Kartik Month 2025 Date and Significance: कार्तिक मास हिंदू पंचांग के अनुसार आठवां महीना है, जिसे चातुर्मास का अंतिम और सबसे पुण्यकारी महीना माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि "मासानां कार्तिकः श्रेष्ठः" अर्थात सभी महीनों में कार्तिक मास सर्वश्रेष्ठ है। यह महीना भगवान विष्णु की पूजा, दान-पुण्य और पवित्रता के लिए समर्पित है। इस माह की पवित्रता का मुख्य कारण यह है कि यह देवोत्थानी एकादशी के साथ समाप्त होता है, जब भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं, और पुनः सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं। इसीलिए इस मास में किए गए धार्मिक कार्य अक्षय पुण्य प्रदान करते हैं।
कार्तिक मास का महत्व
• विष्णु और लक्ष्मी की कृपा: कार्तिक मास को दामोदर मास भी कहा जाता है, जो भगवान विष्णु का ही एक नाम है। इस महीने में उनकी और माता लक्ष्मी की आराधना करने से जीवन में सुख, समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
• तुलसी का विशेष महत्व: कार्तिक में तुलसी पूजन (Tulsi Pujan) का विशेष महत्व है। तुलसी को भगवान विष्णु की पत्नी कहा जाता है। इस माह में तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) करना और तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाना अत्यंत शुभ फलदायी होता है।
• पवित्रता और मोक्ष: पद्म पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार, यह मास धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाला है। इस दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से अनजाने में किए गए सभी पापों का नाश हो जाता है।
• त्योहारों का समागम: करवा चौथ, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज और छठ पूजा जैसे सभी बड़े त्योहार इसी महीने आते हैं, जो इसे सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण बना देते हैं।
कार्तिक मास में क्या करें
1. कार्तिक स्नान: सूर्योदय से पूर्व उठकर किसी पवित्र नदी, घाट या घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। वैज्ञानिक आधार पर यह मौसम परिवर्तन का समय होता है, और ठंडे जल से स्नान करना शरीर को ऋतु परिवर्तन के लिए तैयार करता है।
2. दीपदान: कार्तिक मास को दीपों का महीना कहा जाता है। तुलसी के पौधे के पास, मंदिर में, और नदी के किनारे घी का दीपक जलाना चाहिए। इससे जीवन का अंधकार दूर होता है और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
3. तुलसी सेवा: प्रतिदिन शाम को तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं और तुलसी की परिक्रमा करें।
4. दान-पुण्य: इस महीने में अन्नदान, वस्त्रदान और ब्राह्मण भोजन कराना विशेष फलदायी माना गया है।
5. ब्रह्मचर्य और संयम: पूरे महीने संयम का पालन करें और सात्विक जीवन शैली अपनाएं।
कार्तिक मास में क्या करने से बचें
1. दालों का सेवन: इस महीने में दलहन (दालें) जैसे उड़द, मूंग, मसूर दाल और मटर का सेवन वर्जित माना गया है। इसका कारण पाचन से जुड़ा हो सकता है, क्योंकि ठंड के मौसम में पेट को हल्का भोजन चाहिए होता है।
2. तामसिक भोजन: मांस, मदिरा, प्याज और लहसुन (तामसिक भोजन) का सेवन भूलकर भी न करें।
3. शरीर पर तेल लगाना: नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) के दिन को छोड़कर, इस माह में शरीर पर तेल लगाने से बचना चाहिए।
4. दोपहर में सोना: इस पवित्र महीने में दोपहर के समय सोने की मनाही की गई है। सुबह जल्दी उठकर पूजा-पाठ और जप-तप करने पर जोर दिया जाता है।
5. क्रोध और वाद-विवाद: इस दौरान क्रोध, ईर्ष्या और वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए और मन को शांत रखना चाहिए।
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