मध्यप्रदेश में गांव के लोग कतरा रहे हैं कोरोना जांच से
मध्यप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में भी कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। गांव के लोग गांव में ही रहकर उपचार करा रहे हैं और जांच कराने को तैयार नहीं हैं। प्रांतीय सरकार ने क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप बनाने की घोषणा की है।
मध्यप्रदेश सरकार और प्रशासन के लिए कोरोना महामारी की एक नई चुनौती सामने आ रही है। गांव के लोग कोरोना संक्रमण को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। वे गांव में ही रहकर पारंपरिक तरीके से अपना उपचार कर रहे हैं, लेकिन टेस्ट कराने को तैयार नहीं हैं। प्रशासन के लिए यह नए तरह की चुनौती है। यही कारण है कि जिसमें भी कोरोना के प्रारंभिक लक्षण पाए जा रहे हैं, उससे कोरोना की दवा देने को कहा जा रहा है।
राज्य में कोरोना के सक्रिय मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है और कुल आंकड़ा 1 लाख 11 हजार को पार कर गया है। शहरी इलाकों में मरीजों की संख्या में उतार-चढ़ाव का दौर बना हुआ है, वहीं ग्रामीण इलाकों में भी संक्रमण की आशंका बनी हुई है। शहरों में जहां अस्पतालों पर दबाव बढ़ रहा है, तो जानकारों के अनुसार गांव में सर्दी, जुकाम और बुखार के मरीज बढ़ रहे हैं।
जांच कराने की अपील
यह लोग अस्पताल में जाने से कतरा रहे हैं। इतना ही नहीं, उनके गांव में जो भी चिकित्सक हैं उनसे सलाह लेकर दवाएं खा रहे हैं। इसके चलते जहां कुछ लोग स्वस्थ हो रहे हैं तो कई की मुसीबत बढ़ रही है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी आमजन से अपील की है कि लक्षण दिखने या तबीयत बिगड़ने पर तुरंत जांच कराएं।
महामारी के गांवों में फैलने के साथ ही सरकार ने ब्लॉक और गांव के स्तर पर क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप बनाने का फैसला लिया है। शहरी इलाकों में ऐसे ग्रुप वार्ड के स्तर पर बनाए जाएंगे। गृह मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि जिला स्तर पर चलने वाले क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की तरह ही ऐसे ग्रुप गांव और वार्ड के स्तर पर बनाए जाएंगे।
स्थानीय लोगों की भागीदारी
गांवों में मरीजों की बढ़ती संख्या और अस्पतालों तक बीमारों के न पहुंचने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य के कई ग्रामीण इलाकों से ऐसी तस्वीरें आ रही हैं कि खेतों को चिकित्सकों ने अस्पताल बना दिया है और वहीं उनका उपचार चल रहा है। शासन और प्रशासन तक इसकी सूचनाएं आ रही हैं, मगर वह चाहकर भी इन्हें नहीं रोक पा रहा है। स्वास्थ्य जगत से जुड़े लोगों का मानना है कि गांव के लोगों में कोरोना को लेकर डर है और वे अस्पताल जाने तक को तैयार नहीं हैं। इसकी वजह से परिवार में जहां एक व्यक्ति बीमार होता है तो दूसरा भी उसकी चपेट में आ जाता है।
ग्रामीण इलाकों में मरीजों की तादाद में वृद्धि से सरकार भी वाकिफ है। यही कारण है कि ग्रामीण इलाकों में कोरोना चिकित्सा किट का वितरण किया जा रहा है। साथ ही यह भी सलाह दी जा रही है कि परिवार में एक व्यक्ति बीमार है और दूसरे को लक्षण नजर आते हैं तो वह प्रारंभिक इलाज शुरू कर दें। ग्रामीण और शहरी इलाकों में बनाए जा रहे क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुपों का काम होगा कि वे महामारी के प्रसार को रोकने में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कराएं।
एके/एमजे (आईएएनएस)