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Written By DW
Last Modified: शुक्रवार, 6 सितम्बर 2024 (07:50 IST)

पाकिस्तान में बाढ़ से कैसे बढ़ी नाबालिग लड़कियों की शादियां?

पाकिस्तान में बाढ़ से कैसे बढ़ी नाबालिग लड़कियों की शादियां? - monsoon brides extreme weather fuels pakistan child marriages
बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण पाकिस्तान में बाल विवाह के मामले बढ़े हैं। गरीब परिवारों में माता-पिता पैसे लेकर नाबालिग लड़कियों की शादी कर रहे हैं। 2022 की भीषण बाढ़ के बाद ऐसे मामलों में तेजी आई है।
 
पाकिस्तान उन देशों में है, जहां बीते सालों में जलवायु संकट के कारण बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा ज्यादा भीषण और नियमित हुई हैं। चरम मौसमी घटनाओं का एक बड़ा खामियाजा लड़कियों को उठाना पड़ रहा है। समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, मॉनसून की तेज बारिश के बाद बाढ़ के डर के कारण यहां बाल विवाह के मामले बढ़ गए हैं। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें माता-पिता ने गरीबी की वजह से पैसे लेकर अपनी नाबालिग बेटियों की शादी कर दी।
 
खुशहाल जिंदगी की उम्मीद में दोगुनी उम्र के आदमी से शादी
सिंध प्रांत के दादू जिले में रहने वाली 14 साल की शमीला और उनकी 13 वर्षीय बहन अमीना के साथ यही हुआ। बाढ़ के डर के बीच बारिश का मौसम शुरू होने से पहले ही माता-पिता ने शमीला और अमीना की शादी कर दी। उन्होंने यह फैसला परिवार को बाढ़ के समय आने वाली किल्लत से बचाने के लिए लिया था। उन्हें उम्मीद थी कि शमीला को अच्छी जिंदगी मिल सकेगी।
 
शमीला का पति उससे दोगुनी उम्र का है। वह कहती हैं, "अपनी शादी की बात सुनकर मैं बहुत खुश थी। मुझे लगा, जिंदगी काफी आसान हो जाएगी।" शमीला की यह उम्मीद पूरी नहीं हुई। वह बताती हैं, "मेरे पास कुछ बचा नहीं। और अब दोबारा बारिश का मौसम आ रहा है तो लग रहा है कि जितना है कहीं वो भी ना चला जाए।"
 
शमीला की सास बीबी सचल ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे की शादी के लिए शमीला के माता-पिता को दो लाख पाकिस्तानी रुपए दिए। यह बड़ी रकम है, खासकर ऐसे ग्रामीण क्षेत्र में जहां कई परिवार 80 रुपए के दैनिक खर्च में गुजारा करते हों।
 
2022 की भीषण बाढ़ का असर
यूनिसेफ के अनुसार, जलवायु संकट के  कारण आ रही प्राकृतिक आपदाओं ने लड़कियों को भारी जोखिम में डाल दिया है। माशूक बरहमनी, गैर-सरकारी संगठन 'सजग संसार' के संस्थापक हैं। वह धार्मिक गुरुओं के साथ मिलकर बाल विवाह पर रोक लगाने और जागरूकता फैलाने का अभियान चलाते हैं। बरहमनी बताते हैं कि 2022 में आई भीषण बाढ़  के बाद दादू जिले के कई गांवों में बाल विवाह के मामले बढ़ गए हैं। एएएफपी से बातचीत में उन्होंने कहा, "इस वजह (कुदरती आपदा) से लोग अपनी नाबालिग बच्चियों की शादियां करा रहे हैं। परिवारों को बस जिंदा रहने का साधन चाहिए होता है और इसमें पिसती हैं लड़कियां, जिनकी पैसों के बदले शादी कर दी जाती है।"
 
साल 2022 में आई ऐतिहासिक बाढ़ में पाकिस्तान का एक तिहाई हिस्सा डूब गया। तीन करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हुए। हजारों स्कूल, अस्पताल का नुकसान हुआ। बुनियादी ढांचे को बड़ी चोट पहुंची। दो साल बाद भी इस भीषण बाढ़ का असर महसूस किया जा रहा है। जानकारों के मुताबिक, इस त्रासदी के बाद खासतौर पर वंचित वर्गों के बीच आपदाओं का डर काफी बढ़ गया है।
 
