मंगलवार, 31 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. पूरी दुनिया को कितना महंगा पड़ रहा है वायु प्रदूषण
Written By
Last Updated : गुरुवार, 13 फ़रवरी 2020 (09:01 IST)

पूरी दुनिया को कितना महंगा पड़ रहा है वायु प्रदूषण

Air pollution | पूरी दुनिया को कितना महंगा पड़ रहा है वायु प्रदूषण
पर्यावरण संबंधी शोध करने वाले 2 संस्थानों ने बताया है कि जीवाश्म ईंधन से होने वाले वायु प्रदूषण की वैश्विक कीमत 8 अरब डॉलर प्रतिदिन है। ये विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का 3.3 प्रतिशत है।
 
जीवाश्म ईंधन के कारण होने वाले वायु प्रदूषण की वैश्विक कीमत 8 अरब डॉलर प्रतिदिन है। यह विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का 3.3 प्रतिशत है। यह गणना की है पर्यावरण संबंधी शोध संस्थान सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर और ग्रीनपीस साउथईस्ट एशिया ने। वायु प्रदूषण की धनराशि के हिसाब से आकलन देने वाले ये दोनों पहले संस्थान हैं।
इनकी रिपोर्ट में बताया गया कि हमने पाया कि चीन का मुख्य भू-भाग, अमेरिका और भारत पूरी दुनिया में जीवाश्म ईंधन से होने वाले वायु प्रदूषण की सबसे ज्यादा कीमत अदा करते हैं। हर साल चीन इसकी अनुमानित 900 अरब डॉलर कीमत अदा करता है, अमेरिका 600 अरब डॉलर और भारत 150 अरब डॉलर।
 
शोधकर्ताओं ने पाया कि जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल से जो कण निकलते हैं, उनकी वजह से दुनियाभर में हर साल 45 लाख असामयिक मौतें होती हैं। इनमें से अकेले चीन और भारत में ही 18 लाख मौतें हो जाती हैं। ये नए आंकड़े विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुकूल ही हैं।
 
संगठन का अनुमान है कि भूमि तल के वायु प्रदूषण की वजह से हर साल 42 लाख मौतें होती हैं। इनमें से अधिकतर मौतें हृदयरोग, स्ट्रोक, फेफड़ों के कैंसर और बच्चों में सांस संबंधी घातक संक्रमण की वजह से होती हैं।
 
ग्रीनपीस ईस्ट एशिया में कार्यरत साफ हवा के लिए अभियान चलाने वाले मिनवू सोन बताते हैं कि जीवाश्म ईंधन से होने वाला वायु प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य और हमारी अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक खतरा है, जो हर साल लाखों लोगों की जान ले लेता है और हमें उसकी अरबों डॉलर में कीमत अदा करनी पड़ती है। सन् 2018 में इसकी वैश्विक कीमत 2,900 अरब डॉलर थी।
 
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस समस्या को सुलझाना संभव है और इसके लिए कि ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के इस्तेमाल की तरफ बढ़कर, डीजल और पेट्रोल की गाड़ियों को धीरे-धीरे हटाकर और सार्वजनिक यातायात को बढ़ावा देकर स्थिति बदली जा सकती है।
 
44 पन्नों की इस रिपोर्ट में जीवाश्म ईंधनों से होने वाले वायु प्रदूषण के वैश्विक बोझ को विस्तार से समझाया गया है। हर साल वैश्विक अर्थव्यवस्था को नाइट्रोजन ऑक्साइड की वजह से 350 अरब डॉलर और ओजोन की वजह से 380 अरब डॉलर का नुकसान होता है।
 
सबसे महंगा प्रदूषक है पीएम 2.5, जिसकी वजह से हर साल 2 हजार अरब डॉलर से भी ज्यादा का नुकसान हो जाता है। इस नुकसान का आकलन स्वास्थ्य पर असर, काम से ली गईं छुट्टियों और असामयिक मृत्यु की वजह से खो गए वर्षों को लेकर किया जाता है।
 
पीएम 2.5 की वजह से हर साल लगभग 40,000 बच्चे अपने 5वें जन्मदिन से पहले मर जाते हैं। इसकी वजह से हर साल 20 लाख बच्चों का गर्भ की अवधि पूरा होने से काफी पहले ही जन्म हो जाता है और 40 लाख दमा रोग के मामले भी सामने आते हैं।
 
जीवाश्म ईंधनों द्वारा फैलाए गए प्रदूषण से होने वाली असामयिक मौतों की अनुमानित संख्या यूरोपीय संघ में 3,98,000, अमेरिका में 2,30,000, बांग्लादेश में 96,000 और इंडोनेशिया में 44,000 है।
 
सीके/आरपी (एएफपी)
ये भी पढ़ें
भारत में ब्रेन डेथ पर राष्ट्रीय कानून नहीं, पाप - पुण्य के उलझन में परिवार