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Last Updated : सोमवार, 11 मार्च 2019 (00:56 IST)

18 मार्च से 27 मई तक की चुनाव प्रक्रिया में होंगे लोकसभा और 4 विधानसभा चुनाव

18 मार्च से 27 मई तक की चुनाव प्रक्रिया में होंगे लोकसभा और 4 विधानसभा चुनाव - Lok Sabha Elections 2019
नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग द्वारा रविवार को बहुप्रतीक्षित 17वीं लोकसभा के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही देश में 11 अप्रैल से शुरु होने वाला चुनावी समर एक महीने से अधिक समय तक चलेगा। जिसमें एक ओर भाजपा फिर से सत्तारूढ़ होने का हरसंभव प्रयास करेगी, वहीं विपक्षी दल एकजुट होकर मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने की भरसक कोशिश करेंगे। 
 
आयोग ने लोकसभा और चार राज्यों- आंध्रप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम में विधानसभा के चुनाव का कार्यक्रम घोषित दिया है। इसके तहत 7 चरणों में 11 अप्रैल से 19 मई तक होने वाले मतदान के बाद 23 मई को मतगणना होगी। उल्लेखनीय है कि 2014 में 16वीं लोकसभा का चुनाव नौ चरण में कराया गया था।
 
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया कि पहले चरण के लिए 11 अप्रैल को होने वाले मतदान के लिए 18 मार्च को अधिसूचना जारी होने के साथ ही चुनाव प्रक्रिया शुरु हो जाएगी। जो कि 23 मई को मतगणना के बाद 27 मई को पूरी होगी। 
 
चुनाव आयुक्तों अशोक लवासा और सुशील चंद्रा के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में अरोड़ा ने कहा कि लोकसभा चुनाव कार्यक्रम घोषित किए जाने के साथ ही देश में चुनाव आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। इसके साथ ही सरकार ऐसा कोई नीतिगत फैसला नहीं कर सकेगी जो मतदाताओं के ‘निर्णय’ को प्रभावित कर सके। 
 
अरोड़ा ने बताया कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 20 राज्यों की 91 लोकसभा सीटों के लिए 11 अप्रैल को मतदान होगा। दूसरे चरण में 13 राज्यों की 97 लोकसभा सीटों पर 18 अप्रैल को होने वाले मतदान के लिए 19 मार्च को अधिसूचना जारी होगी। जबकि तीसरे चरण में 14 राज्यों की 115 सीटों पर 23 अप्रैल को प्रस्तावित मतदान की अधिसूचना 28 मार्च को जारी होगी।
 
इसी तरह चौथे चरण में नौ राज्यों की 71 लोकसभा सीटों पर 29 अप्रैल को होने वाले मतदान के लिए दो अप्रैल को, पांचवें चरण में सात राज्यों की 51 सीटों पर छह मई को होने वाले मतदान के लिए दस अप्रैल को, छठे चरण में सात राज्यों की 59 सीटों पर 12 मई को होने वाले मतदान के लिए 16 अप्रैल को और सातवें व अंतिम चरण में आठ राज्यों की 59 सीटों पर 19 मई को होने वाले मतदान के लिए 22 अप्रैल को अधिसूचना जारी होगी।
 
आगामी चुनाव में भाजपा की अगुवाई वाले राजग के खिलाफ कांग्रेस, वामदल और अन्य क्षेत्रीय दल एकजुट होकर खड़े होंगे। इसके लिए विपक्षी दल ‘महागठबंधन’ बनाने के लिए प्रयासरत हैं, ताकि मोदी सरकार के पक्ष में मतों के ध्रुवीकरण को रोकते हुए विपक्षी दलों के परंपरागत मतों के विभाजन को न्यूनतम किया जा सके। 
 
इस बीच भाजपा चुनाव में अपने सहयोगियों के साथ कुछ नए दलों को जोड़ने में सफल रही है। इसके लिए सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा ने बिहार सहित अन्य राज्यों में सहयोगी दलों के साथ रियायत बरती है। हालांकि विपक्षी दलों को तमाम राज्यों में सीटों के बटवारे की प्रक्रिया को अभी अंतिम रूप देना बाकी है। 
 
इस चुनाव में राजग की कोशिश दूसरी बार सत्ता हासिल कर इतिहास बनाने की है वहीं, विपक्ष मोदी सरकार को रोजगार, आर्थिक विकास, भ्रष्टाचार और सामाजिक सौहार्द सहित कई मुद्दों पर उसके प्रदर्शन पर सवाल उठाते हुए राजग की सत्ता में वापसी को रोकने के लिए प्रयासरत है। 
 
