• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. व्यापार
  4. »
  5. समाचार
Written By वार्ता
Last Modified: नई दिल्ली (वार्ता) , गुरुवार, 6 दिसंबर 2007 (10:44 IST)

उद्योग जगत का विश्वास कमजोर

उद्योग जगत का विश्वास कमजोर -
रुपए की मजबूती और ऊँची ब्याज दरों से उद्योग जगत का कारोबारी विश्वास अब कमजोर पड़ता जा रहा है। फिक्की के एक सर्वेक्षण के मुताबिक उद्योगों का विश्वास पिछले पाँच साल के न्यूनतम स्तर तक गिर चुका है।

उद्योग जगत को निर्यात वृद्धि दर मंद पड़ने और रुपए की लगातार मजबूत स्थिति से आर्थिक विकास की रफ्तार और धीमी पड़ने का खतरा नजर आने लगा है।

निर्यात कारोबार की मंदी के साथ-साथ अब उससे जुड़े दूसरे औद्योगिक क्षेत्रों और पूँजीगत सामानों के कारोबार में भी मंदी आने लगी है।

फिक्की के ताजा व्यावसायिक विश्वास सर्वेक्षण के मुताबिक दूसरी तिमाही में सकल व्यावसायिक विश्वास सूचकांक 68.4 से घटकर पिछले पाँच साल के न्यूनतम स्तर से घटकर 61.2 पर आ गया है।

सर्वेक्षण का यह आकलन वर्तमान स्थिति सूचकांक, उम्मीदों पर आधारित सूचकांक और फिर सकल व्यावसायिक विश्वास सूचकांक पर आधारित है। सर्वेक्षण में पाया गया है कि उद्यमियों को निर्यात, निवेश, रोजगार और मुनाफा सभी क्षेत्रों में भारी मंदी नजर आने लगी है।

अब तक रुपए की मजबूती का असर केवल निर्यातोन्मुखी इकाइयों तक ही देखा जा रहा था लेकिन अब निर्यात इकाइयों से जुड़े दूसरे उद्योगों का कामकाज भी प्रभावित होने लगा।

सर्वेक्षण के मुताबिक पिछले दिनों ऊँची ब्याज दरों से उपभोक्ता सामान के उद्योग में मंदी आई थी लेकिन अब यह मंदी मध्यवर्ती और पूँजीगत सामान के उद्योगों तक पहुँच चुकी है।

कच्चा माल की आपूर्ति करने वाले उद्योग भी प्रभावित होने लगे हैं, बढ़ती लागत से कंपनियों के मुनाफे पर भी असर पड़ने लगा है। निर्यातक अब निर्यात बाजार को छोड़कर घरेलू बाजार की तरफ रुख करने लगे हैं जहाँ पहले से ही सामान बेचने वालों की भरमार है।

सर्वेक्षण के बारे में फिक्की की यहाँ जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि रिजर्व बैंक को आर्थिक स्थिति को देखते हुए नए सिरे से अपनी ऋण नीति की समीक्षा करनी चाहिए। सर्वेक्षण में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक को नीति की सख्ती कम करके इसमें उचित समायोजन करना चाहिए।

फिक्की का यह सर्वेक्षण नवंबर महीने में किया गया। दूसरी तिमाही के इस सर्वेक्षण में एक करोड़ से लेकर 8000 करोड़ रु. का कारोबार करने वाली देशभर की 321 कंपनियों ने अपने विचार व्यक्त किए।

इनमें सीमेंट, औषधि, कपड़ा एवं परिधान, चमड़ा, त्वरित उपभोग का सामान बनाने वाली, भारी उपकरण एवं कलपुर्जे, मशीनरी, वित्तीय सेवाएँ, कागज, धातु और धातु उत्पाद, रसायन, आईटी, ऑटो एवं ऑटो सहायक तथा इस्पात क्षेत्र की कंपनियाँ शामिल थीं।

सर्वेक्षण का निष्कर्ष कहता है कि औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में काफी कुछ मंदी आ चुकी है और ऊँची ब्याज दरों तथा मजबूत रुपए के शुरुआती दौर से स्थिति आगे बढ़ चुकी है।

इससे पहले के सर्वेक्षण में कहा गया था कि रुपए में आई अचानक मजबूती से निर्यातोन्मुखी इकाइयों पर गहरा असर पड़ा है लेकिन इस सर्वेक्षण में अब यह असर उन उद्योगों तक भी दिखाई पड़ा है जो सीधे निर्यात कारोबार से नहीं जुड़ी हैं। इनमें कपड़ा मशीनरी निर्माता विशेष तौर पर प्रभावित हुए हैं।