35 साल के हुए मोहम्मद शमी, जल्द थमने वाली है अमरोहा एक्सप्रेस
जसप्रीत बुमराह से पहले भारतीय गेंदबाजी के अगुवा मोहम्मद शमी आज 35 साल के हो गए। कभी टीम के मुख्य गेंदबाज रहे मोहम्मद शमी को उनकी बढ़ती उम्र और खराब फॉर्म के कारण हर प्रारुप से दरकिनार किए जा रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या अमरोहा एक्सप्रेस का सफर जल्द थमने वाला है।मोहम्मद शमी अपने करियर की संध्यावेला में है और 2013 में डेब्यू करने वाले शमी खुशकिस्मत है कि संन्यास से पहले कम से कम वह खुद को आईसीसी चैंपियन्स ट्रॉफी विजेता टीम का हिस्सा कह सकते हैं। हालांकि उनकी उपस्थिति में टीम कभी विश्वकप नहीं जीती।
साल 2013 में मोहम्मद शमी ने एकदिवसीय क्रिकेट में पदार्पण किया और इस ही साल जून के महीने में चैंपियन्स ट्रॉफी जीत चुकी भारतीय टीम को क्या पता था अगले 10 साल क्या होने वाला है।
मोहम्मद शमी ने पाकिस्तान के खिलाफ अपने पहले ही एकदिवसीय मैच में अपनी तेजी और लाइन लैंग्थ से इतना प्रभावित किया कि भारतीय टीम ने 167 रनों का छोटा लक्ष्य भी बचा लिया और दिल्ली के मैदान पर चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान से सूपड़ा साफ होने की शर्मिंदगी से भी बचा लिया।
इस मैच में शमी ने 10 ओवर में 23 रन देकर सिर्फ 1 विकेट लिया था। लेकिन दुर्भाग्यवश चैंपियन्स ट्रॉफी 2013 में उनको शामिल नहीं किया गया। इसके बाद शमी के साथ टीम इंडिया का संघर्ष जारी रहा।
शमी भारत की ओर से वनडे विश्वकप 2015 में ऑस्ट्रेलिया गए जहां टीम सेमीफाइनल में हारी। इसके बाद वह चैंपियन्स ट्रॉफी 2017 में भारत के साथ थे जहां टीम फाइनल में हारी। साल 2019 के वनडे विश्वकप में हैट्रिक लेने वाले शमी को सेमीफाइऩल में नहीं शामिल किया गया। भारत यह मुकाबला 18 रनों से हारा।
साल 2022 के टी-20 विश्वकप सेमीफाइनल में शमी 1 विकेट नहीं ले पाए और लगा कि अब वह शायद ही टीम में वापस आ पाएं लेकिन साल 2023 के वनडे विश्वकप में भारतीय पिच पर उन्होंने ऐसा जलवा दिखाया कि फैंस ने दांतो तले उंगलिया दबा ली।
हार्दिक पंड्या के चोटिल होने के कारण भारत को जब अपनी बी योजना पर उतरना पड़ा तो शमी को 4 मैच के बाद खेलने का मौका मिला। स्पेशल शमी हालांकि इस चुनौती पर खरे उतरे और सात मैच में 10 से कुछ अधिक की औसत से 24 विकेट चटकाकर टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज बने।
अमरोहा एक्सप्रेस के नाम से मशहूर शमी ने अपनी सटीक गेंदबाजी और सीम मूवमेंट से दिग्गज बल्लेबाजों को धराशायी किया। उन्होंने सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ 57 रन पर सात विकेट चटकाए जो इस प्रारूप में किसी भारतीय गेंदबाज का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
लेकिन वनडे विश्वकप फाइनल में उनके स्पैल से 1 विकेट आया और भारत फाइनल हार गई।उनके बाएं पैर में टखने में चोट लगी थी जिसके लिए उन्हें सर्जरी की जरूरत पड़ी और वह साल 2024 में पूरे साल टीम से बाहर रहे।
इस दौरान भारत ने 29 जून को टी-20 विश्वकप जीतकर जीत का सूखा खत्म किया। ऐसे में लग रहा था कि शायद बिना किसी आईसीसी खिताबी जीत का हिस्सा बने ही शमी का करियर खत्म हो जाएगा लेकिन बुमराह की अनुपस्थिति में शमी को भारतीय तेजगेंदबाजी का अगुवा माना गया।हालांकि बांग्लादेश के खिलाफ 5 विकेट लेने के बाद वह कुछ खास नहीं कर सके और पूरे टूर्नामेंट में बस 9 विकेट चटका पाए लेकिन यह टूर्नामेंट का दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। न्यूजीलैंड के मैट हैनरी उनसे सिर्फ 1 विकेट आगे रहे।
एशिया कप के लिए शमी को भले ही टीम से बाहर किया गया हो लेकिन उनको दलीप ट्रॉफी में शामिल किया गया है। ऐसे में जो प्रशंसक उनको वनडे विश्वकप 2027 में खेलते हुए देखना चाहते हैं उनके लिए आशा की किरण जगी है।