बिस्तर में लेटे रहने की तनख्वाह 16 हजार यूरो
पीठ के बल लेटे रहना है, इसके बदले 16 हजार यूरो मिलेंगे। यह नौकरी सुनने में जितनी आसान है, करने में उतनी ही मुश्किल। फ्रांस का इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस मेडिसिन एंड साइकोलॉजी माइक्रोग्रैविटी के असर का अध्ययन करना चाहता है। इस शोध के लिए संस्थान को स्वस्थ युवाओं की जरूरत है। चुने जाने वाले युवाओं को दो महीने तक लगातार पीठ के बल लेटे रहना होगा। इसके बदले उन्हें 16,000 यूरो दिए जाएंगे।
लेकिन चयन प्रक्रिया तक पहुंचने के लिये कुछ शर्तें भी रखी गई हैं। उम्मीदवार एक पुरुष होना चाहिए जो पूरी तरह फिट और एथेलेटिक हो। उसकी उम्र 20 से 45 साल के बीच होनी चाहिए। उसे कोई एलर्जी नहीं होनी चाहिए और अधिकतम मास बॉडी इंडेक्स 22 से 27 के बीच होना चाहिए। धूम्रपान के करने वालों के लिए इसमें कोई जगह नहीं है।
रिसर्चर कुल 24 उम्मीदवारों को चुनेंगे। दो महीने बिस्तर पर गुजारने से पहले उनका दो हफ्ते का मेडिकल टेस्ट होगा। स्थानीय मीडिया के मुताबिक पहले दो हफ्तों में वैज्ञानिक कई तरह के टेस्ट करेंगे। इस दौरान कई तरह के नमूने भी लिए जाएंगे। रिसर्च से जुड़े डॉक्टर अर्नो बेक के मुताबिक, "इसके बाद 60 दिन तक उन्हें बिस्तर पर रहना होगा, इस दौरान उनका छह डिग्री से थोड़े से कम एंगल पर नीचे की ही ओर झुका रहेगा।"
बेक के मुताबिक लेटने के बदले 16 हजार यूरो, ये सिर्फ सुनने में ही आसान लगता है। टेस्ट के दौरान प्रतिभागी सब कुछ बिस्तर पर लेटे लेटे ही करेंगे। यहां तक की टॉयलेट भी लेटते हुए ही करना होगा। प्रयोग के जरिये वैज्ञानिक यह जानना चाहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में बहुत लंबे समय तक भारहीनता का अनुभव करने पर इंसानी शरीर में कैसे बदलाव आए हैं। इन बदलावों का पता चलने के बाद ही उनसे निपटने का तरीका खोजा जा सकेगा।
बेक के मुताबिक प्रयोग के दौरान प्रतिभागियों को भी वैसा ही अनुभव होगा जैसा लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने वाले यात्रियों को होता है। उनकी मांसपेशियां विघटित होने लगती हैं। हड्डियों का घनत्व गिरने लगता है। बाद में उन्हें खड़े होने में भी परेशानी होने लगती है। 60 दिन के एक्सपेरिमेंट के बाद प्रतिभागियों को दो हफ्ते तक कई परीक्षणों से गुजरना होगा।