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Written By DW
Last Modified: गुरुवार, 11 अगस्त 2022 (20:08 IST)

डिजिटल लोन देने में मनमानी पर RBI की रोक, जारी किए सख्त नियम

डिजिटल लोन देने में मनमानी पर RBI की रोक, जारी किए सख्त नियम - rbi tightens rules for digital lending
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने लोन ऐप्स पर सख्त नियम जारी किए हैं। इसके तहत डिजिटल लोन सीधे कर्ज लेने वालों के खातों में जमा किया जाना चाहिए, न किसी तीसरे पक्ष के जरिए।
 
डिजिटल लोन ऐप्स से गैर-कानूनी व्यवहार को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। माना जा रहा है कि इससे डिजिटल ऋण देने और उसकी वसूली में ग्राहकों से मनमानी बंद होगी।
 
केंद्रीय बैंक ने कहा कि सभी तरह के कर्ज या उनका पुनर्भुगतान सिर्फ ग्राहक के बैंक खाते या आरबीआई से मंजूर ऐप के जरिए ही हो सकेगा। आरबीआई ने कहा, "सभी ऋण वितरण और कर्ज की वसूली सीधे बैंक और ग्राहकों के बीच होनी चाहिए। किसी तीसरे पक्ष के खाते से नहीं।" आरबीआई ने कहा है कि ऐप्स को भुगतान किया जाने वाला शुल्क अब उधारदाताओं को वहन करना होगा और यह कर्ज लेने वालों पर नहीं पड़ेगा। अभी तक लेंडिंग सर्विस प्रोवाइडर (एलएसपी) ग्राहकों से भी सेवा शुल्क वसूलते थे।
 
केंद्रीय बैंक ने डेटा संग्रह पर चिंताओं को भी संबोधित किया है। आरबीआई ने दिशानिर्देश में कहा "डीएलए (डिजिटल लेंडिंग ऐप) द्वारा एकत्र किया गया डेटा जरूरत-आधारित होना चाहिए, इसके लिए भी ग्राहक से पहले मंजूरी ली जाएगी।"
 
खास किस्म के डेटा के इस्तेमाल के लिए ग्राहकों से साफ तौर पर पूछा जाएगा कि उसकी मंजूरी है या नहीं। आरबीआई के इन कदमों का असर मोबाइल ऐप के जरिए कर्ज देने वाली कंपनियों की गतिविधियों पर भी होगा।
 
साथ ही केंद्रीय बैंक ने उधारकर्ता की स्पष्ट सहमति के बिना क्रेडिट सीमा में स्वचालित वृद्धि को भी प्रतिबंधित कर दिया और कहा कि ब्याज दरों और अन्य शुल्कों को स्पष्ट रूप से उधारकर्ता को सूचित करने की आवश्यकता है।
 
आरबीआई ने कर्ज लेने वाले ग्राहकों से मिल रही शिकायतों और उनके हितों को ध्यान में रखते हुए डिजिटल बैंकिंग (मोबाइल ऐप से लोन देने) पर एक समिति बनाई थी। इस समिति ने आरबीआई को कुछ सिफारिशें दी जिसे उसने कुछ को लागू करने का फैसला किया है।
 
आरबीआई के मुताबिक कंपनियों को कर्ज देने में कई तरह के मानक पूरे करने होंगे। उन कंपनियों को कर्ज देते समय ग्राहकों को सभी तरह के शुल्क की जानकारी देनी होगी। कर्ज की सभी जानकारी क्रेडिट रेटिंग कंपनियों को देनी होगी।
 
एक अनुमान के मुताबिक भारत में 1100 से अधिक डिजिटल ऐप लोगों को कर्ज दे रहे हैं। जिनमें से 600 से अधिक ऐप फर्जी हैं।
 
रिपोर्ट : आमिर अंसारी
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