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Written By WD Sports Desk
Last Modified: बुधवार, 4 दिसंबर 2024 (15:28 IST)

सचिन तेंदुलकर ने महान कोच रमाकांत आचरेकर को याद कर कहा, सर एक ‘जनरल स्टोर’ थे

सचिन तेंदुलकर ने महान कोच रमाकांत आचरेकर को याद कर कहा, सर एक ‘जनरल स्टोर’ थे - Ramakant Achrekar was an all rounder and one stop shop says sachin tendulkar
Ramakant Achrekar Memorial Ceremony : महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने मंगलवार को अपने बचपन के कोच रमाकांत आचरेकर को एक ‘ऑलराउंडर’ और ‘वन-स्टॉप शॉप’ करार दिया जो क्रिकेट का ककहरा सिखाने के मामले में अपने समय से बहुतों से काफी आगे थे क्योंकि उनकी कोचिंग मैदान से परे थी।
 
तेंदुलकर यहां प्रतिष्ठित शिवाजी पार्क में महान कोच आचरेकर के स्मारक का अनावरण करने के बाद बोल रहे थे।
 
इस मोके पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) भी मौजूद थे।

कोच आचरेकर की ट्रेनिंग में बिताए दिनों को याद करते हुए तेंदुलकर ने कहा कि जो खिलाड़ी उनसे कोचिंग ले चुके हैं, वे मैच के दौरान कभी तनाव में नहीं रहते थे।
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘अजीत (तेंदुलकर के बड़े भाई) खेलते थे और मैचों में उनका अवलोकन होता कि जो सर के छात्र नहीं थे वे तनाव में रहते थे। उन्हें हैरानी होती कि सर के छात्र कभी दबाव में नहीं होते। ’’
 
उन्होंने मराठी में कहा, ‘‘फिर उन्हें (अजीत को) अहसास हुआ कि सर ने बहुत सारे अभ्यास मैच खेले थे। मैं कोई अपवाद नहीं था। ’’

तेंदुलकर ने कहा, ‘‘सर की कोचिंग में हमेशा क्रिकेट होता रहता था। सर हमें नेट्स लाने के लिए कहते थे। जीतू के पिता ने सर को क्लब की किट के लिए एक कमरा दिया था, उन्होंने मुझे उसका इस्तेमाल करने के लिए कहा और मैं खेलता था। ’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने हमें चीजों को महत्व देना सिखाया। हम रोलिंग करते थे, पानी छिड़कते थे, नेट्स लगाते थे और अभ्यास करते थे। उन्होंने हमें ट्रेनिंग दी। ’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘सर अपनी आंखों से बहुत कुछ बता देते थे। हम उनकी भाव भंगिमा समझ जाते थे। उन्होंने मुझे कभी ‘अच्छा खेला’ नहीं कहा। ’’
 
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘सर ने ऐसा मौका नहीं लिया। मैच के बाद वह कभी-कभी मुझे वड़ा पाव लेने के लिए पैसे देते थे, इस तरह मुझे लगता था कि मैंने कुछ अच्छा किया होगा। हमेशा ऐसा ही स्नेह होता था। ’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘हम उनके घर जाते थे। उनकी पत्नी और वो हमें आमंत्रित करते और हमारा पसंदीदा भोजन मटन करी, पाव, नींबू और प्याज था। ’’
 
भारत के कई खिलाड़ियों को कोचिंग देने वाले आचरेकर का जनवरी 2019 में निधन हो गया। 1990 में आचरेकर को प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया और 2010 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
 
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘सर एक ‘जनरल स्टोर’ थे, उनके पास सब कुछ होता था। वह बहुत ख्याल रखते थे। जब हम डॉक्टर के पास जाते थे, तब भी वह स्थितियों को नियंत्रित करते थे। वह एक ऑलराउंडर थे।’’  (भाषा) 

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