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Written By DW
Last Modified: बुधवार, 13 मार्च 2024 (08:11 IST)

ब्रिटेन में गुलामों जैसी जिंदगी जी रहे सैकड़ों भारतीय

ब्रिटेन में गुलामों जैसी जिंदगी जी रहे सैकड़ों भारतीय - soaring abuse in uk care jobs shatters migrants dreams
जब भारत में ऑफिस मैनेजर के तौर पर काम कर रहीं माया ने ब्रिटेन में काम करने के मौके के बारे में सुना तो उन्होंने दोबारा सोचने की भी जरूरत नहीं समझीं। विदेश में काम करने और वहां से पैसा कमाकर घर भेजने का मौका बार-बार कहां मिलता है! इस उत्साह से शुरू हुआ एक बेहद दर्दनाक अनुभव और जो भारी कर्ज में खत्म हुआ।
 
अपना असली नाम उजागर ना करने की शर्त पर माया कहती हैं कि उनके साथ "गुलामों जैसा व्यवहार किया गया।”
 
दो बच्चों की मां माया उन दसियों हजार लोगों में से हैं जो 2022 में ब्रिटेन में शुरू हुई एक नई योजना के तहत वहां गए थे। ब्रिटेन ने अपने देश में बुजुर्गों और बच्चों की देखभाल करने वाले कर्मियों की भारी कमी को पूरा करने के लिए यह योजना शुरू की थी।
 
लेकिन इस योजना के लागू होने के बाद से कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार और शोषण की इतनी रिपोर्ट आ चुकी हैं कि एक माइग्रेशन एक्सपर्ट ने तो इसे ‘पूरा जंगलराज' करार दिया।
 
माया और इस स्कीम के अन्य पीड़ित बताते हैं कि इस नौकरी के लिए भारत में एजेंट को उन्होंने बहुत बड़ी रकम दी थी। और ब्रिटेन पहुंचने पर बहुत कम तन्ख्वाह पर उनसे बहुत अधिक घंटों तक काम करवाया गया।
 
वे बताते हैं कि उत्तरी इंग्लैंड में एक कंपनी के लिए काम करने गए ये लोग नौकरी जाने के डर से अपनी तकलीफें बताने से भी घबराते थे। नौकरी जाने पर उन्हें डिपोर्ट होने का खतरा था क्योंकि उनका वीजा उनकी नौकरी से जुड़ा हुआ था।
 
माया कहती हैं, "हमने वापस जाने के बारे में भी सोचा लेकिन इतना कर्ज चुकाना है, तो भारत में जाने पर कैसे काम चलेगा। मैंने बैंक से लोन लिया था और रिश्तेदारों से भी कर्ज ले रखा है।”
 
बंधुआ जिंदगी
घरेलू कामकाज करने वाले लोगों की प्रतिनिधि संस्था होमकेयर एसोसिएशन की चीफ एग्जिक्यूटिव जेन टाउनसन कहती हैं कि उद्योग जगत के लोग ऑपरेटर्स की अनैतिक गतिविधियों को लेकर बहुत चिंतित हैं। वह बताती हैं लोगों के साथ ठगी की "शर्मनाक और अपमानजनक” कहानियां सुनने को मिलती हैं जबकि लोगों को "कॉकरोच से भरे हुए घरों में रखा जा रहा है।”
 
कुछ मामलों में तो लोगों को ब्रिटेन में नौकरियों का लालच देकर लाया गया लेकिन जब वे आए तो उन्हें पता चला कि कोई नौकरी नहीं है। कुछ लोगों की नौकरियां आते ही चली गईं क्योंकि उन्हें नौकरियां देने वाले भाग गए।
 
टाउनसन कहती हैं, "वे लोग अब चैरिटी और फूडबैंक पर निर्भर हैं। बहुत से लोग कर्ज में बंधुआ जिंदगी जी रहे हैं। यहां आने के लिए उन्होंने अपना सब कुछ बेच दिया।”
 
आधुनिक गुलामी के उदाहरण
कर्मचारियों के शोषण के मामलों की जांच करने वाली सरकारी संस्था गैंगमास्टर्स एंड लेबर अब्यूज अथॉरिटी ने बताया है कि पिछले साल देखभाल उपलब्ध कराने वाली 44 कंपनियों की जांच की गई है, जो 2022 के मुकाबले दोगुना है। 2020 में तो सिर्फ एक कंपनी की शिकायत आई थी।
 
गुलामी के खिलाफ काम करने वाली सामाजिक संस्था ‘अनसीन' के आंकड़े बताते हैं कि उनकी हेल्पलाइन पर इस क्षेत्र में काम करने वाले 800 से ज्यादा लोगों ने फोन किया। 2021 में इनकी संख्या सिर्फ 63 थी।
 
सरकारी कर्मचारियों की यूनियन का कहना है कि असली पीड़ितों की संख्या तो और ज्यादा हो सकती है क्योंकि बहुत से लोग तो डिपोर्ट हो जाने के डर से रिपोर्ट ही नहीं करते हैं। बहुत से लोगों को यह भी नहीं पता है कि मदद कहां से मिलेगी।
 
यूनियन में सोशल केयर एक्सपर्ट गैविन एडवर्ड्स कहते हैं, "बहुत से इंपलॉयर उन्हें दबाकर रखते हैं। सत्ता के साथ संबंध इतने गहरे हैं कि अनैतिक लोगों का कुछ नहीं बिगड़ता।" एडवर्ड्स इस क्षेत्र को सरकारी फंडिंग की कमी को भी इस हालत की एक वजह बताते हैं।
 
ब्रिटेन ने 2022 में नया वीजा जारी किया था जिसका मकसद ब्रेक्जिट और कोविड-19 के बाद पैदा हुईं करीब एक लाख 65 हजार रिक्तियों को भरना था। इस नई योजना के तहत एक लाख 40 हजार लोगों को वीजा मिले हैं जिनमें से अधिकतर भारत, जिम्बाब्वे और नाईजीरिया से हैं।
 
माया की तरह ही भारत से आईं दीपा कहती हैं, "जब हम भारत में थे तो हमें लगता था कि ब्रिटेन में गुलामी और शोषण बिल्कुल नहीं होगा। हमें लगता था ब्रिटेन बहुत सुरक्षित है क्योंकि वहां नियम-कानून होते हैं।”
 
वीके/एए (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
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