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Last Modified: मंगलवार, 1 मई 2018 (11:32 IST)

एक दिन के लिए चुड़ैलों का शहर

एक दिन के लिए चुड़ैलों का शहर | Witch
जर्मनी के उत्तर मध्य में हार्त्स पहाड़ों के इलाकों में लोग वालपुर्गिसनाख्ट यानी 30 अप्रैल का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह वो दिन है जब हर तरफ चुड़ैलें नजर आती हैं। कहां से आ जाती हैं एक ही दिन इतनी सारी चुड़ैलें?

कहां से आती हैं इतनी चुड़ैलें
राजधानी बर्लिन से करीब 200 किलोमीटर दूर इस इलाके में 30 अप्रैल के आसपास आने वाले लोग अपने इर्दगिर्द इतनी बड़ी संख्या में चुड़ैलों को देख कर हैरान हो जाते हैं। दरअसल यह स्थानीय लोग ही हैं जो इस दिन चुड़ौल का वेष धरते हैं।
 
हर तरफ हर जगह चुड़ैल
इस दिन गुड़ियों को भी चुड़ैल की शक्ल दे दी जाती है। बिजली के खंभों से लेकर पेड़ों, पार्क की बेंचों पर तो खिड़कियों या दीवारों से लटकती हुई अलग अलग रंग और आकार की चुड़ैलें आपको नजर आएंगी, लेकिन घबराइए मत, ये नुकसान नहीं पहुंचाएंगी।
 
चुड़ैल बनाने वाली औरतें
ब्राउनलागे नाम के इस पहाड़ी शहर में 10 औरतों का एक क्लब है वालपुर्गिस। क्लब की औरतें नए नए डिजाइन की डरावनी चुड़ैल बनाती या मरम्मत करती हैं। इसके बाद इन्हें किराए पर दे दिया जाता है या फिर ये खुद ही इन्हें जगह जगह जा कर लगा आती हैं।
 
चुड़ैलों की साजसज्जा
डरावने चेहरे, लंबी टेढ़ी नाक, उलझे हुए बाल, पुराने पर्दे या चादर से बने कपड़े और लंबी नुकीली टोपियां या फिर एप्रन पहना कर गुड़ियों को चुड़ैलों की शक्ल दी जाती है। क्लब में आने वाले लोग अपनी अपनी पसंद से चुडैलों को चुनते हैं।
 
पहले से तैयारी
चुड़ैलों का मेला तो अप्रैल के आखिर में लगता है लेकिन इसकी तैयारी क्रिसमस के तुरंत बाद से ही शुरू हो जाती है। चुड़ैल पाने के ख्वाहिशमंद हर शख्स को चुड़ैल मिल जाए, इसके लिए क्लब के लोग काफी मेहनत करते हैं, तब जा कर मांग पूरी होती है।
 
सैकड़ों साल पुरानी परंपरा
वालपुर्गिस त्योहार की परंपरा ईसाईयत से पहले के वक्त से ही चली आ रही है। यह पर्व स्थानीय लोग वसंत के स्वागत में मनाते थे। बाद में चर्च ने इसके नए मायने गढ़ दिए। एक मई को सेंट वालपुर्गा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाने लगा, जो अंधविश्वास और आत्माओं से लोगों को बचाते थे।
 
घर घर में चुड़ैल
स्थानीय लोग चुड़ैल लेकर जाते हैं और कोई इसे अपने दरवाजे पर लगाता है तो कोई पेड़ की डालियों पर। कोई झाड़ियों की झुरमुट में छिपा कर रख देता है। छोटी बड़ी चुड़ैलें पूरे शहर में दिखने लगती हैं और ऐसा लगता है जैसे वो इसी शहर का एक हिस्सा हों।
 
आसपास के इलाकों में विस्तार
चुड़ैलों का पर्व अब सिर्फ ब्राउनलागे में ही नहीं बल्कि आसपास के दूसरे शहरों में भी मनाया जाने लगा है। इस साल 20 शहरों में 10 हजार से ज्यादा लोग चुड़ैलों को अपने घर ले कर गए हैं। अगले दिन मई दिवस की छुट्टी है तो कोई चिंता की भी बात नहीं।
 
सैलानियों का आकर्षण
धीरे धीरे इस पर्व ने लोकप्रियता भी हासिल कर ली है। अब तो इस दिन चुड़ैलों को देखने के लिए सैलानियों की भी भीड़ उमड़ती है। बहुत सारे लोग खुद भी चुड़ैलों की पोशाक और मुखौटे लगाकर चुड़ैल बन जाते हैं।
 
चुड़ैलों की वापसी
त्योहार खत्म होने के बाद सारी चुड़ैलें लोग वापस कर जाते हैं। अब तक ऐसा नहीं हुआ कि कोई चुड़ैल चोरी हो जाए या फिर वापस ना लौटे। इन्हें अगले साल फिर से इस्तेमाल करने के लिए सुरक्षित रख दिया जाता है। जो टूट फूट हुई हो, उसकी मरम्मत कर दी जाती है
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