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Written By ND
Last Modified: जयपुर , रविवार, 3 मई 2009 (15:49 IST)

हर कोई खाता खोलने को आतुर

लोकसभा चुनाव
इस नए बने संसदीय क्षेत्र में खाता खोलने को हर कोई आतुर है। यहाँ कांग्रेस, भाजपा और कांग्रेस के बागी निर्दलीय के बीच रोचक त्रिकोणीय मुकाबला है। परिसीमन में जयपुर, दौसा और अलवर जिले के विधानसभा क्षेत्रों को जोड़कर इस नए संसदीय क्षेत्र का निर्माण किया गया है।

हरियाणा के नेता सुखवीर सिंह ने जौनपुरिया ने कांग्रेस टिकट की आस में कोटपुतली में बड़ा सम्मेलन करके अपनी ताकत भी दिखाई थी लेकिन कांग्रेस के लालचंद कटारिया को उम्मीदवार घोषित करने से नाराज होकर उन्होंने बगावत कर निर्दलीय मैदान में उतरना मुनासिब समझा। भाजपा ने ऐनवक्त पर विधायक राव राजेन्द्रसिंह को चुनाव की गाड़ी में बैठा दिया।

इस चुनाव क्षेत्र में कुल 21 उम्मीदवार है। कोटपुतली और शाहपुर को जिले का दर्जा देने की क्षेत्रीय माँग सहित अन्य मुद्दों के गौण होने पर अब जातिवाद भारी हो गया है। सभी प्रमुख प्रत्याशी अपनी जाति के अलावा अन्य जातिगत वोट बैक हथियाने की जुगाड़ में लगे हैं।

जातियों का गणित : जातिगत समीकरण के हिसाब से जयपुर (ग्रामीण) क्षेत्र में जाट, ब्राह्मण तथा अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। गुर्जर, यादव, मीणा, राजपूत, माली तथा वैश्य मतदाता भी चुनावी गणित को प्रभावित करने वाले हैं। जातिगत प्रत्याशियों के मैदान में बने रहने से कुछ जातियों के वोट निर्णायक हो सकते हैं।

इस नए लोकसभा क्षेत्र में ढाई से तीन लाख जाट और डेढ़ से दो लाख गुर्जर मतदाता हैं। इनके अलावा अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति, जनजाति, ब्राह्मण, राजपूत, माली और यादव मतदाताओं का ध्रुवीकरण त्रिकोणीय मुकाबले में शामिल उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेगा।

जौनपुरिया की आस टूटी : कांग्रेस से टिकट मिलने की उम्मीद में सुखवीरसिंह जौनपुरिया ने चुनाव सामग्री तैयार कर प्रचार क्षेत्र में बढत ले ली थी। लेकिन, निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अब उन्हें गुर्जर तथा अन्य समाज के लोगों की हमदर्दी में वोट मिलने का भरोसा हैं। गुर्जर नेता किरोडीसिंह बैसला को टोंक-सवाई माधोपुर से टिकट देने और प्रहलाद गुंजल के भाजपा में लौटने से गुर्जर मतों में विभाजन को स्वाभाविक माना जा रहा है।

जोड़तोड़ से बना क्षेत्र: इस क्षेत्र में शामिल आठ विधानसभा क्षेत्रों में झोटवाडा, शाहपुरा, आमेर, जमवारामगढ, पुलेरा, विराट नगर, कोटपुतली और बानसूर हैं। इनमें झोटवाड़ा तथा शाहपुरा क्षेत्र पहली बार अस्तित्व में आए हैं। कोटपुतली पहले दौसा संसदीय क्षेत्र में आता था। और बानसूर अलवर जिले का क्षेत्र हैं। इनमें से पाँच विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा तथा दो पर कांग्रेस काबिज है और एक सीट लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के हिस्से में है।