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Written By DW
Last Updated : रविवार, 8 दिसंबर 2024 (08:02 IST)

महामारी में बेवजह थे मास्क और सोशल डिस्टेसिंगः रिपोर्ट

महामारी में बेवजह थे मास्क और सोशल डिस्टेसिंगः रिपोर्ट - us lawmakers back covid chinese lab leak theory after two year probe
अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19का कारण बने वायरस सार्स कोव-2 की  शुरुआत वुहान की लैब से हुई। इसे गेन ऑफ फंक्शन नाम की रिसर्च के जरिए बनाया गया था। इस रिसर्च में वायरस को और खतरनाक बनाया जाता है ताकि उसकी रोकथाम के तरीके खोजे जा सकें। 520 पन्नों की इस रिपोर्ट में मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों की भी आलोचना की गई है।
 
रिपोर्ट बताती है कि वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में 2019 के अंत में कुछ रिसर्चर्स कोविड जैसे लक्षणों वाली बीमारी से पीड़ित थे। यह घटना तब हुई जब वायरस के फैलने की आधिकारिक जानकारी भी नहीं थी।
 
रिपोर्ट में कहा गया है, "अगर वायरस प्राकृतिक तरीके से फैला होता, तो इसके सबूत अब तक मिल जाते।” इसमें वुहान के मांस बाजार से वायरस फैलने के दावे को भी खारिज किया गया है।
 
हालांकि, इस मुद्दे पर वैज्ञानिकों और संगठनों की राय बंटी हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और कई वैज्ञानिक वायरस के प्राकृतिक तरीके से फैलने पर जोर देते हैं। लेकिन 2022 में अमेरिकी खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट ने लैब से वायरस लीक होने की संभावना जताई थी।
 
डॉ. फाउची पर सवाल
जांच रिपोर्ट में अमेरिकी इम्यूनोलॉजिस्ट डॉ. एंथनी फाउची की भी आलोचना की गई है। फाउची पर आरोप है कि उन्होंने लैब लीक थ्योरी को दबाने की कोशिश की। डॉ. फाउची ने इन आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने जून में पैनल के सामने कहा था कि वुहान लैब में जो वायरस स्टडी हो रहे थे, वे सार्स कोव 2 नहीं बन सकते।
 
गवाही के दौरान, फाउची ने कहा कि शुरुआती सोशल डिस्टेंसिंग के नियम "ऐसे ही बन गए थे।” इस बयान को सबूत माना गया कि ये गाइडलाइंस मजबूत वैज्ञानिक आधार पर नहीं थीं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने वुहान लैब की गेन ऑफ फंक्शन रिसर्च को फंड किया था। इस मुद्दे ने अमेरिका में वैज्ञानिक शोध पर निगरानी को लेकर बड़ी बहस छेड़ दी है।
 
सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की आलोचना
रिपोर्ट ने कोविड-19 से निपटने के लिए अपनाए गए कई उपायों पर सवाल उठाए हैं। मास्क पहनने को वायरस के फैलाव रोकने में "अप्रभावी” बताया गया। लॉकडाउन से हुई आर्थिक और मानसिक समस्याओं को इससे ज्यादा नुकसानदायक कहा गया। सोशल डिस्टेंसिंग के छह फुट के नियम को भी "वैज्ञानिक रूप से आधारहीन” बताया गया।
 
हालांकि, रिपोर्ट ने ऑपरेशन वार्प स्पीड की तारीफ की। यह ट्रंप प्रशासन की पहल थी, जिसमें वैक्सीन जल्दी विकसित की गई। इसे "बहुत बड़ी सफलता” बताया गया। स्कूलों को बंद करने के फैसले पर रिपोर्ट ने चिंता जताई। इसका बच्चों की पढ़ाई और मानसिक स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक असर होगा।
 
इस रिपोर्ट ने महामारी से निपटने पर पहले से चल रहे राजनीतिक विवाद को और बढ़ा दिया है। जहां डेमोक्रेट्स ने इन उपायों को जरूरी बताया है, वहीं रिपब्लिकन ने इसे गलत फैसलों का नतीजा कहा।
 
जांच समिति के अध्यक्ष ब्रैड वेनस्ट्रप ने कहा, "इस काम का मकसद है कि अगली महामारी को रोका जा सके और अगर ऐसी स्थिति आए, तो देश तैयार हो।” उन्होंने कहा कि जनता का भरोसा लौटाने के लिए ईमानदारी और पारदर्शिता जरूरी है।
 
आगे का रास्ता
रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब कोविड-19 के पहले मामले सामने आए हुए पांच साल हो चुके हैं। यह महामारी अमेरिका में 11 लाख लोगों की जान ले चुकी है और पूरी दुनिया पर गहरा असर छोड़ा है। एशिया में इस महामारी के कारण करोड़ों लोग गरीबी के मुंह मेंचले गए।
 
इस रिपोर्ट पर इस हफ्ते वोटिंग होनी है। यह देखना बाकी है कि क्या इससे नई नीतियां बनेंगी। रिपोर्ट ने अमेरिकी रिसर्च फंडिंग और स्वास्थ्य संकटों के दौरान एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल पर जोर दिया है।
 
हालांकि, इस जांच की रिपोर्ट ने महामारी की शुरुआत और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों पर बहस को और तेज कर दिया है। यह रिपोर्ट सवाल उठाती है कि अगली महामारी के लिए दुनिया कितनी तैयार है। जवाब ढूंढने की कोशिश जारी है।
वीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स)