Differently-Abled cricketers of Kashmir shine : कभी अशांति का पर्याय रहे जम्मू कश्मीर के घाटी क्षेत्र के चार क्रिकेटर भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रहे है जिसने हाल ही में घरेलू टी20 अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में इंग्लैंड की दिव्यांग टीम को पांच मैचों की श्रृंखला में 3-2 से शिकस्त दी थी।
भारतीय दिव्यांग टीम 2019 और 2023 की विश्व चैम्पियन है।
टीम के तेज गेंदबाज आमिर हसन को बचपन में ही पता चल गया था कि उन्हें अगर कुछ करना है तो दाएं की जगह बाएं हाथ से करना होगा।
आमिर जब ढाई साल के थे तब आग में उनका दाया हाथ झुलस गया था।
वह सोपोर जिले के तारजू गांव के रहने वाले है। कभी सेब के बागानों के लिए जाने जाने वाला यह क्षेत्र 90 के दशक में आतंक का गढ़ था।
आमिर अपने परिवार के सबसे बड़े बेटे है और सेब के बागानों में अपने पिता का हाथ बटाने के लिए उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी।
टीम के इस मुख्य तेज गेंदबाज ने कहा, कश्मीर में आधारभूत संरचना एक समस्या है। मैं अपने गांव से अभ्यास के लिए तीन किलोमीटर पैदल चल कर जाता हूं। जहां तक अशांति की बात है, तो इससे मैं कभी प्रभावित नहीं हुआ।
वामहस्त तेज गेंदबाज इरफान पठान और भारत के लिए खेलने वाले जम्मू कश्मीर के पहले क्रिकेट परवेज रसूल को अपना आदर्श मानने वाले इस खिलाड़ी ने कहा, बचपन से मैं सिर्फ क्रिकेट खेलना चाहता था। मैं बस अभ्यास के लिए जाता था और वापस घर आ जाता था। मैं कभी भी ऐसी बातचीत या गतिविधि में शामिल नहीं हुआ जिससे मेरा ध्यान भंग हो।
आमिर के साथ राष्ट्रीय टीम के उप-कप्तान वसीम इकबाल, बल्लेबाज माजिद मागरे और जफर भट्ट राष्ट्रीय टीम में घाटी के खिलाड़ियों की सफलता की मिसाल है। वसीम और मादिज अनंतनाग से है जबकि जफर कश्मीर के रहने वाले है।
आमिर ने अपने गांव के सक्षम लड़कों के साथ खेलते हुए गेंदबाजी का अभ्यास किया और इससे उन्हें अन्य शारीरिक रूप से विकलांग क्रिकेटरों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने में दूसरों से आगे रहने में मदद मिली।
आमिर ने बहुत गर्व के साथ कहा, आप जानते हैं कि जब वर्षों पहले नेशनल स्कूल्स (चैंपियनशिप) आयोजित की गई थी, तो मैंने अब्दुल समद की कप्तानी में खेला था, जो अब (आईपीएल में) सनराइजर्स हैदराबाद के लिए खेलते हैं।
टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ी वसीम को बचपन में घुटनों की बीमारी हो गई थी और उन्हें चलने में कठिनाई होती थी, लेकिन उनके पास बाधाओं को मात देकर अपनी पहचान बनायीं
उन्होंने कहा, मैं परवेज रसूल के घर के पास ही रहता हूं। वह भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले घाटी के पहले सक्षम क्रिकेटर हैं। परवेज ने हमारी काफी मदद की है।
जम्मू कश्मीर के सिविल सचिवालय में प्रशासनिक सुधार, निरीक्षण और प्रशिक्षण विभाग में काम करने वाले वसीम ने कहा, परवेज ने जम्मू और कश्मीर क्रिकेट संघ को हमें दो पूर्ण क्रिकेट किट दान करने के लिए कहा था। इन चारों क्रिकेटरों में सिर्फ वही एक है जिनके पास सरकारी नौकरी हैं।
एंथम नाम के एक स्थानीय क्लब का प्रतिनिधित्व करने वाले माजिद ने तेज गेंदबाज रसिख सलाम के साथ खेला था, जो कुछ सत्र पहले आईपीएल में मुंबई इंडियंस के साथ थे।
उन्होंने कहा, मुझे और वसीम भाई को जब पहली बार पता चला कि दिव्यांगों के लिए क्रिकेट भी होती है तो हमने राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने की ठानी। मेरे कुछ व्यक्तिगत मुद्दे थे और मैं 2019 और 2023 दोनों विश्व कप से चूक गया, लेकिन जब मुझे पहली बार भारत की जर्सी मिली तो मैं भावुक हो गया और उसे अपने दिल से लगा लिया।
जाफर के लिए भारतीय टीम के लिए अर्धशतक लगाने के बाद बल्ला उठा कर साथी खिलाड़ियों और दर्शकों का अभिवादन करने का अहसास जिंदगी का सबसे अच्छा पल रहा है। उन्होंने कहा, मेरा परिवार बहुत खुश है और वे चाहते हैं कि मैं अपना पूरा ध्यान क्रिकेट पर लगाऊं। हां, अगर मुझे नौकरी मिल जाए यह मेरे लिये अच्छा होगा क्योंकि इससे मुझे खेल पर ध्यान केंद्रित करते हुए सुरक्षित महसूस करने में मदद मिलेगी।
बीसीसीआई द्वारा मान्यता प्राप्त भारतीय दिव्यांग क्रिकेट परिषद (डीसीसीआई) के सचिव रविकांत चौहान ने राज्य में क्रिकेट के विकास के बारे में कहा, बहुत से लोग नहीं जानते कि जम्मू-कश्मीर ने इस श्रेणी में लगातार राष्ट्रीय खिताब जीते हैं। ऐसे में यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि हमारे पास 450 से 500 शारीरिक रूप से विकलांग क्रिकेटर जम्मू में ट्रायल के लिए उपस्थित हुए थे।
चौहान ने इंग्लैंड के खिलाफ श्रृंखला के लिए जय शाह को धन्यवाद देते हुए कहा, मुझे बीसीसीआई सचिव जय शाह को उनकी मदद के लिए धन्यवाद देना चाहिए। इस श्रृंखला में हमने बीसीसीआई द्वारा आपूर्ति की गई सफेद कूकाबुरा गेंदों से खेला। उन्होंने अहमदाबाद में सर्वश्रेष्ठ होटल की व्यवस्था की। जय भाई ने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि हम सर्वश्रेष्ठ भारतीय स्थानों पर टीमों की मेजबानी करें। (भाषा)