दक्षिण एशिया में भारत की ही तरह पाकिस्तान में भी किसानों के लिए मॉनसून की बारिश बहुत अहमियत रखती है। जुलाई से सितंबर के बीच होने यह बारिश फसल की बुआई और सिंचाई के लिए बेहद अहम है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश का मौसम लंबा और अप्रत्याशित होता जा रहा है। बेमौसम बरसात और मूसलधार बारिशें ज्यादा नियमित हो गई हैं। इसके कारण भूस्खलन और बाढ़ की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। कहीं बारिश के इंतजार में फसल सूख रही है, तो कहीं अतिवृष्टि के कारण फसल बेकार हो जाती है।
 
पाकिस्तान में बाल विवाह की क्या स्थिति
देश के अलग-अलग प्रांतों में शादी की न्यूनतम आयु से जुड़े नियम एक जैसे नहीं हैं। आमतौर पर यह आयुसीमा 16 से 18 साल के बीच है। जानकारों के मुताबिक, कानून को लागू करा पाना एक बड़ी चुनौती है। दिसंबर 2023 में आए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 18 साल से कम उम्र में शादी करने वाली लड़कियों की संख्या के मामले में पाकिस्तान दुनिया में छठे स्थान पर है।
 
पिछले कुछ समय से बाल विवाह के मामलों में गिरावट आई थी, लेकिन अब फिर से स्थितियां खराब हो रही हैं। मानवाधिकार समूहों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन  की वजह से आ रही आपदाएं भी इस समस्या को बढ़ाने में योगदान दे रही हैं। नियाज अहमद चांडियो, दादू में बच्चों के अधिकारों से जुड़े एक गैर-सरकारी संगठन के संयोजक हैं। उन्होंने डीडबल्यू को बताया, "पिछले एक साल के दौरान दादू में बाल विवाह के 45 मामले दर्ज किए गए हैं। मेरा मानना ​​है कि ऐसे और भी दर्जनों मामले हो सकते हैं, जिनका अभी तक पंजीकरण ही नहीं हुआ है।" शमीला और अमीना के खान मोहम्मद मल्लाह गांव में ही पिछले मॉनसून के बाद से अब तक करीब 45 नाबालिग लड़कियों की शादी हो चुकी है।
 
बाल विवाह बना परिवारों के जीने का साधन
65 साल के बुजुर्ग मई हजानि भी खान मोहम्मद मल्लाह गांव के निवासी हैं। 2022 की बाढ़ के बाद हालात और मानसिकता में कैसा बदलाव आया है, इसे रेखांकित करते हुए वह बताते हैं, "2022 की भारी बरसात से पहले तक किसी को भी अपनी छोटी लड़कियों की शादी करने की जल्दी नहीं थी। लड़कियां यहां खेती करती थीं, लकड़ी के बिस्तरों के लिए रस्सियां बुनती थीं। आदमी भी मछली पकड़ने और खेती करने में व्यस्त रहते थे। कुछ ना कुछ काम हमेशा होता ही था।"
 
लोगों का कहना है कि अब उन्हें बेटियों को ब्याहने की जल्दी है। कई ग्रामीणों ने एएफपी को बताया कि आमतौर पर वे पैसे लेकर बेटियों की शादी कर देते हैं। इससे परिवार की भी आमदनी होती है और उन्हें लगता है, बेटियां भी गरीबी से निकल जाएंगी। ऐसे भी मामले सामने आएं हैं, जहां लड़़के के परिवार ने शादी की रकम देने के लिए कर्ज लिया और फिर कर्ज चुकाने में नाकाम रहने पर लड़का पत्नी समेत अपनी ससुराल में रहने लगा।
 
नजमा अली और उनके पति की आपबीती ऐसी ही है। 2022 की बाढ़ के बाद माता-पिता ने महज 14 साल की उम्र में नजमा की शादी कर दी। शादी के समय नजमा काफी खुश थीं। वह बताती हैं, "मेरे पति ने मेरे माता-पिता को ढाई लाख रुपए दिए, वो भी कर्ज लेकर। अब वह कर्ज नहीं चुका पा रहे हैं।" अपने छह महीने के बच्चे का पालना झुलाते हुए नजमा आगे कहती हैं, "मैंने सोचा था कि मैं नए कपड़े लूंगी, लिपस्टिक लाऊंगी, नए बर्तन खरीदूंगी। लेकिन अब मैं वापस अपने माता-पिता के पास आ गई हूं, पति और बच्चे को लेकर।"
 
