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Last Updated : सोमवार, 22 मार्च 2021 (11:30 IST)

फाइनल में सचिन ने अपने करियर की इस एकमात्र कमी को किया पूरा

फाइनल में सचिन ने अपने करियर की इस एकमात्र कमी को किया पूरा - Sachin tendulkar shows his above par captaincy
बल्लेबाज सचिन जब जब मैदान पर उतरते हैं सचिन सचिन की गूंज से पूरा स्टेडियम गूंज उठता है। सचिन को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट छोड़े हुए लगभग 9 साल हो गए हैं लेकिन 47 वर्षीय सचिन तेंदुलकर की फैन फॉलॉइंग अब भी बहुत ज्यादा है। 
 
कल ही रायपुर के शहीद वीर नारायण सिंह अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में संपन्न हुई अनअकेडेमी रोड सेफ्टी सीरीज में इसका नजारा कई बार दिखा। सचिन इस सीरीज सर्वाधिक रन बनाने वालों की लिस्ट में तीसरे स्थान पर रहे हैं। सचिन ने 7 मैचों में 38 की औसत से 233 रन बनाए हैं जिसमें 2 अर्धशतक शामिल हैं। सचिन ने यह दोनों पारियां दक्षिण अफ्रीका और  सेमीफाइनल में वेस्टइंडीज के विरुद्ध खेली।
 
बल्लेबाज सचिन तो हमेशा ही हिट रहे हैं, लेकिन कप्तान सचिन की हमेशा आलोचना होती रही है। साल 1996 में विश्वकप हार के बाद सचिन तेंदुलकर को कप्तानी सौंपी गई। लेकिन बोर्ड का यह नतीजा बिल्कुल फ्लॉप रहा और मोहम्मद अजहरुद्दी को फिर कप्तानी सौंप दी गई।
 
इसके बाद 1999 के विश्वकप के बाद जब भारतीय टीम हारकर आयी थी तो बोर्ड ने कप्तानी में बदलाव किया था। सचिन तेंदुलकर को कप्तानी सौंपी गई थी लेकिन कप्तानी उनके व्यवहार के विरुद्ध काम साबित हुआ। 
 
ना ही सचिन एक कप्तान की तरह आक्रमक थे ना ही मैदान पर बदलती परिस्थितियों के चलते अपना निर्णय बदल पाते थे। जितने समय टीम उनकी कप्तानी में रही टीम एक दम प्रीडिक्टिबल रही। एक बार उन पर मुंबई कि खिलाड़ी को तरहजीह देने का भी आरोप लगा। 
 
दूसरी बार अजहर के बाद सचिन कप्तान इसलिए बनाए गए थे क्योंकि तब कोई भी खिलाड़ी दावे के साथ अपनी जगह को पक्की नहीं मान सकता था। खिलाड़ियों के फॉर्म में लय नहीं थी। सचिन की कप्तानी में भारत ने 73 मैच खेले और 43 मैच हारे और सिर्फ 23 में ही जीत मिली।उनकी कप्तानी में भारत एक भी बार एशिया कप जैसा मल्टी नेशनल टूर्नामेंट नहीं जीत सका। 
 
टेस्ट मैचों में कप्तानी का अनुभव तो सचिन के लिए और भी खराब रहा। उन्होंने टीम इंडिया के लिए 25 टेस्ट मैचों में कप्तानी की और सिर्फ 4 मैचों में ही टीम इंडिया को जीत नसीब हो पायी। 
लेकिन कल अपने करियर की इस कमी को कप्तान सचिन ने पूरा कर लिया। वह कप्तानी में बेहद दिलचस्पी लेते हुए दिखे। ऐसा लग रहा था कि वह अपने जूनियर विराट कोहली से काफी कुछ सीखे हैं। फील्ड में बदलाव हो या फिर खराब ओवर के बाद निराशा, सचिन के चहरे पर कप्तान के हर भाव समझे जा सकते थे। 

जब वह फाइनल मैच में सस्ते में आउट हो गए तो बल्लेबाजी करने युसूफ पठान को भेजा ताकि भारत बड़ा लक्ष्य बना सके।युसूफ ने भी कप्तान को निराश नहीं किया और 29 गेंदो में अर्धशतक जड़ दिया। वहीं गेंदबाजी में भी युसुफ को तब लाए जब लंका पर रनगति बढ़ाने का दबाव था। इससे दिलशान और जयसूर्या के महत्वपूर्ण विकेट भारत को मिल पाए। कुल मिलाकर सचिन को कप्तानी में कल 10 में से 9 नंबर मिलने चाहिए।
 
 
श्रीलंका लीजेंड्स को 14 रनों से हराकर सचिन ने अपने करियर की एकमात्र कमी, कप्तानी को भी निखार लिया। अब सचिन के लिए उपलब्धि हासिल करने के लिए क्रिकेट में तो कम से कम शायद ही कुछ बचा हो। (वेबदुनिया डेस्क)
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