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Written By ND

एक नहीं चार-चार कल्याण

लोकसभा क्षेत्र - एटा

चुनाव आयोग
योगेश मिश्

इस परेशानी से बचने का कोई उपाय करने के लिए चुनाव आयोग में कल्याणसिंह ने अर्जी लगा रखी है। कल्याण सिंह को घेरने के लिए खड़े किए गए उनके हमनामों ने जिला प्रशासन को भी संकट में डाल दिया। यहाँ 19 उम्मीदवार हो गए हैं। ऐसे में दो ईवीएम मशीन हर पोलिंग बूथ पर लगानी होगी। एक मशीन में 16 से ज्यादा उम्मीदवारों के मतदान की व्यवस्था नहीं होती है।

एक नाम के तीन उम्मीदवार : पूर्व भाजपा नेता और मुलायमसिंह के हमकदम कल्याणसिंह का चुनाव चिह्न खाली गिलास है। पर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार अपनी किस्मत एटा लोकसभा क्षेत्र से ही आजमा रहे दो अन्य कल्याणसिंह का चुनाव चिह्न गुब्बारा और टोकरी है।

इन तीन कल्याणसिंह के अलावा 45 वर्षीय एक अन्य कल्याण भी मैदान में खम ठोंक रहे थे, मगर उनका पर्चा खारिज कर दिया गया। कल्याणसिंह के प्रशंसक इसे अपने नेता का चुनाव खराब करने की भाजपाई साजिश करार दे रहे हैं, पर इसे साबित करने का उनके पास कोई आधार नहीं है।

अब कल्याण और मुलायम समर्थक चाहते हैं कि गाँव का नाम या कुछ और लिखकर तीनों कल्याणसिंह को अलग-अलग किया जा सके। इस नई मुसीबत से बचने की कोशिशें कितनी परवान चढ़ेंगी, यह तो समय बताएगा।

पहले भी आई दिक्कत : वैसे सूबे की सियासत में एक ही नाम के लोगों की दिक्कतें नई नहीं हैं। भारतीय जनता पार्टी में कभी राजनाथसिंह नाम के दो राज्यसभा सदस्य होते थे। एक आज के पार्टी अध्यक्ष राजनाथसिंह और दूसरे पत्रकार से नेता बने राजनाथसिंह।

इस दिक्कत से निपटने के लिए पार्टी ने पत्रकार से राज्यसभा सदस्य बने राजनाथसिंह के नाम में सूर्य का तखल्लुस लगा दिया। मायावती सरकार में जयवीरसिंह नाम के दो मंत्री हैं। मायावती ने इन दोनों को अलग-अलग करने के लिए ठाकुर जयवीरसिंह और जयवीरसिंह किया।

इतना ही नहीं, जीतेंद्र कुमार नाम के तीन विधायक इस बार बसपा से जीत कर आए हैं। इन तीनों की अलग पहचान हो सके इसके लिए इनके नामों के आगे एडवोकेट, बबलू भैया और नंदू चौधरी जोड़ा गया।

बसपा संस्थापक भले ही कांशीराम रहे हों, पर भाजपा के टिकट पर विधायक बनने वालों में भी एक कांशीराम नाम के माननीय हैं। वे रामपुर से जीतकर आते हैं।