उल्लेखनीय है कि अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाले राजग ने 1998 और 1999 के चुनाव में लगातार दो बार सत्तारूढ़ होने में कामयाबी हासिल की थी लेकिन उनकी सरकार एक बार ही अपना कार्यकाल पूरा कर सकी।
 
अरोड़ा ने बताया कि 11 अप्रैल से 19 मई तक होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ ही आंध्र प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम में विधानसभा चुनाव भी कराए जाएंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस दौरान जम्मू कश्मीर में सुरक्षा कारणों से विधानसभा चुनाव नहीं होगा। 
 
अरोड़ा ने बताया कि पहले चरण में 11 अप्रैल को आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और सिक्कम में लोकसभा सीटों के लिए होने वाले मतदान के साथ ही इन राज्यों की विधानसभा सीटों के लिए भी मतदान होगा। जबकि ओडिशा में चार चरण में 11, 18, 23 और 29 अप्रैल को लोकसभा सीटों के साथ ही विधानसभा सीटों के लिए भी मतदान होगा। इन राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना भी लोकसभा चुनाव की मतगणना के साथ 23 मई को होगी। 
 
अरोड़ा ने स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव के साथ नहीं होंगे। उल्लेखनीय है कि पिछले साल नवंबर में जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग किए जाने के बाद मई से पहले राज्य में चुनाव कराना अनिवार्य है। जम्मू कश्मीर में सुरक्षा संबंधी जटिल हालात को देखते हुए राज्य की छह लोकसभा सीटों पर ही पांच चरण में चुनाव होगा। 
 
उन्होंने कहा कि आयोग ने जम्मू कश्मीर में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव कराने के लिए पर्याप्त मात्रा में केन्द्रीय सुरक्षा बलों की उपलब्धता नहीं हो पाने के कारण राज्य में सिर्फ लोकसभा चुनाव कार्य्रकम ही घोषित करने का फैसला किया है। राज्य में सुरक्षा हालात की संवेदनशीलता का हवाला देते हुए अरोड़ा ने कहा कि अनंतनाग लोकसभा सीट पर तीन चरणों में मतदान कराया जाएगा। 
 
उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा का 6 साल का कार्यकाल 16 मार्च 2021 तक निर्धारित था, लेकिन पिछले साल राज्य में सत्तारूढ़ पीडीपी-भाजपा गठबंधन टूटने के कारण विधानसभा भंग कर दी गई थी। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार जम्मू कश्मीर को छोड़कर अन्य सभी राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल पांच वर्ष होता है। 
 
अरोड़ा ने बताया कि लोकसभा की 543 सीटों पर चुनाव के लिए देश में लगभग 10 लाख मतदान केन्द्र बनाए गए हैं। पिछले चुनाव में मतदान केन्द्रों की संख्या 9 लाख थी। इस चुनाव में लगभग 90 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। पिछले चुनाव में मतदाताओं की संख्या 84.3 करोड़ थी। 
 
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में इस बार प्रत्येक मतदान केन्द्र पर वीवीपैट युक्त ईवीएम का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे पहले प्रत्एक सीट के किसी एक मतदान केन्द्र पर ईवीएम के साथ वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाता रहा है। वीवीपैट की मदद से मतदाता को उसके मतदान की पर्ची देखने को मिलती है, जिससे वह अपने मत की पुष्टि कर सकता है। 
 
चुनाव कार्यक्रम के मुताबिक आंध्रप्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटों पर पहले चरण में 11 अप्रैल को और तमिलनाडु की सभी 39 सीटों पर दूसरे चरण में 18 अप्रैल को चुनाव होगा। वहीं, सर्वाधिक सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश की 80, पश्चिम बंगाल की 42 और बिहार की 40 सीटों पर सात चरणों में वोट डाले जाएंगे। इसके अलावा महाराष्ट्र की 48 और मध्य प्रदेश की 29 सीटों पर चार चरणों में मतदान होगा। 
 
उल्लेखनीय है कि पिछले लोकसभा चुनाव में राजग ने 336 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसमें अकेले भाजपा की हिस्सेदारी 282 सीटों की रही। इस चुनाव में कांग्रेस को महज 44 सीटों पर ही जीत मिली थी। 
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