लॉर्ड्स टेस्ट में मिली रोमांचक हार के बाद भारतीय टीम अब मैनचेस्टर में इंग्लैंड से 23 जुलाई से भिड़ेगी। इस मैदान पर भारतीय टीम का टेस्ट रिकॉर्ड कुछ ख़ास नहीं रहा है और टीम को यहां नौ में से चार मुकाबलों में हार मिली है, जबकि पांच मैच ड्रॉ रहे हैं। आइए डालते हैं यहां के इतिहास पर एक नजर।
विजय मर्चेंट और मुश्ताक़ अली का शतक, 1932भारतीय टीम ने इस मैदान पर पहला मुकाबला 1936 में खेला था, तब टीम के कप्तान विजयनगरम के महाराजा हुआ करते थे। यह मैच ड्रॉ रहा था, लेकिन दूसरी पारी में भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाजों विजय मर्चेंट और मुश्ताक अली ने शानदार शतक लगाया था और पहले विकेट के लिए 203 रनों की साझेदारी की थी। यह वही मुश्ताक अली हैं, जिनके नाम पर भारत का घरेलू टी20 टूर्नामेंट सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफी खेला जाता है। यह पहली बार था, जब भारत के दो बल्लेबाजों ने एक ही पारी में शतक लगाए हों।
लाला अमरनाथ और वीनू मांकड़ का पंजा, 19461946 में खेला गया यह मैच भी ड्रॉ रहा था, लेकिन इस मैच को लाला अमरनाथ और वीनू मांकड़ के पंजे के लिए जाना जाता है। यह पहली बार था, जब भारत के किन्हीं दो गेंदबाजों ने एक ही पारी में पंजा हासिल कर पूरी टीम को पवेलियन भेजा हो। भारतीय टीम के इतिहास में ऐसा सिर्फ पांच बार और हुआ है।
टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने उतरी भारतीय टीम ने मध्यम तेज गेंदबाज अमरनाथ और बाएं हाथ के स्पिनर मांकड़ की मदद से इंग्लैंड को सिर्फ 294 रनों पर सिमेट दिया था। हालांकि भारतीय टीम सिर्फ 170 रन पर सिमट गई, जिसमें एक बार फिर मर्चेंट और मुश्ताक के बीच शतकीय साझेदारी शामिल थी। दूसरी पारी में दोबारा अमरनाथ ने तीन और मांकड़ ने दो विकेट लिए, लेकिन अंत में यह मैच ड्रॉ रहा।
टेस्ट में उस समय का भारत का न्यूनतम टेस्ट स्कोर, 1952इस टेस्ट की पहली पारी में भारतीय टीम फ़्रेड ट्रूमैन के घातक गेंदबाजी (8 विकेट) के सामने सिर्फ 58 रन पर सिमट गई थी, जो उस समय का भारत का संयुक्त रूप से न्यूनतम टेस्ट स्कोर था। 1947 में भारत, ऑस्ट्रेलिया के सामने ब्रिस्बेन में भी 58 रन पर ऑलआउट हुई थी।
खैर, पहली पारी में 58 पर ऑलआउट होने के बाद दूसरी पारी में भी कुछ खास नहीं कर सकी और 82 रन पर ऑलआउट हो गई, जो उस समय भारतीय टेस्ट क्रिकेट का न्यूनतम तीसरा स्कोर था। इस बार एलेक बेडसर ने इंग्लैंड की टीम की ओर से पंजा लिया और इंग्लैंड की टीम पारी और 207 रनों से यह मैच जीत गई।
उमरीगर और अब्बास अली का शतक गया बेकार, 1959इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड ने सुरेंद्र नाथ के पंजे के बावजूद 490 का बड़ा स्कोर खड़ा किया, जवाब में भारतीय टीम पहली पारी में सिर्फ 208 रन ही बना सकी। इंग्लैंड ने दूसरी पारी में आठ विकेट के 265 के स्कोर पर अपनी पारी घोषित कर दी और भारत को 548 का बड़ा लक्ष्य दिया। भारत की तरफ से दूसरी पारी में पाली उमरीगर (118) और अब्बास अली (112) ने शानदार शतक लगाया, लेकिन दोनों भारतीय टीम को 171 रनों की एक बड़ी हार से बचा नहीं सके।
बारिश ने भारत को बचाया, 1971पिछले लगातार दो मैचों में मिली हार के बाद मैनचेस्टर का यह मैच ड्रॉ हुआ था। इस मैच में इंग्लैंड ने पहली पारी में कप्तान रे इलिंगवर्थ की शतक की मदद से 386 का स्कोर खड़ा किया। जवाब में भारतीय टीम सिर्फ 212 रनों पर ही सिमट गई, जिसमें सुनील गावस्कर और एकनाथ सोल्कर का अर्धशतक शामिल था।
