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Last Modified: गुरुवार, 2 दिसंबर 2021 (13:40 IST)

Mega Auction से होता है बड़ा नुकसान, इन 2 फ्रैंचाइजियों ने उठाई आवाज

Mega Auction से होता है बड़ा नुकसान, इन 2 फ्रैंचाइजियों ने उठाई आवाज - Kolkata Knight Riders and Delhi Capitals feels franchise incur huge loss due to Mega Auction
मुंबई: कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के मुख्य अधिकारी वेंकी मैसूर और दिल्ली कैपिटल्स के पार्थ जिंदल के अनुसार इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की बड़ी नीलामी (Mega Auction) अब उतनी उपयोगी नहीं रही।

दो बड़ी टी20 टीमों के प्रमुखों का यह कड़ा बयान आया। मौजूदा आठ टीमों ने आने वाली बड़ी नीलामी से पहले अपने कुछ खिलाड़ियों को रिटेन किया है। मैसूर को लगता है कि बड़ी नीलामी 'सभी के लिए एक समान' नहीं रही। आईपीएल की शुरुआत के तीन साल बाद 2011 में पहली बार आयोजित की गई बड़ी नीलामी पर जिंदल ने कहा कि तीन सालों तक कई खिलाड़ियों पर समय और धन निवेश करने के बाद उन्हें खो देना 'दिल दहला देने वाला' था।

मैसूर ने मंगलवार को केकेआर के रिटेन खिलाड़ियों पर चर्चा करते हुए क्रिकइंफ़ो से कहा, "लीग के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ आ रहा है जहां आपको यह सवाल करना होगा कि क्या एक बड़ी नीलामी की ज़रूरत है। आने वाले नए खिलाड़ियों के लिए ड्राफ़्ट किए जा सकते है, या फिर आपसी सहमति से उन्हें ट्रेड (व्यापार) कर सकते हैं, खिलाड़ियों को लोन पर भेजा जा सकता है और हमें लंबे समय के लिए टीम बनाने की अनुमति दे सकते हैं।"

कई बड़े खिलाड़ियों को छोड़ना पड़ा
दोनों टीमों ने अधिकतम चार-चार खिलाड़ियों को रिटेन किया लेकिन इसके बावजूद उन्हें कई बड़े खिलाड़ियों को छोड़ना पड़ा जो पिछले कुछ सीज़नों में टीम में अहम किरदार थे। केकेआर ने शुभमन गिल, लॉकी फ़र्ग्युसन, नीतिश राणा और राहुल त्रिपाठी जैसे कई खिलाड़ियों का साथ छोड़ा जबकि दिल्ली ने शिखर धवन, कैगिसो रबादा और रविचंद्रन अश्विन को जाने दिया।

कैपिटल्स के पूर्व कप्तान श्रेयस अय्यर ने नीलामी में जाने का फ़ैसला किया और जिंदल को लगता है कि इस स्थिति को रोका जा सकता था। जिंदल ने ब्रॉडकास्टर स्टार स्पोर्ट्स से बात करते हुए कहा, "श्रेयस (अय्यर), शिखर (धवन), (कैगिसो ) रबादा, अश्विन को खोना दिल तोड़ने वाला था। बात यह है कि नीलामी की प्रक्रिया इस तरह बनाई गई है और मुझे लगता है कि आगे बढ़ते हुए आईपीएल को इस पर ग़ौर करने की ज़रूरत है। क्योंकि यह उचित नहीं है कि आप एक टीम बनाएं, आप युवाओं को मौक़ा दें, आप उन्हें अपने सेट-अप के माध्यम से तैयार करें। उन्हें अवसर मिलते हैं, वे आपकी फ्रेंचाइज़ी के लिए खेलते हैं, फिर वे जाकर काउंटी या अपने-अपने देशों के लिए खेलते हैं और फिर तीन साल बाद आप उन्हें खो देते हैं।"

कई आईपीएल टीमों के पास अब अपनी अकादमी है। साथ ही एक स्काउटिंग प्रणाली है जो युवा और अनकैप्ड प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को अपने साथ जोड़ती हैं ताकि उन्हें भविष्य में अपनी टीम में खेलने के लिए तैयार किया जा सकें। मैसूर ने कहा कि इतना सब करने के बाद खिलाड़ियों को नीलामी में भेजने की बजाय रिटेन करवाकर फ़्रेंचाइज़ियों को अपने निवेश का लाभ दिया जा सकता है।

