जुल्फिकार अबानी
इटली के माउंट एटना के नाम कई रिकॉर्ड दर्ज हैं। यह दुनिया का सबसे सक्रिय "स्ट्रेटोवोल्केनो" है। स्ट्रेटोवोल्केना का मतलब त्रिकोणीय ज्वालामुखी है, जो लावा, राख और पत्थरों की परत से बना होता है और तेजी से विस्फोट करता है।
यह यूरोप का सबसे बड़ा और सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है और उन ज्वालामुखियों में शामिल है जिनकी अच्छे तरीके से निगरानी की जाती है। इसके अलावा यह ऐसा ज्वालामुखी जिसके सबसे लंबे समय के दस्तावेज मौजूद हैं और यह यूनेस्को के विश्व धरोहरों में भी शामिल है।
माउंट एटना कहां है?
माउंट एटना, इटली के सिसली द्वीप के पूर्वी तट पर स्थित कतानिया शहर के ऊपर मौजूद है। इसकी ऊंचाई 3,357 मीटर यानी 11,014 फीट है और यह 1,250 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।ज्वालामुखी विशेषज्ञ माउंट एटना को स्ट्रेटोवोल्केनो' के नाम से बुलाते हैं। आमतौर पर स्ट्रेटोवोल्केनो ढलान वाले और कई मुंह वाले ज्वालामुखी होते हैं। जिन्हे बनने में हजारों से लाखों सालों का वक्त लग जाता है।
इटली के राष्ट्रीय भू-भौतिकी और ज्वालामुखी संस्थान (आईएनजीवी) के अनुसार, माउंट में विस्फोट होते करीब 5 लाख साल से भी ज्यादा का समय हो गया है। हालांकि इसका जो कोन जैसा आकार है, वह पिछले एक लाख सालों में ही बना है।
स्ट्रेटोवोल्केनो, जब फटते हैं तो वह काफी जोरदार विस्फोट करते हैं। इनमें से फिर कई तरह का मैग्मा (पिघला हुआ पत्थर) निकलता है। जैसे बसाल्ट, एंडेसाइट, डैसाइट और रायोलाइट।
2013 में जब यूनेस्को ने माउंट एटना को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया तो उसने कहा कि यह एक "प्रतीकात्मक स्थल” है, जो आज भी "ज्वालामुखी विज्ञान, भू-भौतिकी और पृथ्वी विज्ञान के अन्य क्षेत्रों को प्रभावित करता है। इसके अलावा, यह ज्वालामुखी आसपास के पारिस्थितिक तंत्र को भी मजबूती देता है जैसे स्थानीय पौधों और जानवरों को। इसकी सक्रियता के कारण यह एक तरह से प्राकृतिक प्रयोगशाला का काम करता है, जिसकी मदद से पारिस्थितिक और जैविक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जा सकता है।”
कितना खतरनाक है माउंट एटना?
माउंट एटना कितना खतरनाक है, इसका सटीक अनुमान लगाना तो मुश्किल है। लेकिन जब जून 2025 में यह ज्वालामुखी फटना शुरू हुआ था, तो इटली के ज्वालामुखी संस्थान (आईएनजीवी) ने इसके लिए "सामान्य” स्तर की चेतावनी जारी की थी।
हालांकि यह ज्वालामुखी हजारों सालों से लगातार लावा उगल रहा है। फिर भी हर साल वैज्ञानिक इसमें एक या दो नए विस्फोट अवश्य दर्ज करते हैं। आईएनजीवी के अनुसार, माउंट एटना लगातार सक्रिय अवस्था में है। जिसमें से "लगातार गैसें निकलती रहती हैं जो कि आगे चलकर कम ऊर्जा वाले, स्ट्रोमबोलियन विस्फोट में भी बदल सकता है।”
"स्ट्रोमबोलियन” एक खास तरह का विस्फोट होता है, जिसमें ज्वालामुखी की गैसें फैलकर जलते हुए लावे के छोटे-छोटे टुकड़ों को बार-बार हवा में उछालती हैं। हालांकि, यह विस्फोट छोटे होते हैं लेकिन लगातार होते हैं।
माउंट एटना में अक्सर "टर्मिनल और सब-टर्मिनल विस्फोट” भी होते हैं, जो ज्वालामुखी की चोटी या उसके पास के क्रेटरों में दर्ज किये जाते हैं। इसके अलावा "लैटरल और एक्सेंट्रिक विस्फोट” भी होते हैं, जो ज्वालामुखी की ढलान पर बने दूसरे छेदों से निकलते हैं।
इंसानों के लिए यह कितना नुकसानदायक है?
माउंट एटना के पांच से दस किलोमीटर के दायरे में काफी कम लोग रहते हैं। लेकिन फिर भी हर समय उन पर धूल और मलबा गिरने का खतरा बना रहता है। लावा की धाराएं कई बार सिसली के पूर्वी तट तक पहुंच जाती हैं और आयोनियन सागर में मिल जाती हैं।
माउंट एटना से कातानिया शहर लगभग 40 किलोमीटर दूर है। कातानिया की आबादी तीन लाख से ज्यादा है। जिसमें से अधिकतर लोग शहर के बाहरी इलाकों में ही रहते हैं।
जर्मनी के कील शहर में जीईओएमएआर हेल्महोल्स सेंटर फॉर ओशेन रिसर्च के शोध में यह सामने आया कि माउंट एटना की पूर्वी ढलान "धीरे-धीरे समुद्र की ओर खिसक रही है।”
2021 में हेल्महोल्त्स सेंटर फॉर जियोसाइंसेज के वैज्ञानिकों ने बताया कि यह ढलान हर साल कुछ सेंटीमीटर आयोनियन सागर की ओर खिसक रही है। उनका कहना है कि ऐसी अस्थिर ढलानें किसी भी दिन अचानक से धंस सकती हैं, जिससे भूस्खलन और सुनामी जैसी आपदाएं आ सकती हैं। ऐसी घटनाएं लगभग 8,000 साल पहले भी देखी जा चुकी है।
यहां के पेड़-पौधों और जानवरों का हाल
माउंट एटना और उसके आस-पास के इलाकों में बहुत तरह के जानवर रहते हैं। जैसे लोमड़ी, जंगली बिल्लियां, साही, पाइन मार्टेन (एक तरह का नेवला), खरगोश और सियार। इसके अलावा यहां पर कई शिकारी पक्षी भी रहते हैं। जैसे स्पैरोहॉक, बजर्ड, केस्टरल, पेरेग्रीन फाल्कन और गोल्डन ईगल।
खेती-बाड़ी की वजह से भी इंसानों के लिए माउंट एटना काफी खास दिखता है क्योंकि ज्वालामुखी की मिट्टी खेती के लिए बहुत उपजाऊ होती है।
ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, "ज्वालामुखी से निकले पदार्थों में मैग्नीशियम और पोटैशियम भरपूर मात्रा में होते हैं। इसलिए जब चट्टानें और राख समय के साथ टूटती है, तो यह तत्व मिट्टी में मिल जाते हैं और उसे बेहद उपजाऊ बना देते हैं।”
इस ज्वालामुखी ने अपने आसपास के जंगलों और बाग-बगीचों को भी जीवन दिया है। यहां अंगूर के बाग, जैतून के पेड़, फलों के बाग, हेजलनट और पिस्ता के बागान खूब होते हैं। इसके अलावा ऊंचाई पर, बर्च के पेड़ भी पाए जाते हैं, जो कि सिर्फ इसी इलाके में होते हैं।