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Written By DW
Last Updated : रविवार, 23 अक्टूबर 2022 (08:50 IST)

उत्तर कोरिया के कारण एटमी विकल्प तौलता दक्षिण कोरिया

उत्तर कोरिया के कारण एटमी विकल्प तौलता दक्षिण कोरिया - south korea eyes nuclear option amid north korean threats
दक्षिण कोरिया में ऐसे लोग बहुमत में होंगे जो रक्षात्मक उपाय के रूप में एटमी हथियार हासिल करने का समर्थन करेंगे। लेकिन क्या दक्षिण कोरिया, अमेरिका की "एटमी छतरी" से बाहर निकल जाने की जुर्रत करेगा?
 
हाल के सप्ताहों में उत्तर कोरिया की परम भड़काऊ सैन्य गतिविधियों को लेकर चौतरफा ये माना जाता है कि वो अपनी ताकत के निर्णायक प्रदर्शन की भूमिका बांध रहा हैः सातवां भूमिगत परमाणु परीक्षण। इससे दक्षिण कोरिया में चिंता और डर फिर से सिर उठाने लगे हैं कि उत्तर की हुकूमत एक दिन कहीं अपने खौफनाक हथियार चला ही न दे।
 
दक्षिण कोरिया में अधिकांश लोग मानते हैं कि उत्तर कोरिया के समकक्ष एटमी रक्षात्मक उपाय हासिल करना, अब देश के लिए एक यथार्थवादी विकल्प बनता जा रहा है। हालांकि इस मुद्दे पर काफी ध्रुवीकरण भी है।
 
उत्तर कोरिया ने पिछले कुछ दिनों में अपने पूर्वी और पश्चिमी तटों पर समन्दर के अंदर सैकड़ों गोले और रॉकेट दागे हैं। बुधवार को उत्तर कोरिया ने सरकारी मीडिया के जरिए मांगों की झड़ी लगा दी। अमेरिका और दक्षिण कोरिया से दोतरफा अभ्यास रोकने को कहा गया है जो उसके एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक "फ्रंटलाइन इलाके में काफी परेशान करने वाली और भड़काने वाली हरकत है।"
 
मिसाइल लॉन्च
दक्षिण कोरिया का कहना है कि ये बमबारी 2018 में हुए उस अंतर-कोरिया समझौते का भी उल्लंघन थी जो दोनों देशों को बांटने वाली सीमा पर सैन्य तनावों में कटौती करने से जुड़ा था। इस बमबारी से पहले कम दूरी की और इंटरमीडिएट रेंज की दर्जन से ज्यादा बैलेस्टिक मिसाइलें भी दागी गई थीं। इसमें वो हथियार भी शामिल था जो उत्तर कोरिया के दावे के मुताबिक एक उच्चीकृत नयी मिसाइल है और उत्तरी जापान के ऊपर से उड़ती हुई गई।
 
इससे भी ज्यादा चिंताजनक वे तस्वीरे थीं जिनमें उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन, सैन्य अभ्यासों का निरीक्षण करते देखे जा सकते हैं। माना जाता है कि ये अभ्यास दक्षिण कोरिया पर एटमी हमले की तैयारी की नकल थे। उत्तर कोरिया के मुताबिक वे दक्षिण कोरिया और अमेरिका को "चेतावनी" थी।
 
13 अक्टूबर को दक्षिण कोरिया की नेशनल असेम्बली के डिप्टी स्पीकर और पीपल पावर पार्टी (पीपीपी) के वरिष्ठ नेता चुंग जिन-सुक ने दक्षिण कोरिया-अमेरिका गठबंधन को और मजबूत बनाने पर जोर दिया। उन्होंने "न्यूक्लियर अम्ब्रैला" यानी "एटमी छतरी" का भी जिक्र किया जो अमेरिका मुहैया कराता है।
 
उन्होंने कहा, "इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि उत्तर कोरिया की हाल की भड़काऊ कार्रवाइयों में सिर्फ बैलेस्टिक मिसाईलें ही नहीं बल्कि सामरिक एटमी नकलें भी शामिल थीं। दक्षिण कोरिया-अमेरिका सैन्य गठबंधन को लौह दीवार की तरह खड़ा रखना ही एकमात्र समाधान है।"
 
वो कहते हैं, "हमें अमेरिका से हासिल एटमी छतरी यानी रक्षात्मक उपायों को नाटकीय रूप से मजबूत बनाना होगा।"
 
व्यापक जन समर्थन
दक्षिण कोरिया के दूसरे नेता इस मामले में एक कदम और आगे नजर आए। पीपीपी के प्रभावशाली नेता किम गी-हियोन ने जोर दिया कि दक्षिण कोरिया के लिए इसका अकेला लंबी अवधि वाला समाधान यही है कि वो अपनी एटमी क्षमताएं विकसित करे। देश की जनता का अधिकांश चिंतित हिस्सा इस दलील से सहमत है।
 
