उत्तर प्रदेश की गोरखपुर लोकसभा सीट सबसे प्रतिष्ठित सीट मानी जाती है, यही कारण है कि यह सीट हमेशा ही चर्चा में रही है। योगी आदित्यनाथ के उत्तराधिकारी के रूप में भाजपा ने यहां भोजपुरी सुपरस्टार रवि किशन पर दांव चला है। हालांकि इससे पहले रवि किशन यहां कांग्रेस की ओर से चुनाव हार चुके हैं।
परिचय : उत्तर प्रदेश के प्रमुख जिले गोरखपुर की पहचान देश में राजनीतिक और ऐतिहासिक शहर के रूप में है। गोरखपुर उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में पड़ोसी देश नेपाल से लगा एक प्रमुख जिला है। गोरखनाथ मंदिर के चलते जिले की पहचान देश के साथ विदेशों में भी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इसी गोरखनाथ मंदिर से आते हैं।
जनसंख्या : साल 2011 की जनगणना के मुताबिक गोरखपुर जिले की कुल जनसंख्या 44,36,275 है, जिसमें पुरुषों की संख्या 22,81,763 और महिलाओं की संख्या 21,54,512 है।
अर्थव्यवस्था : गोरखपुर की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार टेराकोटा उद्योग है। इसके साथ ही शहर की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से सेवा उद्योग पर आधारित है। पड़ोसी देश नेपाल से सटा होने के चलते जिले में व्यापार की हालत काफी अच्छी है।
मतदाताओं की संख्या : गोरखपुर में मतदाताओं की संख्या 19,04,498 है। इसमें पुरुष मतदाता 10,55,476 और महिला मतदाताओं की संख्या 8,49,022 है। मतदाताओं के जातीय समीकरण देखें तो इस सीट पर निषाद जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक 3.50 लाख, यादव और दलित मतदाताओं की संख्या दो-दो लाख से अधिक तो ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या डेढ़ लाख के करीब है।
भौगोलिक स्थिति : गोरखपुर शहर राप्ती और रोहिणी दो नदियों के तट पर बसा हुआ है। जिले की उत्तरी सीमा नेपाल से, पूर्वी सीमा बिहार से, दक्षिण सीमा जौनपुर, गाजीपुर व फैजाबाद जिले से तथा पश्चिमी सीमा गोंडा और बहराइच जिले से मिलती है।
16वीं लोकसभा में स्थिति : सोलहवीं लोकसभा में योगी आदित्यनाथ यहां से सांसद चुने गए थे लेकिन योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बन जाने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ जिसमें समाजवादी पार्टी के प्रवीण कुमार निषाद विजयी रहे।