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Written By DW
Last Updated : शनिवार, 3 अगस्त 2024 (08:37 IST)

भारत में आईटी कंपनियों को क्यों भेजे जा रहे हैं टैक्स नोटिस

भारत में आईटी कंपनियों को क्यों भेजे जा रहे हैं टैक्स नोटिस - tax notices to indian tech companies
कर्नाटक सरकार ने इंफोसिस को भेजे गए 32,403 करोड़ रुपयों के टैक्स नोटिस को वापस ले लिया है, लेकिन यह विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है। आखिर क्यों भेजे जा रहे हैं ये टैक्स नोटिस?
 
आईटी कंपनी इंफोसिस ने जानकारी दी है कि कर्नाटक सरकार ने उसे भेजा जीएसटी से संबंधित टैक्स नोटिस वापस ले लिया है। कंपनी का यह भी कहना है कि उसकी जगह डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस को अपना जवाब भेजने के लिए कहा गया है।
 
इंफोसिस को भेजे गए 32,403 करोड़ रुपयों के जीएसटी नोटिस के मुताबिक, यह नोटिस उसे उन सेवाओं के लिए भेजा गया था जो उसने पांच सालों तक (2017 से 2022) अपनी विदेशी शाखा से ली थी। कई भारतीय आईटी कंपनियों की विदेशी शाखाएं हैं जो उनके प्रोजेक्ट पर काम करती हैं और उनके अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को भी सेवाएं देती हैं।
 
कंपनी का टैक्स भुगतान से इनकार
टैक्स में मांगी गई यह राशि इंफोसिस के सालाना मुनाफे से भी ज्यादा है। बल्कि यह कंपनी के इसी तिमाही की लगभग पूरी कमाई के बराबर है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस साल अप्रैल-जून तिमाही में इंफोसिस की कमाई 39,315 करोड़ रही और कंपनी ने 6,368 करोड़ मुनाफा कमाया।
 
कंपनी ने गुरुवार एक अगस्त को स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में कहा कि इन खर्चों पर जीएसटी नहीं लगना चाहिए। कंपनी ने यह भी कहा कि हाल ही में जारी किए गए सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स के एक सर्कुलर के मुताबिक इन सेवाओं पर जीएसटी नहीं लगना चाहिए।
 
हालांकि सरकार ने इस बात को नहीं माना है और फिल्हाल इंफोसिस को अपना जवाब भेजने के लिए कहा है। आईटी कंपनियों के संगठन नैस्कॉम ने भी इंफोसिस का समर्थन किया है और कहा है कि यह टैक्स नोटिस इस उद्योग के ऑपरेटिंग मॉडल के बारे में समझ की कमी को दिखाता है।
 
नैस्कॉम ने यह भी कहा कि लंबे समय से कई कंपनियां इस तरह के नोटिस का सामना कर रही हैं, जिसकी वजह से उनका समय और संसाधन मुकदमों में जाया हो रहे हैं, अनिश्चितताएं पैदा हो रही हैं और निवेशक और ग्राहक भी चिंता में हैं। 
 
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक और भी आईटी कंपनियों को ऐसे टैक्स नोटिस भेजे जा सकते हैं। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ टैक्स अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि यह "मामला पूरे उद्योग" में फैला हुआ है।
 
क्या मिसाल बनाना चाहती है सरकार?
इस अधिकारी ने अपना नाम नहीं बताया क्योंकि उन्हें मीडिया से बात करने की इजाजत नहीं है। रॉयटर्स ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय को इस विषय पर एक ईमेल भी भेजी लेकिन मंत्रालय से जवाब नहीं मिला।
 
जानकारों के मुताबिक इसी तरह के कथित उल्लंघन के लिए और भी नोटिस भेजे  जा सकते हैं। अकाउंटिंग कंपनी मूर सिंघी में निदेशक रजत मोहन का कहना है, "इस तरह के बड़ी राशि वाले कारण-बताओ नोटिस को जारी कर एक मिसाल पेश की जा सकती है, जिसके बाद दूसरी बहुराष्ट्रीय कंपनियों (विशेष रूप से आईटी कंपनियों) को इसी तरह के नोटिस भेजे जाने की संभावना है।"   
 
कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि इंफोसिस को एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है। लॉ फर्म रस्तोगी चेम्बर्स के संस्थापक अभिषेक रस्तोगी के मुताबिक, "इंफोसिस के लिए व्यावहारिक समाधान यही है कि वो अदालत जाए और इस कार्यवाही पर स्टे आर्डर हासिल करे।"
 
उन्होंने यह भी कहा कि जिन सेवाओं की बात की जा रही है वो भारत से बाहर दी गईं और इस वजह से कंपनी को भारत में कोई टैक्स नहीं देना चाहिए। हालांकि पिछले साल भर में जीएसटी विभाग कंपनियों को 1,000 से ज्यादा नोटिस भेज चुका है। इनमें जीवन बीमा निगम (एलआईसी), डॉक्टर रेड्डीज लैबोरेट्रीज और अल्ट्राटेक सीमेंट जैसे कंपनियां शामिल हैं।
 
टैक्स अधिकारियों ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को भी नोटिस भेजे हैं और कुल एक लाख करोड़ रुपये टैक्स मांगा है। कंपनियों ने इन टैक्स नोटिसों को अधिकरणों और अदालतों में चुनौती दी हुई है।
सीके/एनआर (रॉयटर्स)