यह योजना ग्रामीण महिलाओं को महज लाभार्थी नहीं, बल्कि निर्माता और नीति-निर्धारक बनने की प्रेरणा देती है।

मार्केटिंग और ब्रांडिंग को मजबूती: रूरल व स्टेट मार्ट
राज्य स्तरीय भोपाल हाट में स्थापित एक स्टेट मार्ट और जिलों में संचालित 43 रूरल मार्ट्स के माध्यम से SHG उत्पादों को व्यापक बाजार मिला है। स्टेट मार्ट से 24.54 लाख रुपये एवं रूरल मार्ट्स से 2.94 करोड़ रुपये के उत्पादों की बिक्री की गई है।

दीदी कैफे: स्वाद के साथ स्वावलंबन की मिसाल
प्रदेश भर में 169 दीदी कैफे महिलाओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। इनमें मुख्यमंत्री आवास स्थित दीदी कैफे का टर्नओवर सर्वाधिक 1.27 करोड़ रुपये रहा है। इसके अलावा भोपाल हाट परिसर में एक विशेष 'मिलेट कैफे' भी संचालित है।

"आजीविका एक्सप्रेस": परिवहन के साथ सेवाओं की डोर
219 आजीविका एक्सप्रेस वाहनों के माध्यम से ग्रामीणों की शिक्षा, स्वास्थ्य और बाजार तक पहुंच सुनिश्चित की गई है, जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

कौशल विकास और स्वरोजगार के अवसर
DDU-GKY के तहत 54,000 युवतियों को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण दिया गया है, जिनमें से 54% महिलाएं हैं। RSETI के तहत 2.82 लाख युवतियाँ स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षित की गई हैं। ये युवतियाँ टेक्सटाइल, IT, बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में सफलता पूर्वक कार्यरत हैं।

लोक अधिकार केंद्र: न्याय की ओर बढ़ते कदम
313 विकासखंडों में स्थापित लोक अधिकार केंद्रों के माध्यम से महिलाओं की शासन तक पहुँच सुनिश्चित की गई है। ये केन्द्र स्थानीय प्रशासन और पंचायती राज संस्थाओं तक महिलाओं की पहुंच करने एवं उन्हें उनका हक दिलाने के लिये सशक्त मंच के रूप में काम कर रहे है। अब तक 61,674 मुद्दों में से 30,607 मामलों का सफल निराकरण किया जा चुका है।

राजनीतिक सशक्तिकरण और सेवा प्रदाय
17,000 से अधिक SHG सदस्य महिलाएं पंचायत प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित होकर स्थानीय शासन में अपनी भूमिका निभा रही हैं। वहीं SHG समूह 2,790 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से 50.24 लाख टन अनाज का उपार्जन कर 80.38 करोड़ रुपये का कमीशन प्राप्त कर चुके हैं।

अन्य अभिनव प्रयास
4,147 समूहों द्वारा जल कर वसूली से 8.43 करोड़ रुपये की आय। 5 जिलों में टोल टैक्स वसूली से मासिक 1-1.5 लाख रुपये तक की आय। 72 सामुदायिक प्रशिक्षण केंद्रों पर 2.37 लाख प्रतिभागियों को प्रशिक्षण। 2,228 SHG द्वारा 2,970 सदस्य सरकारी PDS दुकानों का संचालन। 407 गौशालाओं का सफल संचालन। आगामी समय में मिशन द्वारा कई महत्वपूर्ण पहलों को लागू किया जा रहा है, जो प्रदेश में उद्यमिता, प्रशिक्षण और आजीविका के अवसरों को नए आयाम देंगे।

इन्क्यूबेटर योजना: महिला उद्यमियों को मिलेगा नया मंच
राज्य सरकार द्वारा 12 लाख रुपये से अधिक वार्षिक टर्नओवर वाले निर्माण एवं सेवा क्षेत्र के उद्यमों को इन्क्यूबेटर के अंतर्गत प्रोत्साहन देने की योजना बनाई गई है। अब तक 325 ऐसे उद्यमों की पहचान की जा चुकी है। इन उद्यमों को IIM जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से जोड़ा जा रहा है, जिससे महिला उद्यमियों को व्यावसायिक सलाह, संसाधन और नेटवर्किंग का लाभ मिल सके।

ODOP क्लस्टर: स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पहचान
क्लस्टर आधारित विकास” की अवधारणा को अपनाते हुए प्रदेश में 8 ODOP (One District One Product) क्लस्टरों का विकास केंद्र सरकार के सहयोग से किया जाएगा। शेष 31 जिलों में ODOP क्लस्टरों का निर्माण वार्षिक कार्ययोजना और अन्य विभागीय अभिसरण के अंतर्गत किया जाएगा, जिससे स्थानीय उत्पादों को बाजार और ब्रांडिंग का व्यापक समर्थन मिलेगा।

रूरल इन्क्यूबेशन सेंटर: स्वरोजगार को मिलेगी नई उड़ान
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षित हितग्राहियों जैसे महिला उद्यमियों, युवाओं और स्वरोजगारियों को तकनीकी सहायता, प्रशिक्षण, वित्तीय मार्गदर्शन और विपणन नेटवर्क की सुविधा रूरल इन्क्यूबेशन केंद्रों के माध्यम से दी जाएगी। इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत भोपाल और इंदौर जिलों से की जा रही है।

वित्तीय सशक्तिकरण: निधियों और ऋण का वितरण
राज्य में कुल 0.91 लाख समूहों को 271.96 करोड़ रुपये की परिक्रामी निधि, 24,984 समूहों को 249.84 करोड़ रुपये की सामुदायिक निवेश निधि (CIF) तथा 1.20 लाख महिला स्व-सहायता समूहों को 1,800 करोड़ रुपये का बैंक ऋण वितरित किया जाएगा। यह वित्तीय सहायता ग्रामीण आजीविका गतिविधियों को मजबूती देने में सहायक होगी।

मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन न केवल महिलाओं को स्वावलंबी बना रहा है, बल्कि उन्हें नेतृत्व, नवाचार और आर्थिक आत्मनिर्भरता के पथ पर अग्रसर कर रहा है। यह मिशन भविष्य में ग्रामीण भारत की आर्थिक शक्ति को पुनर्परिभाषित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
 
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