शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2025
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. व्यापार
  3. समाचार
  4. whole sale price index reduced in january
Last Updated : शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2025 (13:03 IST)

जनवरी में थोक महंगाई दर में राहत, जानिए क्या है WPI, कैसे लोगों पर डालती है असर?

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, थोक मूल्य मुद्रास्फीति जनवरी 2025 में घटकर 2.31 प्रतिशत रह गई, जो दिसंबर 2024 में 2.37 प्रतिशत थी।

जनवरी में थोक महंगाई दर में राहत, जानिए क्या है WPI, कैसे लोगों पर डालती है असर? - whole sale price index reduced in january
Wholesale Price Index : वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, थोक मूल्य मुद्रास्फीति जनवरी 2025 में घटकर 2.31 प्रतिशत रह गई, जो दिसंबर 2024 में 2.37 प्रतिशत थी। खाने पीने की वस्तुओं के साथ ही रोजाना इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं के दाम कम होने से महंगाई दर में कमी आई है। ईंधन के दाम भी कम हुए हैं। 
 
आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2025 में WPI खाद्य सूचकांक बढ़कर 7.47 प्रतिशत हो गया, जबकि दिसंबर 2024 में यह 8.89 प्रतिशत था। खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति जनवरी में घटकर 5.88 प्रतिशत रह गई, जबकि दिसंबर 2024 में यह 8.47 प्रतिशत थी।

सब्जियों की मुद्रास्फीति उल्लेखनीय रूप से घटकर 8.35 प्रतिशत रह गई, जबकि दिसंबर 2024 में यह 28.65 प्रतिशत थी। आलू की मुद्रास्फीति 74.28 प्रतिशत पर उच्च स्तर पर बनी रही और प्याज की मुद्रास्फीति जनवरी में बढ़कर 28.33 प्रतिशत हो गई।
 
ईंधन तथा बिजली श्रेणी में जनवरी में मुद्रास्फीति 2.78 प्रतिशत की घटी जबकि दिसंबर में 3.79 प्रतिशत थी। विनिर्मित वस्तुओं में मुद्रास्फीति दिसंबर 2024 के 2.14 प्रतिशत की तुलना में जनवरी 2025 में 2.51 प्रतिशत हो गई।
 
थोक महंगाई दर क्या है : थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index) एक मूल्य सूचकांक है जो कुछ चुनी हुई वस्तुओं के सामूहिक औसत मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है। भारत में थोक मूल्य सूचकांक को आधार मान कर महंगाई दर की गणना होती है। हालांकि थोक मूल्य और खुदरा मूल्य में काफी अंतर होने के कारण इस विधि को कुछ लोग सही नहीं मानते हैं। भारत में थोक मूल्य सूचकांक में 697 पदार्थों को शामिल किया गया है। इनमें खाद्यान्न, धातु, ईंधन, रसायन आदि हर तरह के पदार्थ शामिल हैं।
 
अब मान लीजिए 10 मार्च को खत्म हुए हफ्ते में थोक मूल्य सूचकांक 120 है और 17 मार्च को यह बढ़कर 122 हो गया। प्रतिशत में अंतर लगभग 1.6 प्रतिशत हुआ और यही महंगाई दर मानी जाती है।
 
सामानों के थोक भाव लेने और सूचकांक तैयार करने में समय लगता है, इसलिए मुद्रास्फीति की दर हमेशा दो हफ्ते पहले की होती है। भारत में हर हफ्ते थोक मूल्य सूचकांक का आकलन किया जाता है। इसलिए महंगाई दर का आकलन भी हफ्ते के दौरान कीमतों में हुए परिवर्तन दिखाता है। पहले डब्ल्यूपीआई मापने का बेस ईयर 2004-2005 था। लेकिन अप्रैल 2017 में सरकार ने इसे बदलकर 2011-12 कर दिया।
 
WPI में सामग्रियों की तीन श्रेणियां : WPI में सामग्रियों की तीन श्रेणियां होती हैं- प्राइमरी आर्टिकल्स, ईंधन और उत्पादित सामग्रियां। प्राइमरी आर्टिकल्स की भी दो उप-श्रेणियां हैं। पहली खाद्य उत्पाद। दूसरी गैर खाद्य उत्पाद। खाद्य उत्पादों में अनाज, धान, गेहूं, दालें, सब्जियां, फल, दूध, अंडा, मांस और मछली जैसी चीजें शामिल हैं। गैर खाद्य उत्पाद में तेल के बीज, खनिज संसाधन और कच्चा पेट्रोलियम शामिल है। 
 
डब्ल्यूपीआई की दूसरी श्रेणी है ईंधन। इसमें पेट्रोल, डीजल और LPG की कीमतें देखी जाती हैं। तीसरी और सबसे बड़ी श्रेणी है, मैन्युफैक्चर्ड गुड्स यानी उत्पादित सामग्रियां। इनमें कपड़ा, रेडिमेट कपड़े, कैमिकल, प्लास्टिक, सीमेंट, धातु, चीनी, तंबाकू उत्पाद, वसा उत्पाद जैसे मैन्युफैक्चर्ड खाद्य पदार्थ भी शामिल हैं।
 
आम जनता पर क्या असर : थोक महंगाई दर बढ़ने का सीधा असर आम आदमी पर पड़ता है। थोक में अगर किसी वस्तु के दाम बढ़ते हैं तो आम आदमी को रिटेल में भी इसके ज्यादा दाम चुकाने होते हैं। वहीं थोक में दाम घटने पर बाजार में वस्तु कम दाम पर मिल जाती है। 
edited by : Nrapendra Gupta