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  4. World leaders are trying to woo Donald Trump
Written By DW
Last Updated : सोमवार, 30 जून 2025 (09:21 IST)

ट्रंप को साधने के लिए क्या क्या कर रहे हैं दुनियाभर के नेता

Donald Trump
-विवेक कुमार एपी
 
तारीफें, चापलूसी और धमकियां। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को साधने के लिए दुनियाभर के नेता कई तरह की रणनीतियां अपना रहे हैं। क्योंकि कोई नहीं जानता कि ट्रंप कब क्या करेंगे। जब ईरान और इजराइल के बीच युद्ध चल रहा था तो एक रिपोर्टर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पूछा कि वह क्या करेंगे। उनका जवाब था, 'मैं नहीं जानता, मैं क्या करूंगा। कोई नहीं जानता कि मैं क्या करूंगा।'
 
यह एक बयान डोनाल्ड ट्रप की पूरी विदेश नीति को जाहिर कर देता है। वह किस देश के बारे में कब क्या फैसला लेंगे, इसका अंदाजा लगाना लगभग नामुमकिन है। इसीलिए, बहुत से देशों के नेता उन्हें साधने में मुश्किल महसूस कर रहे हैं।
 
शुक्रवार को ट्रंप ने एक बार फिर अपनी अप्रत्याशित विदेश नीति का उदाहरण पेश किया, जब उन्होंने कनाडा के साथ व्यापार वार्ताएं अचानक तोड़ दीं। इसकी वजह कनाडा के नए डिजिटल सेवा कर को बताया गया, जो अमेरिकी टेक कंपनियों पर लागू किया गया है। लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह केवल आर्थिक विवाद नहीं, बल्कि उस बड़े पैटर्न का हिस्सा है जिसमें दुनिया के नेता ट्रंप को साधने के लिए नई-नई रणनीतियां अपना रहे हैं।
 
ट्रंप-प्रबंधन की नई कला
 
ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल के 6ठे महीने में प्रवेश कर चुके हैं। अब वैश्विक नेताओं ने उनकी अस्थिरता और धमकियों को एक रणनीतिक चुनौती की तरह लेना शुरू कर दिया है। ब्रिटेन से लेकर जापान तक, नेताओं ने यह समझ लिया है कि ट्रंप को खुश रखने के लिए तारीफ, व्यक्तिगत ध्यान और एजेंडे की चतुराई से रचना ही सबसे असरदार तरीका है।
 
हाल ही में हुए जी7 शिखर सम्मेलन में कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने ट्रंप का स्वागत करते हुए उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं और कहा, 'जी7 अमेरिकी नेतृत्व के बिना अधूरा है।' लेकिन जब ट्रंप ने मंच पर अपनी पुरानी लाइन पर बोलना शुरू किया, तो कार्नी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बीच में ही खत्म कर दी। इसके अगले ही दिन ट्रंप सम्मेलन से समय से पहले चले गए।
 
इस बीच, ट्रंप ने ईरान-इजराइल संघर्ष को लेकर खुद को 'शांति के निर्माता' के रूप में पेश किया। उन्होंने इजराइली और ईरानी नेताओं को खुले मंच पर फटकार लगाते हुए संघर्षविराम की घोषणा की। इजराइल के खिलाफ किसी अमेरिकी राष्ट्रपति को इस तरह के तीखे शब्दों का इस्तेमाल करने नहीं सुना जाता, जैसे ट्रंप ने किए।
 
व्यापार पर दबाव, सैन्य गठजोड़ में लचीलापन
 
कनाडा, अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और दोनों देशों के बीच पिछले साल 760 अरब डॉलर से अधिक का व्यापार हुआ। ट्रंप ने चेतावनी दी कि अमेरिका एक हफ्ते के भीतर कनाडा पर नया टैरिफ लगाएगा जिसकी दरें 25 फीसदी तक हो सकती हैं। अमेरिका पहले ही यूरोपीय देशों पर डिजिटल टैक्स को लेकर जवाबी कार्रवाइयों की योजना बना चुका है।
 
हाल ही में ब्रसेल्स में हुई नाटो बैठक में यह स्पष्ट हो गया कि ट्रंप अब भी पश्चिमी सैन्य गठजोड़ की धुरी बने हुए हैं, लेकिन केवल उस सीमा तक, जहां वे अपना मनचाहा हासिल कर सकें। सम्मेलन की अवधि घटा दी गई, रूस-यूक्रेन युद्ध चर्चा से बाहर कर दिया गया और केंद्र में रखा गया सिर्फ एक मुद्दा: सदस्य देशों को अपने रक्षा खर्च में वृद्धि करनी होगी।
 
ट्रंप के पहले कार्यकाल में व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहीं फिओना हिल कहती हैं, 'यह पूरा सम्मेलन इस बात पर केंद्रित था कि ट्रंप को कैसे संभाला जाए, न कि किसी ठोस नीति आधारित परिणाम पर।'
 
नेताओं ने ट्रंप को खुश रखने के लिए निजी संदेश, राजसी मेहमाननवाजी और नाटकीय प्रशंसा की रणनीति अपनाई। नाटो प्रमुख मार्क रुटे ने ट्रंप को 'बहुत बड़ी सफलता' का निजी संदेश भेजा जिसे ट्रंप ने गर्व से अपने सोशल मीडिया पर साझा किया। सम्मेलन के दौरान रुटे ने ट्रंप की ईरान-इजराइल मध्यस्थता की तुलना 'स्कूल के झगड़े को शांत करते पिता' से की।

ट्रंप ने जवाब दिया, 'उन्हें मैं पसंद हूं।' हालांकि सभी नेता इससे खुश नहीं थे। लिथुआनिया के पूर्व विदेश मंत्री गेब्रिएलियस लैंड्सबर्गिस ने ट्वीट किया कि यह 'कमजोरी की पराकाष्ठा' है और यूरोप अमेरिका के सामने 'भीख मांगने वाले' की स्थिति में दिखाई देता है।
 
भारत और जापान से नए समीकरण
 
ट्रंप प्रशासन के मुताबिक अमेरिका भारत और जापान जैसे देशों के साथ नई व्यापार संधियों पर काम कर रहा है। भारत का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल वॉशिंगटन पहुंच चुका है और जापान ने कहा है कि वह 'पारस्परिक लाभकारी समझौते' की दिशा में आगे बढ़ रहा है। ट्रंप का कहना है कि यदि सभी देश समझौते पर नहीं पहुंचे, तो उन्हें एक पत्र मिलेगा: 'बधाई हो, अब आप 25 फीसदी टैक्स देंगे।'
 
ट्रंप की विदेश नीति अब 'डीलमेकिंग' से अधिक 'इवेंट मैनेजमेंट' बन चुकी है, जहां उनके मूड, मीडिया कवरेज और मंच की चमक सबसे बड़ी प्राथमिकताएं हैं। नाटो सम्मेलन में ट्रंप न सिर्फ समय पर पहुंचे, बल्कि उन्होंने कोई सार्वजनिक विवाद नहीं किया, और रॉयल पैलेस में 'बहुत अच्छी नींद' ली। नेताओं के लिए यही सबसे बड़ी सफलता थी। अब जब ट्रंप कनाडा के खिलाफ आर्थिक कार्रवाई की ओर बढ़ रहे हैं, दुनिया यह देख रही है कि कौन झुकेगा, कौन रुकेगा, और कौन अगला निशाना बनेगा।