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Last Modified: बुधवार, 22 मई 2024 (12:48 IST)

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उत्तर प्रदेश और बिहार के यादव वोटर्स में लगा पाएंगे सेंध?

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उत्तर प्रदेश और बिहार के यादव वोटर्स में लगा पाएंगे सेंध? - Will Madhya Pradesh Chief Minister Dr. Mohan Yadav be able to make a dent in the Yadav voters of Uttar Pradesh and Bihar
भोपाल। लोकसभा चुनाव से ठीक 4 महीने पहले हुए एमपी विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद भाजपा आलाकमान ने डॉ. मोहन यादव को मध्यप्रदेश की कमान सौंप कर हर किसी को चौंका दिया था। 18 साल के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान की जगह तीसरी बार के विधायक डॉ. मोहन यादव को मध्यप्रदेश की कमान सौंपने के पीछे कई सियासी निहितार्थ छिपे थे।

अब लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जिस तरह से दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार में पार्टी की चुनावी कमान संभाले हुए उससे यह साफ हो गया है कि भाजपा आलाकमान ने एक तीर से कई सियासी निशाने साधे थे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ताबड़तोड़ चुनावी रैली और रोड शो कर पार्टी आलाकमान के भरोसे और विश्वास पर पूरी तरह खरा उतरने की कोशिश कर रहे है।

मध्यप्रदेश में यादव वोट बैंक को साधा-लोकसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मैराथन चुनावी प्रचार किया है। वैसे तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने चुनाव के दौरान 139 चुनाव सभाओं को संबोधित करने के साथ 49 रोड शो किए लेकिन दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री ने उन क्षेत्रों पर खासा फोकस किया जहां पर चुनाव में जातीय समीकऱण हावी थे। जैसे मुख्यमंत्री मोहन यादव गुना-शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र के ताबड़तोड़ चुनावी दौरे किए जहां पर यादव वोटर्स की संख्या डेढ़ लाख से अधिक है। इसी तरह मुख्यमंत्री मोहन यादव ने खजुराहो, ग्वालियर, सागर, टीकमगढ़ लोकसभा सीट के यादव वोटर्स के बाहुल्य वाले इलाके में ताबड़तोड़ चुनावी रैलियां की।

अब उत्तर प्रदेश और बिहार में मैराथन चुनाव प्रचार-मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इन दिनों समाजवादी पार्टी के गढ़ में मैराथन चुनाव प्रचार कर रहे है। आज वह उत्तरप्रदेश की महाराजगंज, कुशीनगर और जौनपुर लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव दौरे  पर है। इसके बाद शाम को मुख्यमंत्री मोहन यादव बिहार पहुंच जाएगें। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज भाजपा के बड़े ओबीसी चेहरे पर दिल्ली, यूपी, बिहार से लेकर महाराष्ट्र तक ताबड़तोड़ चुनावी रैली और रोड शो कर रहे है।

मोहन के निशाने पर सपा और आऱजेडी-लोकसभा चुनाव के दौरान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निशाने पर कांग्रेस के साथ सपा और आरजेडी निशाने पर है। एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन याद ने कहा बिहार, यूपी में कुछ राजनीतिक दलों में परिवारवाद इतना हावी हैं कि वे सारे पद अपने ही घर में रख लेते हैं। किसी को मौका ही नहीं देते, लेकिन भाजपा में ऐसा नहीं होता है। अगर ऐसा होता तो मुझे कौन मौका देता। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोद ने मुझे ये मौका दिया है। भाजपा सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास को लेकर चलती है।

यादव वोटर्स को साधने की कोशिश-मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपनी चुनावी सभा के जरिए यादव वोटर्स को साधने की पूरी कोशिश करने के साथ विपक्ष पर तगड़ा हमला भी कर रहे है। वह उत्तर प्रदेश की ऐसी सीटों पर चुनाव प्रचार कर रहे है जहां पर समाजवादी पार्टी की स्थिति मजबूत मानी जा रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव समाजवादी पार्टी को कोर वोटबैंक यादव वोटर्स में सेंध लगाने की पूरी कोशिश कर रहे है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि उत्तरप्रदेश में कई दलों ने चार-चार बार सरकार बनाई, लेकिन आज तक वे मथुरा के अंदर भगवान श्रीकृष्ण को मुस्कुराहट नहीं दे पाए। जनता के पास वोट मांगने तो जाते थे, लेकिन वे भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण का मंदिर नहीं बनवा पाए। इतना ही नहीं ये तो इतने निष्ठुर है कि जब अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर बन गया तो वहां पर अब तक दर्शन करने के लिए भी नहीं जा सके हैं। ऐसे कांग्रेसियों के साथ समाजवादी वाले दोस्ती करते हैं।

इसके साथ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपने चुनावी भाषण में मथुरा का जिक्र करते हुए कन्हैया के लिए अयोध्या की तरह भव्य राममंदिर बनाने की बात कहते नजर आते है। विपक्ष पर निशाना साधते हुए वह कहते हैं कि भगवान श्रीराम के मंदिर बनने में कांग्रेस ने क्यों अड़ंगे लगाए? भगवान श्रीकृष्ण ने हमें शिक्षा का महत्व समझाया। उन्होंने उज्जैन में सांदीपनी आश्रम में जो शिक्षा ली उसके बल पर महाभारत के कठिन समय में भी संयम रखते हुए गीता का वाचन किया। इतनी अच्छी शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल होना चाहिए। मप्र में हमने सबसे पहले नई शिक्षा नीति के तहत अपने देवी-देवताओं के प्रसंगों को पाठ्यक्रम में शामिल किया।