मोटामाटी यूं समझिए कि करीब एक दर्जन कामगार मधुमक्खियां समूची जिंदगी मेहनत करती हैं, तब जाकर बनता है एक चम्मच शहद! सच में ही, कड़ी मेहनत का मीठा फल। कुदरती शहद विशुद्ध कुदरती होता है। उसमें किसी तरह का एडिटिव नहीं होता। मधुमक्खी के छत्तों से निकाले गए शहद की सफाई की जाती है, ताकि उसमें मोम या कोई गंदगी ना रहे।
स्टैटिस्टा के मुताबिक, चीन प्राकृतिक शहद का सबसे बड़ा उत्पादक है। साल 2023 तक के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा प्रॉड्यूसर है तुर्की।
तुर्की में मिलावटी और नकली शहद की समस्या
स्टैटिस्टा के अनुसार, 2023 में चीन ने 4,63,500 मीट्रिक टन से ज्यादा शहद का उत्पादन किया। तुर्की में इसका सालाना उत्पादन 1,15,000 टन रहा। विशाल मात्रा में उत्पादन के कारण शहद के वैश्विक बाजार में तुर्की बड़ा खिलाड़ी है, लेकिन अब वहां से आ रहे शहद की गुणवत्ता को लेकर चिंता बढ़ रही है।
तुर्की से निर्यात होने वाले शहद के सबसे बड़े खरीदार अमेरिका और जर्मनी हैं। हालांकि, इस शहद में बड़ी मात्रा मिलावटी होने की आशंका है। खबरों के मुताबिक, तुर्की से आ रहे शहद में चाशनी समेत कई सामग्रियों की मिलावट की जा रही है। पुलिस ने हालिया महीनों में बड़ी मात्रा में मिलावटी शहद जब्त किया है, जिसकी कीमत करीब ढाई करोड़ यूरो बताई जा रही है।
आमतौर पर शहद में इन चीजों की मिलावट
इससे पहले भी तुर्की की स्थानीय मीडिया में मिलावटी शहद की खबरें आती रही हैं। मसलन, नवंबर 2024 में 'तुर्कीये टुडे' ने एक खबर में बताया कि कृषि और बागवानी मंत्रालय ने अपनी जांच में दो चिर-परिचित ब्रैंडों के शहद में मिलावट और नकल पाई। कई उत्पादक और ब्रैंड नकली-मिलावटी शहद बेचने के दोषी पाए गए हैं।
'तुर्कीये टुडे' ने अपनी खबर में बताया कि तुर्की में लंबे समय से नकली शहद की दिक्कत रही है। इसके मद्देनजर मंत्रालय की ओर से बढ़ाई गई सतर्कता और जांच से पता चला कि कंपनियां असली शहद की नकल के लिए गलत व भ्रामक तौर-तरीकों का इस्तेमाल करती हैं। नकली या मिलावटी शहद सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
नकली और मिलावटी शहद आमतौर पर अपने रूप, रंग और स्वाद में कुदरती शहद जैसे होते हैं। इनमें शुगर/फ्रूक्टोज/कॉर्न सिरप, कृत्रिम रंग-फ्लेवर मिला दिया जाता है। ऐसे मिलावटी उत्पादों को कानूनन शहद के तौर पर नहीं बेचा जा सकता है।
मिलावट से हो सकता है अंतरराष्ट्रीय बाजार में नुकसान
तुर्की में शहद के साथ हो रही मिलावट या फिर नकली शहद उत्पादन के बड़ा रूप लेने के कारण कुदरती शहद बेचने वाले उत्पादक भी परेशान हैं। उनकी चिंता है कि इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में तुर्की से आने वाले शहद की साख पर असर पड़ रहा है।
तुर्की में भी लोगों को बाजार में नकली-मिलावटी शहद की सेंधमारी से आगाह करने की कोशिश की जा रही है। इसके तहत स्थानीय मीडिया के साथ-साथ शैक्षणिक संस्थान भी लोगों को नकली शहद की पहचान के तरीके बता रहे हैं। मसलन, इस्तांबुल स्थित येदितेपे यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर एक लेख में बताया गया, "तुर्की के फूड सेक्टर में नकली-मिलावटी खाद्य सामग्रियां बड़ी समस्या हैं, इनमें शहद भी शामिल है।"
लेख में नकली या मिलावटी शहद से सेहत को होने वाले नुकसान के प्रति भी आगाह किया गया है। साथ ही, यह भी सलाह दी गई है कि नकली और असली इतने एक जैसे होते हैं कि देखकर या सूंघकर पहचान नहीं की जा सकती। ऐसे में लैब में गुणवत्ता की जांच करवाना बेहतर तरीका है।
भारत भी शहद का बड़ा बाजार, मिलावट यहां भी समस्या
हालांकि, नकली या मिलावटी शहद बनाना केवल तुर्की तक सीमित नहीं है। भारत, सबसे ज्यादा शहद उत्पादन करने वाले शीर्ष के पांच देशों में है। देश में एक 'नेशनल बी बोर्ड' भी है, जिसका गठन साल 2000 में किया गया था।
इसके गठन का मकसद मधुमक्खीपालन में वैज्ञानिक पद्धतियों को बढ़ावा देना, पोलिनेशन के माध्यम से फसलों का उत्पादन बढ़ाना और मधुमक्खीपालकों व किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए शहद उत्पादन में वृद्धि करना है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक, भारत में जितने शहद का उत्पादन होता है, उसका करीब 50 फीसदी हिस्सा निर्यात किया जाता है। अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई, बांग्लादेश और कनाडा इसके बड़े बाजारों में हैं।
राजधानी नई दिल्ली स्थित एक संगठन 'सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट' (सीएसई) ने साल 2020 में अपनी एक जांच के आधार पर बताया कि देश में शहद बेचने वाले कई ब्रैंड प्यूरिटी टेस्ट में फेल हुए। सीएसई के मुताबिक, यह भी पाया गया कि कई कंपनियां चीन से सिंथेटिक सिरप मंगवाकर शहद में मिलावट कर रही हैं।
'डाउन टू अर्थ' पर छपी इसकी एक खबर के मुताबिक, सीएसई ने शहद बेचने वाले 13 भारतीय ब्रैंड्स के 22 नमूनों की जांच की। पहले भारत की ही एक लैब में इनकी जांच की गई। फिर और विस्तृत जांच के लिए नमूनों को जर्मनी भेजा गया। जांच से पता चला कि नमूनों में 77 फीसदी से ज्यादा मात्रा शहद की नहीं थी, बल्कि शुगर सिरप की मिलावट थी। 22 में से केवल पांच नमूने ही मिलावट रहित मिले।
अंतरराष्ट्रीय तौर पर शहद की मान्य परिभाषा कहती है कि यह "वो प्राकृतिक मीठा तत्व है, जिसका उत्पादन शहद बनाने वाली मक्खियां पौधों के नेक्टर या पौधों के जीवित हिस्सों से होने वाले रिसाव या पौधों के जीवित हिस्सों को चूसने वाले कीड़ों से होने वाले स्राव से करती हैं।" इसे मधुमक्खियां इकट्ठा करती हैं, सुखाती हैं, जमा करती हैं और पकने के लिए इसे अपने छत्ते में जमा करती हैं। अगर शहद में चीनी या ऐसे पदार्थों की मिलावट है, तो वो शहद नहीं है।
एसएम/आरएस