जिस देश ने एक महिला प्रधानमंत्री दी हो, दो महिला राष्ट्रपति दी हों और कई राज्यों में महिलाएं मुख्यमंत्री और राज्यपाल रह चुकीं हों, उसी देश में बड़े राजनीतिक दल महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारने की रिस्क नहीं लेते हैं। वे सिर्फ ऐसी ही महिला उम्मीदवारों को ही अपना प्रत्याशी बनाते हैं, जो सीट जिताऊ हो। यानी जिसमें जीतने का माद्दा हो। स्थिति यह है कि मध्यप्रदेश की पिछली 14 विधानसभाओं में साल 1957 से लेकर 2018 तक कुल 1 हजार 658 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। जबकि इनमें से 243 महिला प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचीं।
वर्तमान 2023 के विधानसभा चुनाव में तो आलम यह है कि जिस आमला सीट से चुनाव लड़ने के लिए डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया, उन्हें भी कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया।
क्या महिलाएं राजनीति में जगह बना पाएंगी?
बात चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा की, विधानसभा चुनाव 2023 में दोनों दलों की तरफ महिला प्रत्याशियों को लेकर कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। जिस हिसाब से मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2023 के लिए महिलाओं को टिकट देकर प्रत्याशी बनाया है, उसे देखकर लगता है कि अभी राजनीति में महिलाओं को अपनी जगह बनाने में काफी वक्त लगने वाला है।
33 प्रतिशत आरक्षण सपना होगा पूरा?
यह अलग बात है कि हाल ही में लोकसभा और राज्यसभा से नारी शक्ति वंदन यानी महिला आरक्षण विधेयक पारित हुआ। इसके बाद से ही राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को लेकर एक बार फिर से बहस चल पड़ी है। बता दें कि महिलाओं को आरक्षण संबंधी कानून बनने के बाद उन्हें लोकसभा और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।
किस पार्टी ने कितनी महिलाओं को दिया टिकट?
विधानसभा 2023 की बात करें तो मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। विधानसभा भाजपा ने सभी 230 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। इन 228 प्रत्याशियों में से भाजपा ने 28 महिला प्रत्याशियों को मौका दिया है। वहीं, कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस ने 30 सीटों पर महिला प्रत्याशियों को उतारा है। यानी मौजूदा स्थिति में दोनों में से किसी भी राजनीतिक दल ने 15 प्रतिशत टिकट भी महिलाओं को नहीं दिया है।
सरकारी नौकरी छोड़ी, नहीं मिला टिकट
मध्यप्रदेश के आमला सीट के लिए पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने चुनाव लड़ने के लिए डिप्टी कलेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया। वे कांग्रेस से बैतूल क्षेत्र के आमला सीट से चुनाव लड़ने के लिए टिकट लेने की कोशिश कर रही थीं। इसके लिए उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इस सीट से मनोज मालवे को टिकट दिया गया है। बता दें कि अपने इस्तीफे को लेकर उनके और राज्य सरकार के बीच जमकर विवाद भी हुआ। राज्य सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था। ऐसे में वे सुप्रीम कोर्ट तक गईं। बाद में उनका इस्तीफा स्वीकार किया गया। सियासत के मैदान में यह मामला जमकर सुर्खियों में रहा।
मध्यप्रदेश : 15 साल में 3 विधानसभाओं में महिला विधायकों की संख्या
पिछले 15 सालों में मध्यप्रदेश में महिला विधायकों की संख्या का विश्लेषण किया जाए तो पता चलता है कि साल 2013 में गठित 14वीं विधानसभा ही ऐसी थी, जिसमें कुल 230 सदस्यों में महिला विधायकों की संख्या 32 यानी लगभग 14 प्रतिशत थी। यह संख्या 15वीं विधानसभा (साल 2018) में घटकर 9 प्रतिशत यानी महिला विधायकों की संख्या घटकर 21 हो गई थी। जबकि 2008 में 24 महिला विधायक थीं।
साल भाजपा महिला उम्मीदवार कांग्रेस महिला उम्मीदवार जीत
2008 25 37 14-8
2013 28 23 22-6
2018 28 27 22-9
छत्तीसगढ : भाजपा ने छत्तीसगढ में इस बार 15 महिलाओं को मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने भाजपा से ज्यादा महिलाओं को टिकट दिया है। कांग्रेस ने विधानसभा के लिए 18 महिलाओं को मैदान में उतारा है।
विधानसभा- 2023 : महिला चेहरे जो चर्चा में हैं
राजनीति में ऐसे महिला चेहरों की बात करें जो इस विधानसभा चुनाव 2023 में चर्चा में बने हुए हैं तो उनमें राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता वसुंधरा राजे सिंधिया हैं। इसके साथ ही भाजपा की ही दीया कुमारी और सिद्धि कुमारी चर्चा में हैं। इधर मध्यप्रदेश की बात करें तो यहां रीति पाठक, गायत्री राजे पवार और डिप्टी कलेक्टर पद से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुकी निशा बांगरे चर्चा में हैं। हालांकि निशा बांगरे को टिकट नहीं मिल सका है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे निर्दलीय चुनाव लड़ सकती हैं।
महिला नेत्रियां जो मुख्यमंत्री बनीं
राजनीति में महिलाओं के वर्चस्व की बात करें तो महिलाओं ने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री से लेकर दो दो बार राष्ट्रपति पद तक का सफर तय किया है। इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। जबकि प्रतिभा पाटिल पहली राष्ट्रपति बनीं और वर्तमान में द्रौपदी मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। वहीं महिला मुख्यमंत्री की बात करें तो ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल), मायावती (उत्तरप्रदेश), मेहबूबा मुफ्ती (जम्मू- कश्मीर), वसुंधरा राजे (राजस्थान), उमा भारती (मध्यप्रदेश), आनंदी बेन पटेल (गुजरात), जयललिता (तमिलनाडु), शीला दीक्षित (दिल्ली) और सुषमा स्वराज (दिल्ली) की मुख्यमंत्री रहीं हैं।
मध्यप्रदेश में कब कितनी महिलाएं पहुंची विधानसभा?
मध्यप्रदेश में पिछली 14 विधानसभाओं की बात करें तो साल 1957 से लेकर साल 2018 तक कुल 1 हजार 658 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। जबकि 243 महिला प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंची।
चुनावी वर्ष चुनावी मैदान में विजयी
1957 36 15
1962 40 15
1967 17 10
1972 30 00
1977 48 10
1980 50 18
1985 75 31
1990 153 11
1993 153 12
1998 181 26
2003 199 19
2008 226 25
2013 200 30
2018 250 21