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Written By WD Sports Desk
Last Updated : शनिवार, 1 फ़रवरी 2025 (11:40 IST)

सचिन तेंदुलकर BCCI ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार से होंगे सम्मानित

अपने युग के महानतम बल्लेबाज माने जाने वाले तेंदुलकर को हर परिस्थिति में सहजता से रन बनाने के लिए जाना जाता था। उन्होंने 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ 16 साल की उम्र में टेस्ट पदार्पण किया और अगले दो दशक में दुनिया भर के गेंदबाजों के खिलाफ रन बनाये। उनक - Sachin Tendulkar to receive BCCI lifetime achievement award
Lifetime Achievement Award : पूर्व महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को शनिवार को भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) के वार्षिक समारोह में बोर्ड के ‘लाइफटाइम अचीवमेंट (जीवनपर्यन्त उपलब्धि)’ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। तेंदुलकर इस पुरस्कार के 31वें प्राप्तकर्ता होंगे। बीसीसीआई ने भारत के पहले कप्तान कर्नल सीके नायडू (Colonel CK Nayudu) के सम्मान में 1994 में इस पुरस्कार को शुरू किया था। नायडू का 1916 से 1963 के बीच 47 साल लंबा प्रथम श्रेणी करियर रहा है। यह एक विश्व रिकॉर्ड है। नायडू ने प्रशासक के रूप में भी खेल की सेवा की थी।
 
 बोर्ड के एक सूत्र ने पीटीआई को बताया, ‘‘हां, उन्हें वर्ष 2024 के लिए सी के नायडू ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।’’
 
तेंदुलकर के 200 टेस्ट और 463 एकदिवसीय मैच इस खेल के इतिहास में किसी भी खिलाड़ी द्वारा सर्वाधिक हैं। उन्होंने वनडे में 18,426 रनों के अलावा 15,921 टेस्ट रन बनाए हैं।
 
उन्होंने अपने शानदार करियर में केवल एक टी20 अंतरराष्ट्रीय खेला है।
 
भारत के पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री (Ravi Shastri) और पूर्व दिग्गज विकेटकीपर फारुख इंजीनियर (Farokh Engineer) को 2023 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
 
अपने युग के महानतम बल्लेबाज माने जाने वाले तेंदुलकर को हर परिस्थिति में सहजता से रन बनाने के लिए जाना जाता था। उन्होंने 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ 16 साल की उम्र में टेस्ट पदार्पण किया और अगले दो दशक में दुनिया भर के गेंदबाजों के खिलाफ रन बनाये। उनके नाम टेस्ट और वनडे प्रारूप को मिलाकर 100 शतक लगाने का रिकॉर्ड भी है।

बल्लेबाजी के कई रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले तेंदुलकर भारत की 2011 विश्व कप विजेता टीम के एक प्रमुख सदस्य भी थे। यह उनका रिकॉर्ड छठा और आखिरी विश्व कप था।

sachin tendulkar

 
तेंदुलकर जब अपने खेल के अपने चरम पर थे तब उनकी बल्लेबाजी को देखने के लिए देश की एक बड़ी आबादी जैसे थम जाती थी। प्रतिद्वंद्वी टीमों के गेंदबाजों में उनका सबसे ज्यादा खौफ रहता था। दुनिया भर के कई पूर्व दिग्गज गेंदबाज यह कह चुके हैं भारतीय बल्लेबाजों में उन्हें सिर्फ तेंदुलकर से परेशानी होती है।
 
भारतीय क्रिकेट परिदृश्य में तेंदुलकर का उदय उसी समय हुआ जब भारत में आर्थिक उदारीकरण शुरू हुआ था। घुंघराले बालों इस प्रतिशाली क्रिकेटर से  कश्मीर से कन्याकुमारी तक लोगों का भावनात्मक जुड़ाव हो गया। वह इस दौरान कॉर्पोरेट भारत के भी पसंदीदा सितारे बनकर उभरे।
 
 जब 17 वर्षीय तेंदुलकर ने पर्थ के बेहद उछाल वाली वाका पिच पर शतक बनाया तो कई युवा को उनके नायक मिल गये।  उन्होंने 1998 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शारजाह में ‘डेजर्ट स्टॉर्म शतक’ बनाया तो मध्यम आयु वर्ग के लोगों ने उनमें अपने बेटे की झलक देखी।
 
मांसपेशियों में खिंचाव के दर्द को सहते हुए वह 1999 में चेन्नई टेस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ भारत को जीत के मुहाने पर लेजाकर जब आउट हुए तो करोड़ों दिल टुकड़े-टुकड़े हो गए।
 
दो अप्रैल 2011 को जब उन्होंने एकदिवसीय विश्व कप जीतने के बाद महेंद्र सिंह धोनी को गले लगाते हुए खुशी के आंसू बहाए तो पूरे देश ने उनकी खुशी साझा की।
 
उन्होंने नवंबर 2013 में मुंबई में अपने प्रशंसकों के सामने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर को अलविदा कहा तो लाखों लोगों की आंखें नम थी।
 
 सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने अपने चतुर दिमाग और मजबूत रक्षात्मक तकनीक के साथ भारतीय क्रिकेट को सम्मान दिलाया, तो तेंदुलकर ने अपने शानदार स्ट्रोक और खेल की शैली से ऐसा आभा बनाया कि वह अपने समय के सामाजिक प्रतीक बन गये।
 
बीसीसीआई रातों रात अमीर क्रिकेट बोर्ड नहीं बना। इसमें तेंदुलकर का बहुत बड़ा योगदान रहा जिसने देश के मध्यम वर्ग की बड़ी आबादी को इस खेल से जोड़ा।
 
 तेंदुलकर मध्यवर्गीय सफलता की वह कहानी थे, जिसके कारण ‘इंडिया (अमीर और व्यापारिक घराने) और भारतीय क्रिकेट का ‘सफल गठजोड़’ हुआ।
 
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि क्रिकेट इतिहासकार जब अलग-अलग युग के बारे में लिखेंगे तब ‘बीटी (तेंदुलकर से पहले), ‘डीटी (तेंदुलकर के दौरान)’ और ‘पीटी यानी कि तेंदुलकर के बाद)’ जैसे शब्द गढ़ने होंगे।
 
तेंदुलकर ने सोशल मीडिया से पहले के दिनों में बिना किसी कटुता के अपने कौशल से हमेशा भारत को एकजुट किया।
 
उनकी विनम्रता ने उन्हें और भी अधिक प्रिय बना दिया।
 
भारत के पास आसानी से ऐसे खिलाड़ी हो सकते हैं जिनके प्रशंसकों की संख्या तेंदुलकर से अधिक हो लेकिन जब बेदाग प्यार की बात आती है, तो किसी के लिए भी ‘मास्टर ब्लास्टर’ से आगे नहीं निकलना आसान नहीं होगा।  (भाषा)
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