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Written By ND

आयोग के खर्चों पर नहीं कंट्रोल

आयोग के खर्चों पर नहीं कंट्रोल -
-प्रतिभा ज्योति
लोकसभा चुनाव पर निगरानी रखने के लिए बनाए गए चुनाव आयोग के कंट्रोल रूम में खर्चों पर ही कोई कंट्रोल नहीं था। तकरीबन 45 मंत्रालयों और विभागों के 60 उप सचिवों और अवर सचिवों को कंट्रोल रूम के काम में लगाया गया था। उनके खानपान और आने-जाने से लेकर पूरे कंट्रोल रूम को चलाने में करोड़ों रुपए खर्च किए गए।

मजे की बात यह कि बड़ी तादाद में फैक्स मशीनें और फोन लगे कंट्रोल रूम का नंबर ही आम मतदाताओं और राजनीतिक दलों को नहीं दिया गया था। ऐसे में कंट्रोल रूम में कभी-कभार ही कोई फैक्स या फोन पहुँचता था।

उप और अवर सचिवों के लिए यह चुनाव एक महीने तक किसी पिकनिक से कम नहीं रहा। तुर्रा यह कि बिना काम किए ही मौज मनाने वाले इन अवर सचिवों को अब मोटा मानदेय दिया जा रहा है।

चुनावी गतिविधियों पर नजर रखने और शिकायतों के निपटारे के लिए आयोग ने अपने कार्यालय में कंट्रोल रूम बनाया था। इसमें 45 मंत्रालयों और विभागों के 15 उप सचिवों और 45 अवर सचिवों को इस काम में लगाया गया। कंट्रोल रूम में सौ फैक्स मशीनें और 50 टेलीफोन लगाए गए। सूत्रों के मुताबिक करीब एक महीने के लिए बनाए गए कंट्रोल रूम में कभी-कभार ही कभी कोई फोन या फैक्स आया।

दरअसल आयोग ने कंट्रोल रूम के फोन और फैक्स नंबर की कोई पब्लिसिटी नहीं की। ऐसे में आम मतदाता या राजनीतिक दलों ने कोई शिकायत आने पर आयोग के नंबरों पर ही फोन और फैक्स किए। आचार संहिता से जुड़ी शिकायतें भी कंट्रोल रूम में नहीं बल्कि आयोग के विभिन्ना अफसरों के नंबरों पर पहुँचीं।

60 उप और अवर सचिवों के आने-जाने के लिए बड़ी तादाद में लग्जरी वाहनों का प्रबंध किया गया। नाश्ता-खाना आदि बड़े होटलों से मँगाया गया। अब इन सचिवों को 30-40 हजार रु. मानदेय भी देने की तैयारी हो रही है।

अनुमान है कि मानदेय पर भी आयोग को 22 लाख से लेकर 30 लाख रु. तक खर्च करने होंगे। आयोग के कुछ कर्मचारियों का आरोप है कि जिन अवर सचिवों को कंट्रोल रूम का काम सौंपा गया था वे चुनाव कार्यों से पूरी तरह अनभिज्ञ थे। आयोग में यह परंपरा रही है कि पहले कंट्रोल रूम में चुनाव आयोग के कर्मचारियों की ही तैनाती होती रही है। वे इस काम में कुशल भी हैं।-नईदुनिया