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Written By सुरेश डुग्गर
Last Modified: बुधवार, 10 अप्रैल 2019 (19:23 IST)

बारामूला लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला, रशीद कर सकते हैं उलटफेर

बारामूला लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला, रशीद कर सकते हैं उलटफेर - Baramulla Lok Sabha seat
जम्मू। एलओसी से सटे और आतंकवाद मुक्त घोषित बारामूला में गुरुवार को होने जा रहे प्रथम चरण के मतदान में सांसद बनने के लिए मैदान में उतरे 9 प्रत्याशियों में सिर्फ 3 के बीच ही मुख्य चुनावी मुकाबला नजर आ रहा है। नेकां, पीडीपी और पीसी में नजर आ रहे त्रिकोणीय संघर्ष में अगर कोई खलल डालते हुए कोई बड़ा उलटफेर करेगा तो वेे इंजीनियर रशीद ही हैं।
 
पहले चरण में शामिल बारामूला-कुपवाड़ा संसदीय सीट पर नौ प्रत्याशियों में कांग्रेस के हाजी फारुक अहमद मीर, भाजपा के मोहम्मद मकबूल वार, जेकेएनपीपी के जहांगीर खान, जेकेपीडीपी के अब्दुल कयूम वानी, जम्मू-कश्मीर नेशनल कान्फ्रेंस के मोहम्मद अकबर लोन, जेकेपीस के मोहम्मद अकबर अली और निर्दलीय जावेद अहमद कुरैशी, इंजीनियर रशीद हैं।
 
इन सभी के भाग्य का फैसला गुरुवार को 1317738 मतदाता पूरे क्षेत्र में बने 1749 मतदान केंद्रों में वोटिंग मशीन का बटन दबाकर करेंगे। इस पूरे क्षेत्र में लगभग 98 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम ही हैं। अन्य दो प्रतिशत मतदाताओं में सिख, कश्मीरी पंडित व अन्य अल्पसंख्यक हैं। कश्मीरी पंडित मतदाताओं में करीब 10 हजार विस्थापित हैं।
 
मतदान कश्मीर में चुनाव बहिष्कार की सियासत के बीच जिस तरह से बीते दो दशकों में मतदान का ट्रेंड रहा है, उसके मुताबिक शहरी इलाकों व कस्बों में मतदान का प्रतिशत कम रहता है। गुरेज, करनाह, टंगडार, लोलाब, उड़ी, कुपवाड़ा और बांदीपुरा के ऊपरी इलाकों में मतदान का प्रतिशत ज्यादा रहता है। कश्मीर की सियासत के पंडितों का मानना है कि चुनाव में प्रत्याशियों की जीत एलओसी के साथ सटे और ग्रामीण इलाकों में जहां-जहां उनका प्रभाव है, में होने वाले मतदान से ही तय होगी। इन क्षेत्रों में प्रत्याशियों की नजर है।
 
पिछले विधानसभा चुनाव में सोनवारी से चुनाव जीतने वाले अकबर लोन का न सिर्फ जिला बांदीपुरा में अपना वोट बैंक है बल्कि उन्हें नेकां का उम्मीदवार होने का भी क्षेत्र में फायदा मिलेगा। नेकां का वोटर तीनों जिलों में फैले हैं। इसके अलावा उड़ी, गुरेज, बारामूला जिले के निचले हिस्सों और सोपोर में नेकां की स्थिति मजबूत है। इतना ही नहीं, पीडीपी के प्रति लोगों में गुस्सा भी उनके हक में जा रहा है। बारामूला संसदीय सीट में कुपवाड़ा और बांडीपोरा जिलों के कई इलाकों में बर्फ जमी हुई है।
 
वर्ष 2014 में पीडीपी के मुजफ्फर हुसैन ने यह सीट जीती थी, लेकिन इस बार मुजफ्फर हुसैन यहां से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। कर्मचारी संगठन के नेता रहे अब्दुल कयूम वानी को पीडीपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। उत्तरी कश्मीर में पीडीपी के कई वरिष्ठ नेता उससे किनारा कर चुके हैं, लेकिन पीडीपी को इस क्षेत्र में खत्म हुआ नहीं माना जा सकता। वानी के साथ कर्मचारी संगठनों के वोट हैं। इसके अलावा बारामूला व उसके आसपास के इलाकों में आज भी पीडीपी का अच्छा खास जनाधार है। महबूबा मुफ्ती ने भी इस इलाके में जो रैलियां की हैं, उनमें लोगों की भीड़ बताती है कि वानी चुनाव में कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
 
सज्जाद गनी लोन के नेतृत्व वाली पीपुल्स कॉन्फेंस के उम्मीदवार राजा एजाज अली को अपने निजी वोट बैंक के अलावा लोन व शिया नेता इमरान रजा अंसारी के समर्थकों का पूरा साथ मिलेगा। इस क्षेत्र में लोन के लगभग एक लाख समर्थक हैं, जिनमें से 60 से 70 प्रतिशत वोट डालने आएंगे। इसके अलावा राजा एजाज अली पहाड़ी हैं और उन्हें पहाड़ी समुदाय का सहयोग मिलेगा। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने उड़ी सीट पर पीडीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। हंदवाड़ा, पट्‍टन, उड़ी, कुपवाड़ा व करनाह में पीपुल्स कॉन्फेंस की मजबूती का उन्हें फायदा मिलेगा।
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