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Written By WD Feature Desk
Last Modified: शुक्रवार, 31 जनवरी 2025 (13:16 IST)

रामसरूप के बहाने कहानी हमारे समाज का 360 डिग्री एंगल

रामसरूप के बहाने कहानी हमारे समाज का 360 डिग्री एंगल - janwadi lekhak sangh indore madhya pradesh
इन्दौर। जनवादी लेखक संघ, इंदौर इकाई द्वारा मासिक रचना पाठ के 136वें क्रम में पुश्किन सम्मान प्राप्त चर्चित कथाकार पंकज सुबीर का 29 जनवरी को कहानी पाठ फेसबुक लाइव किया गया। शुरुआत करते हुए देवेन्द्र रिणवा ने कथाकार परिचय दिया। पंकज सुबीर ने "रामासरूप अकेला नहीं जाएगा" का पाठ किया जो कि हमारे समय के सबसे ज्वलंत मुद्दे AI पर आधारित थी। प्रदीप मिश्र ने कहानी पर बात करते हुए कहा कि यह कहानी बहुत ही सधे हुए ढंग से अपने विषय वस्तु को प्रस्तुत करती है। रजनी रमण शर्मा ने कहा कि कहानी स्पष्ट है और अपने उद्देश्य में सफल है।
 
सुपरिचित कहानीकार राज नारायण बोहरे ने कहा कि कहानी में बीच में नायक के लिए वह इस्तेमाल होने लगा था जिसका प्रयोग न कर पंकज ने सीधा नायक के नाम को रामस्वरूप से रामसरुप हो जाने और उसके जीवन में काम मिलते जाने से लेकर छूट जाने का पूरा वर्णन किया है। इसमें एक प्रयोग आता है कि वह मंदिर छोड़ कर उड़ गया। इस तरह के प्रयोग कहानी को सशक्त बनाने में मदद करते हैं।
 
विशेष टिप्पणी करते हुए अरुण आदित्य ने कहा कि पहले तो इसे शीर्षक रोचकता प्रदान करता है जिससे पाठक कहानी पढ़ना तो शुरू ही कर दे। फिर पूर्वार्ध तो छोड़िए अंतिम दृश्य से पहले भी अंत की प्रतीक्षा रहती है जो इस कहानी की कामयाबी है। रामसरुप के बहाने यह कहानी हमारे समाज का 360 डिग्री का एंगल दिखाती है, कृषि से धर्म, फिर लॉन्ड्री, फर्नीचर तक होते हुए कॉरपोरेट सेक्टर तक जाकर ठीक उल्टे पाँव वापस लौटती है और तब एक बेरोजगार हुए आदमी के पास मशीनीकरण के कारण कुछ काम नहीं बचता। तकनीक किस प्रकार से हमारी सामाजिक संरचना को प्रभावित कर रही है, यह कहानी उसके बेहतरीन उदाहरण के रूप में हमारे सामने आती है। स्थानीय मुहावरों का प्रयोग इस कहानी की विशेषता है।
 
तकनीक के कारण रोज़गार जाने की समस्या को अपनी टिप्पणियों में उपस्थित लोगों ने भी रेखांकित किया, जिनमे आनंद व्यास, अनिता रश्मि, सुरेश उपाध्याय, सुधीर कुमार सोनी, अखिलेश सोनी, नंद भारद्वाज, प्रियंका कवीश्वर  शामिल थे। कार्यक्रम का यह संचालन प्रदीप कान्त ने किया और आभार देवेंद्र रिणवा ने।