• Webdunia Deals
  1. खेल-संसार
  2. क्रिकेट
  3. समाचार
  4. Hanuma Vihari drops bombshell after team bows out of Ranji Trophy
Written By WD Sports Desk
Last Updated : सोमवार, 26 फ़रवरी 2024 (17:09 IST)

रणजी ट्रॉफी में नेता के बेटे को डांटने से गई कप्तानी, हनुमा विहारी ने छोड़ी टीम

मैं फिर कभी आंध्र के लिए नहीं खेलूंगा, मैंने वहां अपना आत्मसम्मान खो दिया है: विहारी

Hanuma Vihar
सीनियर बल्लेबाज हनुमा विहारी ने दुर्व्यवहार के लिए सोमवार को आंध्र क्रिकेट संघ पर निशाना साधते हुए कहा कि वह फिर कभी राज्य के लिए नहीं खेलेंगे।मौजूदा रणजी ट्रॉफी में आंध्र का अभियान समाप्त हो गया जब वे सोमवार को क्वार्टर फाइनल में मध्य प्रदेश से चार रन से हार गए।

विहारी ने इंस्टाग्राम पर लिखा, ‘‘दुखद बात यह है कि संघ का मानना है कि वे जो भी कहें खिलाड़ी को वह सुनना होगा और खिलाड़ी उनकी वजह से ही वहां हैं। मैंने फैसला किया है कि मैं आंध्र के लिए कभी नहीं खेलूंगा जहां मैंने अपना आत्मसम्मान खो दिया है।’’

उन्होंने लिखा, ‘‘मैं टीम से प्यार करता हूं। जिस तरह से हम हर सत्र में प्रगति कर रहे थे वह मुझे पसंद है लेकिन संघ नहीं चाहता कि हम आगे बढ़ें।’’भारत के लिए 16 टेस्ट खेलने वाले मध्यक्रम के बल्लेबाज विहारी ने सत्र की शुरुआत आंध्र के कप्तान के रूप में की थी लेकिन पिछले साल के उपविजेता बंगाल के खिलाफ पहले मैच के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया।

रिकी भुई ने सत्र के बाकी मुकाबलों में टीम का नेतृत्व किया और अब वह 902 रन के साथ मौजूदा सत्र में सबसे सफल बल्लेबाज हैं।विहारी ने उस समय कप्तानी छोड़ने के लिए ‘व्यक्तिगत कारणों’ को जिम्मेदार ठहराया था लेकिन अब दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा कि संघ ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा था।

विहारी ने कहा, ‘‘बंगाल के खिलाफ पहले मैच में मैं कप्तान था। उस मैच के दौरान मैं 17वें खिलाड़ी पर चिल्लाया और उसने अपने पिता (जो एक राजनेता है) से शिकायत की, बदले में उसके पिता ने संघ से मेरे खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने पिछले साल फाइनल में जगह बनाने वाले बंगाल के खिलाफ 410 रन का पीछा किया था लेकिन मेरी बिना किसी गलती के कप्तानी से इस्तीफा देने के लिए कहा गया।’’
मध्य प्रदेश के खिलाफ पिछले साल के रणजी ट्रॉफी क्वार्टर फाइनल मैच को याद करते हुए 30 साल के विहारी ने कहा कि उन्होंने टीम के लिए अपना शरीर दांव पर लगा दिया था। दाहिने हाथ में चोट के कारण उन्होंने उस मैच में बाएं हाथ से बल्लेबाजी करने के लिए मजबूर होना पड़ा लेकिन वह आंध्र को बाहर होने से नहीं रोक सके।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने खिलाड़ी को व्यक्तिगत रूप से कभी कुछ नहीं कहा लेकिन संघ ने सोचा कि वह खिलाड़ी उस व्यक्ति से अधिक महत्वपूर्ण है जिसने पिछले साल अपना शरीर दांव पर लगा दिया और बाएं हाथ से बल्लेबाजी की, पिछले सात साल में पांच बार आंध्र को नॉकआउट में जगह दिलाई और भारत के लिए 16 टेस्ट खेले।’’
विहारी ने कहा, ‘‘मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई लेकिन इस सत्र में खेलना जारी रखने का एकमात्र कारण यह था कि मैं खेल और अपनी टीम का सम्मान करता हूं।’’   (भाषा)
ये भी पढ़ें
उड़ीसा ने बहुत कुछ किया है हॉकी के लिए, कप्तान हरमनप्रीत सिंह को भाता है यह शहर