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Written By DW
Last Updated : शनिवार, 7 नवंबर 2020 (12:21 IST)

क्या निजी कंपनियां स्थानीय लोगों को नौकरी में 75 फीसदी आरक्षण देंगी?

Private companies | क्या निजी कंपनियां स्थानीय लोगों को नौकरी में 75 फीसदी आरक्षण देंगी?
रिपोर्ट : आमिर अंसारी
 
हरियाणा विधानसभा में निजी क्षेत्र में नौकरी में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण देने का बिल पारित हो गया। इस बिल का विपक्ष ने विरोध किया था। कानून बनने के बाद प्रदेश के युवाओं को निजी क्षेत्र में नौकरी मिल पाएगी।
 
हरियाणा सरकार ने निजी क्षेत्र में 75 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। गुरुवार को इस संबंध में विधानसभा में एक बिल पास किया गया। यह कानून राज्य में चल रही उन कंपनियों, सोसायटी, ट्रस्ट और फर्म पर लागू होगा जिनमें 10 से ज्यादा कर्मचारी हैं। हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार विधेयक, 2020 के मुताबिक यह कानून 50 हजार रुपए मासिक वेतन तक की नौकरियों पर ही लागू होगा। 75 फीसदी नौकरी के अलावा बाकी 25 फीसदी नौकरियों के लिए प्रदेश के बाहर के लोग नियुक्त किए जा सकते हैं।
 
प्रदेश में बीजेपी की सहयोगी जननायक जनता पार्टी ने चुनाव से पहले इसका वादा भी किया था। हरियाणा के उपमुख्यमंत्री और जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला ने ट्वीट कर कहा कि हरियाणा के लाखों युवाओं से किया हमारा वादा आज पूरा हुआ है। अब प्रदेश की सभी प्राइवेट नौकरियों में 75% हरियाणा के युवा होंगे। सरकार का हिस्सा बनने के ठीक 1 साल बाद आया ये पल मेरे लिए भावुक करने वाला है।
 
निजी क्षेत्र में आरक्षण का यह कानून पहले से कार्यरत कर्मचारियों पर लागू न होकर अध्यादेश के नोटिफिकेशन जारी होने की तारीख के बाद होने वाली भर्तियों पर लागू होगा। इसके अलावा नियोक्ता के पास एक जिले से स्थानीय उम्मीदवारों को सिर्फ 10 फीसदी तक भर्ती करने का विकल्प होगा। एक अहम बिंदु इस प्रस्तावित कानून में शामिल किया गया है जिसके तहत अगर किसी विशेष श्रेणी के उद्योग के लिए योग्य उम्मीदवार उपलब्ध नहीं है तो आरक्षण में छूट दी जा सकती है। इस बारे में फैसला जिला उपायुक्त या उससे ऊपर के अधिकारी करेंगे।
 
पिछले साल हरियाणा में विधानसभा चुनाव में दुष्यंत की पार्टी ने निजी क्षेत्र की नौकरी में 75 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया था। सरकार के 1 साल बीत जाने के बाद भी वादा नहीं पूरा करने पर उनकी आलोचना की जा रही थी। प्रदेश में करीब 1.8 करोड़ ऐसे मतदाता हैं, जो युवा हैं और चुनावों के लिहाज से अहम भूमिका निभाते हैं।
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