सियोल में कोरिया यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंधों की प्रोफेसर आह्न यिनहे के मुताबिक, "हाल के सर्वे दिखाते हैं कि दक्षिण कोरिया में आधा से ज्यादा लोग उत्तर कोरिया के खिलाफ एक मजबूत सामरिक एटमी क्षमता विकसित करने के पक्षधर हैं।"
 
उन्होंने डीडब्लू को बताया, "कई लोग जैसे को तैसा के तर्क में यकीन रखते हैं और ये मानते हैं कि पड़ोसी एटमी ताकत को सिर्फ एटमी ताकत हासिल करके ही रोका जा सकता है।"
 
फरवरी में शिकागो काउंसिल ऑन ग्लोबल अफेयर्स से जारी एक अध्ययन के मुताबिक दक्षिण कोरिया के 71 फीसदी लोग इस बात के पक्ष में थे कि देश को अपना एटमी हथियार कार्यक्रम विकसित करना चाहिए। एशियन पॉलिसी स्टडीज की ओर से मई में कराया गया वैसा ही पोल दिखाता है कि 70।2 फीसदी लोग एटमी कार्यक्रम के पक्ष में थे।  
 
प्रोफेसर आह्न यिनहे बताती हैं कि दक्षिण कोरिया ने 1992 में एलान किया था कि परमाणु मुक्त प्रायद्वीप के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए वो अपने भूभाग से अमेरिकी एटमी हथियार हटवा देगा। लेकिन वो एकतरफा कदम था जो उत्तर कोरिया की हुकूमत पर माकूल असर छोड़ने में नाकाम रहा।  
 
अपना एटमी कार्यक्रम निरस्त करने के बजाय, उत्तर कोरिया ने उसका विकास जारी रखा और अप्रैल 2003 में उसने एटमी हथियार निशस्त्रीकरण संधि से हटने का एलान कर दिया। एलान के तीन साल बाद, उसने अपना पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण किया। पांच और अतिरिक्त टेस्ट किए गए, और एक और जल्द ही किए जाने की संभावना है।
 
तकनीकी तौर पर संभव
रिटायर्ड सैन्य जनरल और कोरिया-अमेरिका सिक्योरिटी स्टडीज की काउंसिल में सह-चेयरमैन किम जाई-चांग उन लोगों में से हैं जो इस बात से इत्तफाक नहीं रखते कि घरेलू एटमी कार्यक्रम का विकास करने से दक्षिण कोरिया का बड़ा भला होगा। वो कहते हैं कि, "हम लोगों को अमेरिकी एटमी छतरी पर पूरा भरोसा है और हम जानते हैं कि हमारा गठबंधन ऐसी भड़काऊ कार्रवाइयों के समक्ष मजबूत बना रहेगा। अमेरिका से जो हमें हिफाजत मिलती है वो प्रामाणिक और भरोसेमंद है और मुझे यकीन है कि दक्षिण कोरिया की आबादी को बचाने के लिए वो पर्याप्त है।" 
 
किम कहते हैं कि वो उत्तर कोरिया के भड़काने से दबाव में आकर संधि से नहीं हटना चाहेंगे। और इस तरह अमेरिका को नाराज करने का जोखिम भी नहीं उठाना चाहेंगे। अमेरिका अपने सहयोगी देशों के एटमी हथियार संपन्न होने के सख्त खिलाफ है।
 
वो कहते हैं, "वैसे दक्षिण कोरिया को एटमी हथियार बनाने के लिए बहुत ज्यादा तकनीकी मुश्किले नहीं आएंगी वो जल्दी से उन्हें हासिल कर सकता है।"
 
"लेकिन मुझे लगता है कि सरकार ये महसूस करती है कि अपनी एटमी क्षमता विकसित करने की अपेक्षा हम अपनी पारंपरिक क्षमताओं पर भरोसा करते रहेंगे और अमेरिका से हासिल एटमी सुरक्षा को मजबूत बनाएंगे।"
 
राष्ट्रपति यून सुक-यिओल ने कहा है कि उत्तर कोरिया से देश की रक्षा के मुद्दे पर उनकी सरकार "तमाम विभिन्न संभावनाओं पर सावधानी से गौर कर रही है।"
 
एटमी हथियार बनाने के पक्ष में अपनी पार्टी के भीतर उठ रही जोरदार मांग और जनता के एक बड़े हिस्से के समर्थन के बावजूद संभावना यही है कि राष्ट्रपति यून फिलहाल अमेरिकी एटमी हिफाजत के भरोसे ही बने रहना चाहेंगे। उत्तर कोरिया अगर क्षेत्र में तनाव भड़काना जारी रखता है या नयी आक्रामक क्षमता का मुजाहिरा करता है तो दक्षिण कोरिया सरकार का रुख फौरन बदल भी सकता है।
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