उन्होंने कहा, "लीग ने 14 वर्ष पूरे कर लिए है और इस स्तर पर यदि आप मुझसे पूछे तो बड़ी नीलामी अपनी उपयोगिता को पार कर चुकी है। और आपको स्काउटिंग और अकादमी में निवेश करने वाली फ्रेंचाइज़ी को पुरस्कृत करना होगा। हमने केकेआर अकादमी में निवेश किया है और हमारे पार घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्काउंटिंग संरचना है। कुछ दिन पहले किसी ने मुझे एक नोट भेजा कि 2018 के बाद से हमारे 6 अनकैप्ड खिलाड़ी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। हमें बहुत ख़ुशी होती है कि हम इस संबंध में भी अपना योगदान दे रहे हैं। एक समय था जब बड़ी नीलामी सभी टीमों को एक समान स्तर पर लाने का काम करती थी। हालांकि तब भी हमें ऐसा लग रहा था कि अगर आप टीमों को कुछ खिलाड़ियों को वापस चुनने का अधिकार दे रहे हैं तो वह रिटेंशन द्वारा नहीं बल्कि राइट-टू-मैच (आरटीएम) कार्ड के ज़रिए होना चाहिए।"

जब 2008 में आईपीएल शुरू हुआ तब मूल योजना यह थी कि सभी खिलाड़ी बड़ी नीलामी में वापस जाएंगे। हालांकि 2011 की बड़ी नीलामी से पहले, जब पुणे और कोच्चि के रूप में दो नई टीमें लीग के साथ जुड़ी थी, यह फ़ैसला लिया गया कि आठ पुरानी टीमें चार खिलाड़ियों को बरक़रार रख सकती है। 2014 में दूसरी बड़ी नीलामी से पहले, मैसूर ने आरटीएम पद्धति का सुझाव दिया ताकि टीमें अपने अहम खिलाड़ियों को बरक़रार रख सकें। इसे स्वीकार किया गया और टीमों को दो आरटीएम के साथ चार खिलाड़ियों को रिटेन करने की अनुमति दी गई। 2018 की मेगा नीलामी में आठ मौजूदा टीमों को तीन रिटेंशन के दो आरटीएम कार्ड दिए गए थे।

हट गया है राइट टू मैच कार्ड

इस बार आईपीएल ने आरटीएल कार्ड को हटा दिया है। साथ ही दो नई टीमें - लखनऊ और अहमदाबाद रिटेन नहीं किए गए खिलाड़ियों में से तीन-तीन खिलाड़ियों को अपनी टीम में शामिल कर सकती हैं। इसके चलते कई बड़े नामों और युवा अनकैप्ड खिलाड़ियों ने रिटेन नहीं होने का विकल्प चुना है।

मैसूर ने कहा, "मेरा मानना है कि यह चुनौती तब तक रहेगी जब तक आपके पास यह पूर्व-नीलामी रिटेंशन नियम है। हमारी सिफ़ारिश हमेशा यह रही है कि कृपया बाज़ार को क़ीमत निर्धारित करने और टीमों को खिलाड़ियों अथवा आरटीएम कार्ड की संख्या चुनने की अनुमति दें। इसलिए हमारी लगातार अनुशंसा है कि सभी को नीलामी में वापस भेजा जाए और यदि आप मौजूदा टीमों को चार लोगों को चुनने की अनुमति दे रहे हैं, तो उनमें से प्रत्येक को चार राइट-टू-मैच कार्ड दें और दो नई टीमों को तीन।"

आरटीएम का एक नकारात्मक पहलू यह है कि प्रतिद्वंद्वी टीमें हमेशा आपके पसंदीदा खिलाड़ी की क़ीमत बढ़ा सकती है जिससे आपके पर्स में कटौती हो। रिटेन करने का नियम इसे रोकने के लिए ही बनाया गया था। लेकिन मैसूर आश्वस्त नहीं है। "आप किसी को भी दोष नहीं दे सकते क्योंकि हमेशा यह तर्क सामने आता है कि नीलामी से पहले रिटेंशन क्यों? फिर कोई कहता है, 'ओह, आप जानते हैं, यदि आप केवल नीलामी में जाते हैं और आपके पास केवल राइट-टू-मैच कार्ड है, तो टीमें खिलाड़ियों की क़ीमत बढ़ाने जाती हैं।' मुझे लगता है कि लीग परिपक्वता के स्तर पर पहुंच गई है और सभी लोग समझते हैं कि यह कैसे काम करता है। और वे भी इसके शिकार हुए हैं - यदि आप उस रणनीति का उपयोग करने की कोशिश करते हैं, तो बस किसी की कीमत बढ़ाएं ताकि टीमों के पास अगले खिलाड़ियों के लिए कम पैसा हो, तो आप उस खिलाड़ी के साथ फंस सकते है यदि आप उस खिलाड़ी को नहीं चाहते हैं। यदि आप उस खिलाड़ी को चाहते हैं तो बात कुछ और है।"(वार्ता)
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