भाकपा और माकपा की भारत में स्थापना
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की स्थापना अंग्रेजी शासनकाल में 1920 में ताशकंद में एमएन रॉय, अबनी मुखर्जी, मोहम्मद अली और कुछ अन्य नेताओं के सहयोग से हुई थी। भाकपा का भारत में पहला अधिवेशन 26 दिसंबर 1925 को कानपुर में हुआ था। पार्टी की वेबसाइट के मुताबिक इसकी स्थापना का वर्ष भी दिसंबर 1925 ही है। वर्तमान में इस दल के महासचिव सुधारकर रेड्डी हैं। इसका चुनाव चिह्न हसिया और बाली है।
वर्ष 1957 के लोकसभा चुनावों के बाद पार्टी सबसे बड़े विपक्षी दल के रूप में उभरी। 1964 में पार्टी में विभाजन हुआ और सीपीएम का गठन हुआ। सीपीआई ने 1970-77 के बीच कांग्रेस से तालमेल कर केरल में सरकार बनाई। इंदिरा गांधी के हाथों से सत्ता जाने के बाद पार्टी ने कांग्रेस का दामन छोड़कर सीपीएम से दोस्ती कर ली।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी : भाकपा के विभाजन के बाद कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्क्सवादी (माकपा) का गठन 7 नवंबर 1964 को हुआ था। वर्तमान में इसके महासचिव सीताराम येचुरी हैं। इसका चुनाव चिह्न हसिया और हथोड़ा है। इसके संस्थापक ज्योति बसु और ईएमएस नंबूदरीपाद थे। बसु लंबे समय तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे।
1971 के लोकसभा चुनाव में सीपीएम को 25 सीटें मिलीं, जिनमें से 20 सीटें पार्टी ने पश्चिम बंगाल में हासिल कीं। इसी साल विधानसभा चुनाव में भी सीपीएम को पश्चिम बंगाल में सबसे ज़्यादा सीटें मिलीं। 1977 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने बहुमत हासिल किया और ज्योति बसु मुख्यमंत्री बने।