लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को शानदार जीत और सत्ताधारी भाजपा की करारी हार के बाद उत्तराखंड के निवासियों की केन्द्रीय मंत्रिमंडल के गठन और राज्य में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अब निगाहें दिल्ली पर टिक गई है।
पूरे 25 साल बाद लोकसभा चुनाव में सारी सीटें कांग्रेस को समर्पित करने वाले उत्तराखंड को इस बार दिल्ली की सत्ता में हिस्से को लेकर कांग्रेस से न्याय की उम्मीद है।
पिछली सरकार में उत्तराखंड से कोई मंत्री नहीं था। कांग्रेस संगठन में भी उत्तराखंड के किसी भी नेता को पद नहीं दिया गया था।
विधानसभा चुनाव में सतपाल महाराज को मध्यप्रदेश और झारखंड का समन्वयक तो बनाया गया मगर यह पद महासचिव स्तर का होते हुए भी उन्हें विधिवत संगठन में जिम्मेदारी नहीं दी गई। इससे पहले सतपाल महाराज कांग्रेस के सचिव रह चुके थे।
अब उत्तराखंड के कांग्रेसियों को उम्मीद है कि जनता ने जिस तरह कांग्रेस के प्रति अति उत्साह दिखाया, उसका अहसान कांग्रेस पार्टी यहां के किसी नेता को केन्द्र में मंत्री बनाकर अवश्य चुकाएगी। इसके पीछे सोच यह है कि उत्तराखंड के सभी पाँच नए सांसदों में सभी मंत्री बनने की काबिलियत रखते हैं। इनमें से दो तो हर लिहाज से काबिल मंत्री हो सकते हैं।
टिहरी से चुने गए विजय बहुगुणा दूसरी बार लोकसभा पहुँच रहे हैं और हाइकोर्ट के जज रह चुके हैं। उनके साथ एक नकारात्मक अंक यह भी है कि वह खंडूरी के फुफेरे भाई हैं। इन दोनों ही पर दोनों के दलों के अंदर एक दूसरे से साँठगाँठ करने के आरोप लगते रहे हैं।