दी गई थी महामारी की चेतावनी, फिर भी असफल रहे नेता
2019 में एक वैश्विक रिपोर्ट ने कोविड-19 जैसी महामारी के लिए तैयारी कर लेने के लिए विश्व के नेताओं को आगाह किया था। लेकिन चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया गया और पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए।
कोरोनावायरस महामारी की रोकथाम के लिए सभी देशों के नेता कितने मुस्तैद थे, इस विषय पर आई एक रिपोर्ट ने राजनेताओं की सामूहिक असफलता की आलोचना की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नेताओं को एक संक्रामक महामारी से लड़ने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दे दी गई थी लेकिन उसके बावजूद नेताओं से चूक हुई। रिपोर्ट में नेताओं को जोखिम का सामना कर रही दुनिया को अशांति की अवस्था में लाने का जिम्मेदार ठहराया गया है।
इस रिपोर्ट को ग्लोबल प्रीपेयरेडनेस मॉनिटरिंग बोर्ड (जीपीएमबी) ने बनाया है जिसके सह-संयोजक विश्व बैंक और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) हैं। डब्ल्यूएचओ के पूर्व महानिदेशक ग्रो हार्लेम ब्रूनलैंड इसके अध्यक्ष हैं और वे इस समय डब्ल्यूएचओ पर निगरानी रखने वाली एक स्वतंत्र संस्था के भी अध्यक्ष हैं।
जीपीएमबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि तैयारी करने के लिए पर्याप्त वित्तीय और राजनीतिक निवेश नहीं किया गया और हम सब उसकी कीमत चुका रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ऐसा नहीं है कि दुनिया को तैयारी के लिए कदम उठाने का मौका नहीं मिला। पिछले 1 दशक में कई बार कदम उठाने की मांग की गई लेकिन कभी भी वे बदलाव नहीं किए गए जिनकी जरूरत है।
2019 में जीपीएमबी की रिपोर्ट चीन में कोरोनावायरस के सामने आने से कुछ महीने पहले जारी की गई थी और उसमें कहा गया था कि सांस के जरिए असर करने वाले एक घातक रोगाणु की वजह से तेजी से फैलने वाली एक महामारी का वास्तविक खतरा है। रिपोर्ट में चेतावनी भी दी गई थी कि ऐसी महामारी लाखों लोगों की जान ले सकती है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर सकती है।
इस साल की रिपोर्ट का शीर्षक है- 'ए वर्ल्ड इन डिसऑर्डर' और उसमें कहा गया है कि इसके पहले कभी भी विश्व के नेताओं को एक विनाशकारी महामारी के खतरों के बारे में इतने स्पष्ट रूप से आगाह नहीं किया गया था, लेकिन इसके बावजूद वे पर्याप्त कदम उठाने में असफल रहे। रिपोर्ट में आगे लिखा है कि कोविड-19 महामारी ने महामारी निवारण, तैयारी और प्रतिक्रिया को गंभीरता से लेने और उसी हिसाब से उसे प्राथमिकता देने में हमारी सामूहिक असफलता को उजागर कर दिया है।
रिपोर्ट ने कहा है कि रोगाणु हंगामे और अव्यवस्था में कामयाब होते हैं। कोविड-19 ने यह साबित कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सालभर पहले ही सरकारों के मुखियाओं के महामारी की तैयारी करने के लिए प्रतिबद्धता जताने और उसमें निवेश करने, स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने और वित्तीय जोखिम के लिए योजना बनाने वालों को एक विनाशकारी महामारी के खतरे को गंभीरता से लेने के लिए कहा गया था, लेकिन इनमें से किसी भी मोर्चे पर तरक्की नहीं की गई।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नेतृत्व का अभाव मौजूदा महामारी को और उत्तेजित कर रहा है और अगर कोविड-19 के सबक को सीखने और आवश्यक संसाधनों और प्रतिबद्धता के साथ इसकी रोकथाम करने में चूक हुई तो इसका मतलब होगा कि अगली महामारी जिसका कि आना तय है और ज्यादा नुकसानदेह होगी।
सीके/एए (रॉयटर्स)