जलवायु संकट के कारण रोजी-रोटी के लाले
नजमा, नैरा घाटी के एक गांव में रहती हैं। यह भी सिंध प्रांत का इलाका है। यहां पानी इतना प्रदूषित है कि सारी मछलियां मर चुकी हैं। नजमा की मां कहती हैं, "हमारे धान के खेत हुआ करते थे, जहां हमारी बेटियां भी काम करती थीं। वहां हम सब्जियां भी उगाते थे। अब पानी इतना जहरीला हो गया कि वहां सब कुछ खत्म हो चुका है। यह खासकर 2022 के बाद हुआ है।" नजमा की मां कहती हैं, "पहले लड़कियां बोझ नहीं हुआ करती थीं, लेकिन अब ऐसा है कि जिस उम्र में लड़कियों की कायदे से शादी होनी चाहिए, उस उम्र में उनके 3-4 बच्चे हैं। और फिर वो वापस भी आ जाती हैं अपने माता-पिता के साथ रहने क्योंकि उनके पति काम नहीं करते।"
 
2022 की बाढ़ का साफ पानी की आपूर्ति और जल स्रोतों पर बड़ा असर पड़ा। बड़ी संख्या में तालाब और कुएं प्रदूषित हो गए। उनका पानी पीने लायक नहीं बचा। 2023 में आई यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बाढ़ प्रभावित इलाकों में करीब 54 लाख लोग अब भी अपनी जरूरतों के लिए पूरी तरह प्रदूषित पानी पर निर्भर हैं।
 
बाल विवाह के नुकसानों पर जागरूकता की जरूरत
मौसमी संकट तो है ही, लेकिन पाकिस्तान के पितृसत्तात्मक समाज ने भी इस संकट को बड़ा बनाने में अहम भूमिका निभाई है। पर्यावरण और लैंगिक मुद्दों पर काम कर रहीं पत्रकार आफिया सलाम ने डीडब्ल्यू को बताया, "यहां लड़कियों को बोझ समझा जाता है। जल्द-से-जल्द उनकी शादी करने की कोशिश की जाती है।" वह मानती हैं कि इस मुद्दे पर व्यापक जागरूकता की जरूरत है।
 
बाल विवाह के कारण लड़कियां जल्दी मां भी बन जाती हैं और आगे चलकर उन्हें स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं भी झेलनी पड़ती हैं। शिक्षा और रोजगार की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं, जिससे वे असुरक्षित महसूस करती हैं और पूरी तरह से अपने परिवारों पर निर्भर रहती हैं। ऐसे में सरकार, प्रशासन और सिविल सोसायटी की और से ज्यादा प्रयास करने की जरूरत है। समय रहते दखल दिया जाए तो कुछ बदलाव हासिल हो सकते हैं, जैसा कि महताब के साथ हुआ। महताब का परिवार भी 2022 की बाढ़ से प्रभावित हुआ। वे राहत शिविर में ही थे, जब उनके पिता दिलदार अली शेख ने महताब की शादी तय कर दी। उस समय महताब मात्र 10 साल की थीं।
 
गैर-सरकारी संगठन सुजग संसार के हस्तक्षेप के कारण महताब की ना केवल शादी टल गई, बल्कि संगठन ने एक सिलाई की वर्कशॉप में भी उनका दाखिला कराया। इसके कारण महताब की पढ़ाई भी जारी रही और वह थोड़ा-बहुत कमाने भी लगीं। लेकिन जब मॉनसून आता है, महताब को शादी का डर सताने लगता है। वह कहती हैं, "मैंने अपने पिता से कहा है कि मैं पढ़ना चाहती हूं। मैं अपने आस-पास शादीशुदा लड़कियां देखती हूं जिनकी जिंदगी बहुत मुश्किल है। मैं अपने लिए ऐसा नहीं चाहती।"
एसके/एसएम (एएफपी)
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