गावस्कर की यह दूसरी टेस्ट सीरीज थी और उन्होंने 57 रनों की पारी को अपने करियर का टर्निंग प्वाइंट माना था। कारण यह पिच एकदम ग्रीन टॉप विकेट थी और बादल से घिरे ठंडी हवाओं के झोकों में उन्हें जॉन प्राइस और पीटर लीवर जैसे तेज गेंदबाजों की नई गेंद का सामना करना था। लीवर ने पहली पारी में 88 रन बनाने के अलावा पांच विकेट लिए।
इंग्लैंड ने दूसरी पारी में तीन विकेट पर 245 रन पर पारी घोषित कर भारत को 420 रन का लक्ष्य दिया, लेकिन भारी बारिश होने और मैदान पर पानी भरने के कारण पांचवें दिन को रद्द घोषित कर दिया गया।
गावस्कर का इंग्लैंड में पहला शतक लेकिन भारत की हार, 1974गावस्कर ने अपने पहले इंग्लैंड दौरे पर दो अर्धशतक तो लगाए थे, लेकिन अंग्रेजी धरती पर उनके नाम कोई शतक नहीं था। यह हुआ उनके दूसरे इंग्लैंड दौरे के पहले मैच में जब उन्होंने मैनचेस्टर में 101 रनों की पारी खेली। दूसरी पारी में भी गावस्कर ने अर्धशतक लगाया, लेकिन अन्य बल्लेबाजों का साथ ना मिलने से भारत यह मैच 100 से अधिक रन के अंतर से हार गया।
खराब मौसम का शिकार मैच, 19821983 विश्व कप से एक साल पहले भारतीय टीम गावस्कर के कप्तानी में इंग्लैंड गई हुई थी। इस टीम के अधिकतर खिलाड़ी वही थे, जिन्होंने बाद में विश्व कप खेला। यह मैच बारिश और खराब मौसम की भेंट चढ़ गया और दोनों ही टीमें सिर्फ एक ही पारी खेल पाईं। इस मैच को संदीप पाटिल के शतक के लिए जाना जाता है, जब उन्होंने नाबाद 129 रनों की पारी खेली और कपिल देव (65) के साथ सातवें विकेट के लिए 96 और मदद लाल (26) के साथ आठवें विकेट के लिए 97 रन जोड़े। हाल ही में दुनिया को अलविदा कह गए दिलीप दोशी ने यहां पंजा खोलते हुए छह विकेट लिए थे।
तेंदुलकर के पहले शतक का गवाह बना मैनचेस्टर, 1990सचिन तेंदुलकर ने विश्व क्रिकेट में सर्वाधिक 51 टेस्ट शतक लगाए हैं, लेकिन उनका पहला टेस्ट शतक मैनचेस्टर में आया था। यह तेंदुलकर का नौवां टेस्ट मैच था। उन्होंने कुछ अर्धशतक लगाकर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी बल्लेबाजी क्षमता की झलक तो दिखाई थी, लेकिन इस पारी से लगा कि यह युवा बल्लेबाज बड़ी पारियां भी खेल सकता है।
पहली पारी में 68 रन बनाने के बाद जब तेंदुलकर दूसरी पारी में उतरे तो भारत 408 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए अपनी आधी टीम को 128 रनों पर खो चुका था। तेंदुलकर ने इसके बाद कपिल देव (26) के साथ 57 रनों की साझेदारी की और फिर मनोज प्रभाकर (67) के साथ नाबाद 160 रन जोड़ भारत को हार से बचा लिया। यह तेंदुलकर का पहला प्लेयर ऑफ द मैच प्रदर्शन भी था।
ब्रॉड की आंधी में उड़ी टीम इंडिया, 2014यह इस सदी में इस मैदान पर भारतीय टीम का पहला और अभी तक का एकमात्र मैच है। स्टुअर्ट ब्रॉड ने पहली पारी में छह विकेट लिए और भारतीय टीम को सिर्फ 152 पर समेट दिया। भारत के छह बल्लेबाज खाता नहीं खोल पाए और महेंद्र सिंह धोनी (71) ने टीम का सम्मान बचाया। आर अश्विन ने 40 रन बनाकर उनका बखूबी साथ दिया।
जवाब में इंग्लैंड की टीम ने जो रूट के 77 और जॉस बटलर के 70 रनों की मदद से 367 रन बना दिए। इस पारी के दौरान वरूण आरोन का एक बाउंसर पुल करने के चक्कर में ब्रॉड चोटिल हुए और दूसरी पारी में गेंदबाजी करने नहीं आए। लेकिन इंग्लैंड का यह स्कोर भारतीय बल्लेबाजों के लिए काफी था। भारतीय टीम दूसरी पारी में भी 161 के स्कोर से आगे नहीं बढ़ पाई और पारी व 54 रनों से यह मुकाबला हार गई। अश्विन ने दूसरी पारी में भी संघर्ष करते हुए नाबाद 46 रनों की पारी खेली।