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Written By DW
Last Updated : शनिवार, 24 मई 2025 (08:39 IST)

ट्रंप का 'गोल्डन डोम' इसराइली आयरन डोम से कितना अलग होगा?

trump on golden dome photo white house x account
श्टेफानी ह्योप्नर
अमेरिका का ‘गोल्डन डोम’ मिसाइल डिफेंस सिस्टम इसराइली के आयरन डोम सिस्टम से मिलता-जुलता है। हालांकि, अमेरिका की योजनाएं इससे कहीं आगे जाती हैं और इसमें बाहरी अंतरिक्ष से आने वाले खतरों को भी शामिल करने की कोशिश की गई है।
 
चुनाव अभियान में किए गए अपने वादे के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका को हवाई और यहां तक कि बाहरी अंतरिक्ष से होने वाले खतरों से बचाने के लिए एक नई मिसाइल रक्षा प्रणाली स्थापित करना चाहते हैं। इसका नाम दिया गया है ‘गोल्डन डोम।' ट्रंप ने इस हफ्ते की शुरुआत में बताया कि ‘गोल्डन डोम' की लागत कम से कम 175 अरब डॉलर होगी। इसे जनवरी 2029 में ट्रंप के कार्यकाल के अंत तक स्थापित किया जाना है।
 
पेंटागन के मुताबिक, अमेरिका को रूस और चीन से बढ़ते खतरे का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, आलोचक भारी लागत और अवास्तविक समय-सीमा से जुड़ी चेतावनी देते हैं। डेमोक्रेटिक सांसदों ने खरीद प्रक्रिया और ट्रंप के सहयोगी इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की संभावित भागीदारी के बारे में भी चिंता जताई है।
 
इस परियोजना ने पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है। चीनी विदेश मंत्रालय ने राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पर ‘वैश्विक रणनीतिक संतुलन और स्थिरता' को कमजोर करने का आरोप लगाया है। वहीं, कनाडा ने अमेरिका की गोल्डन डोम योजना में शामिल होने में रुचि दिखाई है।
 
गोल्डन डोम कैसे काम करेगा?
इस्राएली आयरन डोम के जैसा ही अमेरिका का गोल्डन डोम बनाने की योजना है। इस्राएल का आयरन डोम छोटी और मध्यम दूरी के रॉकेट और मिसाइलों को रोकता है। यह मार्च 2011 से इस्तेमाल में है। इसमें एक रडार यूनिट, एक नियंत्रण केंद्र और एक मिसाइल लॉन्चर होता है। ट्रंप के गोल्डन डोम के विपरीत, आयरन डोम को एक छोटे से क्षेत्र की रक्षा के लिए डिजाइन किया गया था। यह एक मोबाइल सिस्टम है जिसे कई जगहों पर तैनात किया जा सकता है।
 
वहीं दूसरी ओर, अमेरिकी मॉडल को परमाणु हथियारों के साथ-साथ अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलों से बचाव करने में सक्षम बताया गया है। यह रक्षा परियोजना पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन (1981-1989) के समय की अमेरिकी योजनाओं पर आधारित है। रीगन ‘स्टार वार्स' नाम की साइंस-फाई फिल्मों की सीरीज पर आधारित एक मिसाइल रक्षा कवच चाहते थे, जिसमें अंतरिक्ष में इंटरसेप्टर सिस्टम लगाए जाने थे।
 
अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि गोल्डन डोम हमारे देश को किसी भी दुश्मन के हवाई हमलों से सुरक्षित रखेगा।” उन्होंने आगे कहा, "पिछले चार दशकों में, हमारे विरोधियों ने पहले से कहीं अधिक उन्नत और घातक लंबी दूरी के हथियार विकसित किए हैं। इनमें बैलिस्टिक, हाइपरसोनिक और क्रूज मिसाइलें शामिल हैं जो पारंपरिक या परमाणु हथियारों से अमेरिका पर हमला करने में सक्षम हैं। हालांकि, अभी यह देखना बाकी है कि गोल्डन डोम कैसे काम करेगा।
 
चर्चित हो गया है आयरन डोम
अमेरिका के अलावा, दूसरे देशों ने भी आयरन डोम को एक मॉडल के तौर पर अपनाया है या अपनी रक्षा प्रणालियों के लिए इसी तरह का मिलता-जुलता नाम या चर्चा पैदा करने वाला शब्द इस्तेमाल किया है।
 
फरवरी में सैन्य समाचार पत्रिका ‘डिफेंस न्यूज' को इस्राएल के सेवानिवृत्त ब्रिगेड जनरल शाचर शोहाट ने बताया, "हमें आयरन डोम के बीच अंतर करने की जरूरत है, जो एक छोटी से मध्यम दूरी की प्रणाली है। यह कोका कोला की तरह ब्रैंड बन गया है, जिसका अब हर कोई इस्तेमाल करता है क्योंकि यह अत्यधिक सफल है।”
 
उदाहरण के लिए, 2024 के अंत में, ग्रीस ने घोषणा की कि वह अपने रक्षा बजट को काफी ज्यादा बढ़ाएगा और ड्रोन और मिसाइलों से बचाव के लिए इस्राएली आयरन डोम के समान एक सुरक्षा कवच बनाएगा। एथेंस ने तर्क दिया कि वायु रक्षा प्रणाली ‘यूरोपीय स्काई शील्ड' को विकसित करने की गति बहुत धीमी थी।
 
ग्रीक रक्षा मंत्री निकोस डेंडियास ने समझाया कि ग्रीक ‘आयरन डोम' इस्राएली मोबाइल मिसाइल रक्षा प्रणाली से अलग है क्योंकि खतरा अलग है। ग्रीस को सबसे पहले ड्रोन हमलों से अपनी रक्षा करनी होगी।
 
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) के वरिष्ठ शोधकर्ता पीटर वेंजमैन ने अक्टूबर 2023 में अमेरिकी पत्रिका ‘न्यूजवीक' को बताया कि पिछले एक दशक में कई देशों ने आयरन डोम सिस्टम में रुचि दिखाई है।
 
उन्होंने कहा, "रोमानिया और साइप्रस ने 2022 में, अजरबैजान ने 2016 में, दक्षिण कोरिया ने 2012 में, भारत ने 2010 में, और सिंगापुर ने 2009 में रुचि दिखाई। हालांकि, भारत और दक्षिण कोरिया ने अंततः उन योजनाओं को आगे नहीं बढ़ाया। वहीं, अन्य मामलों में वास्तविक ऑर्डर या डिलीवरी की कोई पुष्टि नहीं हुई है।”
 
यूरोप का स्काई शील्ड
यूरोप में भी आयरन डोम जैसा सिस्टम बनाने की बात हुई है। 2022 में, यूरोपीय स्काई शील्ड इनिशिएटिव (ईएसएसआई) को यूरोपीय वायु और मिसाइल रक्षा परियोजना के तौर पर तैयार किया गया था।
 
स्काई शील्ड का मकसद है कि साथ मिलकर छोटी, मध्यम और लंबी दूरी की सुरक्षा सिस्टम हासिल किया जाए, ताकि हवा से आने वाले हर खतरे से बचा जा सके। जर्मनी के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, 23 देश इस पहल में शामिल हो चुके हैं।
photo courtesy : white house x account
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