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Last Updated : गुरुवार, 13 अक्टूबर 2016 (12:05 IST)

कहां-कहां हैं बच्चों के हाथों में बंदूकें

कहां-कहां हैं बच्चों के हाथों में बंदूकें - Extremism child
दुनिया के अलग अलग हिस्सों में जारी संघर्षों में बच्चे न सिर्फ पिस रहे हैं, बल्कि उनके हाथों में बंदूकें भी थमाई जा रही हैं। एक नजर उन देशों पर जहां बच्चों को लड़ाई में झोंका जा रहा है।
 
अफगानिस्तान : तालिबान और अन्य कई आतंकवादी गुट बच्चों को भर्ती करते रहे हैं और उनके सहारे कई आत्मघाती हमलों को अंजाम भी दे चुके हैं। कई बार अफगान पुलिस पर भी बच्चों को भर्ती करने के आरोप लगते हैं।
बर्मा : बर्मा में बरसों से हजारों बच्चों को जबरदस्ती फौज में भर्ती लड़ाई के मोर्चे पर भेजने का चलन रहा है। इनमें 11 साल तक के बच्चे भी शामिल होते हैं।
 
सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक : इस मध्य अफ्रीकी देश में 12-12 साल के बच्चे विभिन्न विद्रोही गुटों का हिस्सा रहे हैं। लॉर्ड रजिस्टेंस ग्रुप पर बच्चों को इसी मकसद से अगवा करने के आरोप लगते हैं।
 
चाड : यहां विद्रोही ही नहीं बल्कि सरकारों बलों में भी बच्चों को भर्ती किया जाता रहा है। 2011 में सरकार ने सेना में बच्चों को भर्ती न करने का एक समझौता किया था।
 
कोलंबिया : इस दक्षिण अमेरिकी देश में पिछले दिनों गृहयुद्ध खत्म हो गया। लेकिन उससे पहले फार्क विद्रोही गुट में बड़े पैमाने पर बच्चों को भर्ती किया गया था।
 
डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन ऑफ कांगो : संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि एक समय तो इस देश में तीस हजार लड़के लड़कियां विभिन्न गुटों की तरफ से लड़ रहे थे। कई बार तो लड़कियों को यौन गुलाम की तरह इस्तेमाल किया जाता है।
 
भारत : छत्तीसगढ़ जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में कई बच्चों के हाथों में बंदूक थमा दी जाती है। कई बार सुरक्षा बलों से मुठभेड़ों मे बच्चे भी मारे जाते हैं।
 
इराक : अल कायदा बच्चों को लड़ाके ही नहीं, बल्कि जासूसों के तौर पर भी भर्ती करता रहा है। कई बार सुरक्षा बलों पर होने वाले आत्मघाती हमलों को बच्चों ने अंजाम दिया है।
 
सोमालिया : कट्टरपंथी गुट अल शबाब 10 साल तक के बच्चों को जबरदस्ती भर्ती करता रहा है। उन्हें अकसर घरों और स्कूलों से अगवा कर लिया जाता है। कुछ सोमाली सुरक्षा बलों में भी बच्चों को भर्ती किए जाने के मामले सामने आए हैं।
 
दक्षिणी सूडान : 2011 में दक्षिणी सूडान के अलग देश बनने के बाद वहां की सरकार ने कहा था कि अब बच्चों को सैनिक के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, लेकिन कई विद्रोही गुटों में अब भी बच्चे हैं।
 
सूडान : सूडान के दारफूर में दर्जनों हथियारबंद गुटों पर बच्चों को भर्ती करने के आरोप लगते हैं। इनमें सरकार समर्थक और विरोधी, दोनों ही तरह के मिलिशिया गुट शामिल है।
 
यमन : यमन में अरब क्रांति से पहले 14 साल तक के बच्चों को सरकारी बलों में भर्ती किया गया था। हूथी विद्रोहियों के लड़ाकों में भी ऐसे बच्चे शामिल हैं जिनके हाथों में बंदूक हैं।