दतिया में नरोत्तम के सामने चेहरे पर कन्फ्यूज कांग्रेस, क्या पुराने चेहरे पर दांव लगाने की रणनीति होगी सफल?
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की सबसे हाईप्रोफाइल सीट दतिया खासी चर्चा के केंद्र में आ गई है। भाजपा के फायरब्रांड नेता और प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को उनके गढ़ में घेरने में कांग्रेस लगातार प्रयोग करती जा रही है। चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने एक समय में नरोत्तम मिश्रा के करीबी और संघ पृष्ठिभूमि से आने वाले अवधेश नायक को पार्टी में लाकर दतिया से चुनावी मैदान में उतार दिया लेकिन जब अवधेश नायक का विरोध दतिया से लेकर भोपाल तक होने लगा तब पार्टी ने उनका टिकट बदलकर अब अपने पुराने चेहरे राजेंद्र भारती पर फिर दांव लगाया है।
दतिया से कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होने के बाद राजेंद्र भारती ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “सत्य परेशान हो सकता है किंतु पराजित नहीं. आभार एवं धन्यवाद. सभी वरिष्ठ नेतृत्व एवं दतिया की देव तुल्य जनता जनार्दन व कांग्रेस के प्रिय सच्चे कार्यकर्ताओं, मेरे साथियों ने दिल्ली तक आवाज उठाई है। हमें गर्व है कि हमारे पास संघर्ष में आप जैसे साथी हैं जो कदम से कदम मिलाकर इस तानाशाही के खिलाफ 15 साल से संघर्ष कर रहे हैं।”
दतिया में दांव पर नरोत्तम की प्रतिष्ठा?-दतिया विधानसभा सीट पर भाजपा को पहली बार 1990 में जीत हासिल हुई थी। वहीं वर्तमान में इस सीट पर सूबे के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का कब्जा है। नरोत्तम मिश्रा दतिया विधानसभा सीट से 2008, 2013 और 2018 का चुनाव जीत चुके है। 2018 के विधानसभा चुनाव में नरोत्तम मिश्रा ने दतिया से जीत की हैट्रिक लगाकर लगातार तीन बार जीतने का रिकॉर्ड भी बनाया।
हलांकि साल 2018 में नरोत्तम मिश्रा मात्र ढाई हजार वोटों से जीत सके थे। चुनाव में उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार राजेन्द्र भारती को 2,656 वोटों से हराया था। अब एक बार फिर 2023 में चुनावी मुकाबला नरोत्तम मिश्रा बनाम राजेन्द्र भारती होने जा रहा है और मुकाबला काफी कांटे का हो सकता है। वही जिस तरीके से कांग्रेस ने पहले अवधेश नायक को टिकट देकर अब राजेंद्र भारती को फिर से टिकट दिया है, इसका असर भी चुनाव में दिख सकता है।
दतिया विधानसभा का जातिगत समीकरण-करीब 2 लाख वोटरों वाली दतिया विधानसभा सीट जातिगत समीकरण में उलझी हुई है। जातिगत समीकरण की बात करें तो दतिया में कुशवाहा समाज और ब्राह्मण समाज को वोटर निर्णायक भूमिका निभाते है। यहां करीब 30 हजार से ज्यादा ब्राह्मण वोटर्स हैं, जबकि करीब इतने कुशवाह समाज के लोगों की संख्या है। चुनाव में दोनों ही चेहरे नरोत्तम मिश्रा और राजेंद्र भारती दोनों ही ब्राह्मण चेहरे के तौर पर चुनावी मैदान में है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार नरोत्तम मिश्रा को कुल 72,209 वोट हासिल हुए थे वहीं कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र भारती को 69,553 वोट मिले थे, यानि जीत-हार का अंतर मात्र 2,656 था।
इस बार का चुनावी मुद्दा- दतिया विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा और आर-पार की जंग देखी जा रही है। पेड न्यूज के मामले में सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई टलने के बाद अब नरोत्तम मिश्रा के विधानसभा चुनाव साख का सवाल बन गया है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा कहते हैं कि वह दतिया के विकास के मुद्दें पर चुनावी मैदान में है और उन्हें पूर्ण विश्वास है कि एक बार फिर दतिया की जनता विकास के मुद्दें पर उनका साथ देगी। वहीं कांग्रेस चुनाव में जातिगण समीकऱण को साधकर एंटी इंकंमबेंसी के मुद्दें को पूरा भुनाने की तैयारी में है।